क्या वक्फ अमेंडमेंड बिल 2024 से हल होगा विवाद, या बोर्ड हटाना सही विकल्प?

“वक्फ संशोधन बिल, जब से केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किया है, तब से कई मुस्लिम नेता, संगठन और मुस्लिम धर्म गुरु इसके खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। वो इसे अपने धर्म में सरकार का अड़गा मानते हैं। उनका कहना है कि, इस बिल के आने से वक्फ की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगीं। वहीं दूसरा पक्ष इसे जरुरी मानता हैं, उसका कहना हैं कि वक्फ में संशोधन से इसमें पारदर्शिता आएगीं। मुसलमानों का तर्क है कि इस बिल के जरिए सरकार वक्फ की जमीनों को छीनने का प्रयास कर रही हैं। वहीं सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है कि इसके जरिए वक्फ में फैली गड़बड़ियों को ठीक किया जाएगा।”

क्या वक्फ अमेंडमेंड बिल 2024 से हल होगा विवाद, या बोर्ड हटाना सही विकल्प?

इस ब्लांग के जरिए हम वक्फ अमेंडमेंड बिल 2024 को समझने का प्रयास करेंगे, कि इसके प्रावधानों को भी जानेंगे और सरकार की मंशा को भी समझगें। हम यह भी देखेंगे कि क्या वक्फ में संशोधन से काम चल जाएगा या इसे खत्म करना ही उचित है। तो बने रहे ब्लांग के साथ।

वक्फ बोर्ड क्या हैं?

वक्फ बोर्ड एक कानूनी इकाई है, जो इस्लामी धर्मार्थ संपत्तियों का प्रबंधन करता है। इसकी स्थापना इस्लामी धार्मिक संपत्तियों की देखरेख और सामाजिक कल्याण के लिए की गई थी। वक्फ संपत्तियाँ जैसे मस्जिदें, कब्रिस्तान, और अन्य धर्मार्थ संस्थान इसके अंतर्गत आते हैं। वक्फ बोर्ड का मुख्य उद्देश्य इन संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित करना और उनके लाभों को मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए लगाना है।

वक्फ एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता हैं कि ईश्वर के नाम पर अर्पित वस्तु या सामाजिक कल्याण के लिए दी गयी सपंति। देश में दो तरह के वक्फ बोर्ड है, शिया व सुन्नी। वक्फ एक्ट को 1954 में पहली बार बनाया गया। यहीं से इसका जन्म हुआ। 1955 में इसमें पहला बदलाव किया गया। वर्ष 1995 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक नया वक्फ बोर्ड अधिनियम बनाया। इसके तहत हर राज्य व केन्द्रशासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दे दी गई।

इस वर्ष में वक्फ को कई अहम शक्तियां दी गई। कांग्रेस की सरकार ने इसमें वर्ष 2013 में भी संशोधन किया और इस बोर्ड को और अधिक मजबूत बनाया। उस वर्ष वक्फ को कांग्रेस सरकार ने वक्फ को असीमित अधिकार दे दिये। वह किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकते थे, और इसके पक्ष में न्यायपालिका में चुनौती भी नहीं दी जा सकती थीं।

वक्फ बोर्ड इस समय देश का तीसरा सबसे बड़ा लैड़होल्डर हैं। इसके पास 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। देश में 32 वक्फ बोर्ड है। जो देश में तीसरी सबसे बड़ी जमीनी क्षेत्र पर कब्जा किए हुए हैं।

वक्फ अमेंडमेंड बिल 2024: क्या है इसका मुख्य उद्देश्य?

वक्फ बोर्ड बिल 2024 भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण में सुधार लाने के लिए प्रस्तावित एक विधेयक है। इसके मुख्य उद्देश्य कुछ इस प्रकार हैं-

  1.  वक्फ संपत्तियों का बेहतर नियमन-

बिल का प्राथमिक उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है। भारत में हजारों वक्फ संपत्तियाँ हैं, लेकिन इनके उचित प्रबंधन में कई समस्याएँ आई हैं, जिनमें अनियमितताएँ और संपत्तियों के गलत उपयोग के आरोप शामिल हैं। इस विधेयक का उद्देश्य इन संपत्तियों के बेहतर उपयोग के लिए कठोर नियम लागू करना है।

  •  संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड बनाना-

बिल के तहत सभी वक्फ संपत्तियों का एक केंद्रीयकृत डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने का प्रस्ताव है। यह न केवल संपत्तियों के स्वामित्व और प्रबंधन की जानकारी को स्पष्ट करेगा, बल्कि संपत्तियों की सुरक्षा और उनके उचित उपयोग में भी सहायक होगा। इससे भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की संभावना कम होगी।

  •  विवादों के समाधान के लिए तंत्र-

वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व और उनके उपयोग को लेकर कई बार विवाद होते रहते हैं। बिल 2024 इन विवादों के समाधान के लिए एक व्यवस्थित कानूनी तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव करता है। इसके तहत विवादों को सुलझाने के लिए विशेष न्यायिक प्रक्रियाएँ निर्धारित की जाएँगी, ताकि मामले लंबे समय तक लंबित न रहें और त्वरित न्याय मिल सके।

  •  वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा-

वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों को रोकना भी इस विधेयक का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अवैध कब्जों की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं, जिसके कारण मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों का नुकसान हो रहा है। बिल 2024 अवैध कब्जों को हटाने और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कड़े प्रावधान करता है।

  •  स्थानीय और केंद्रीय वक्फ बोर्ड की शक्तियों में संतुलन-

यह विधेयक राज्य और केंद्र सरकार के वक्फ बोर्डों के बीच बेहतर तालमेल और शक्तियों का संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है। इससे वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और निगरानी अधिक प्रभावी और संगठित तरीके से की जा सकेगी।

  •  विधेयक की चुनौतियां-

हालाँकि, इस विधेयक का उद्देश्य सुधार लाना है, लेकिन इसके लागू होने के बाद विभिन्न राजनीतिक और सांप्रदायिक प्रतिक्रियाएँ आ सकती हैं। कुछ समुदाय इस विधेयक को उनके अधिकारों पर हस्तक्षेप मान सकते हैं, जबकि अन्य इसे आवश्यक सुधार के रूप में देख सकते हैं।

इस प्रकार, वक्फ बोर्ड बिल 2024 का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का अधिक न्यायसंगत और पारदर्शी प्रबंधन सुनिश्चित करना है, जिससे न केवल संपत्तियों की सुरक्षा होगी, बल्कि उनका बेहतर उपयोग समाज के कल्याण के लिए भी किया जा सकेगा।

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वक्फ बिल के प्रावधान क्या है?

केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में 44 संशोधन कर सकती हैं। इसके जरिए सरकार वक्फ के बेहतर प्रबंधन और संचालन की बात कह रही है। इस बिल में सरकार ने मुस्लिम महिलाओं, शिया व बोहरा मुस्लिम समुदाय के लोगों का भी ध्यान रखा हैं। इसको कुछ इस प्रकार समझते हैं-

  • नए नियमों में सरकार वक्फ के अन्दर गैर-मुस्लिम लोगों को प्रवेश देने का प्रावधान कर रही हैं। नये प्रावधान के अनुसार बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्य होगें।
  • नए प्रावधानो के मुताबिक वहीं व्यक्ति वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता हैं, जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हैं।
  • नए प्रावधानो में बोर्ड के निर्णयों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील 90 दिन के भीतर की जा सकती हैं।
  • दुनिया में किसी भी वक्फ के पास इतनी शक्तियां नहीं है, जितनी अभी भारत के वक्फ बोर्ड के पास है। यहां तक कि मुख्य मुस्लिम देश सऊदी अरब व ओमान में भी।
  • अभी जो कानून है, उसके मुताबिक राज्य व केंद्र सरकार वक्फ की संपत्तियों पर कोई दखल नहीं दे सकतीं, परन्तु संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिला अधिकारी के दफ्तर में रजिस्टर्ड करानी होगी। जिससे इनकी संपत्ति का मूल्याकंन किया जा सकें।
  • ऐसा स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा, कि वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागींदारी भी सुनिश्चित हो सकें।
  • संशोधन पश्चात् राज्य व केंद्र के वक्फ बोर्डों में दो महिला सदस्य शामिल हो सकेगीं।
  • वक्फ की सभी विवादित और पुरानी संपत्तियों का नए सिरे से सत्यापन होगा। वक्फ एक्ट की धारा 19 व धारा 14 में चेंजस किए जा सकते हैं।
  • दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां भारत में हैं। जिनमें कई गैरकानूनी तरीके से कब्जाई गई हैं।
क्या वक्फ अमेंडमेंड बिल 2024 से हल होगा विवाद, या बोर्ड हटाना सही विकल्प?

वक्फ बोर्ड और भारत का धर्मनिरपेक्ष ढांचा-

भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहाँ सभी धर्मों को समान अधिकार और सम्मान दिया जाता है। भारतीय संविधान के अनुसार, राज्य का कोई धर्म नहीं है और सरकार सभी धार्मिक समुदायों के साथ समान व्यवहार करती है। इसी सिद्धांत के तहत विभिन्न धार्मिक संस्थानों को स्वायत्तता प्रदान की गई है, ताकि वे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों को स्वतंत्र रूप से संचालित कर सकें। इसी संदर्भ में वक्फ बोर्ड का गठन किया गया, जो इस्लामी धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन करता है। लेकिन वक्फ बोर्ड और भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के बीच संबंध हमेशा विवादास्पद रहे हैं।

वक्फ को समय-समय पर हुए संशोधनों में बेहिसाब शक्तियां दी गई हैं। यह भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ हैं। एक ही मजहब के बोर्ड को इतनी शक्तियां दे देना, जिसमें कानून या कोर्ट भी हस्तक्षेंप न कर सकें, एक जटिल सवाल हैं। अगर देश धर्मनिरपेक्ष है, तो सभी को बराबर अधिकार होन चाहिए। इस संबंध को गहराई से समझते हैं-

  1.  धर्मनिरपेक्षता व वक्फ का गठन-

वक्फ बोर्ड एक धार्मिक निकाय है, जो मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों का प्रबंधन करता है। धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के अनुसार, राज्य को धर्म और धार्मिक संस्थाओं से दूर रहना चाहिए। हालांकि, वक्फ बोर्ड का संचालन राज्य के अधीन आता है, और यह सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार, यह प्रश्न उठता है कि क्या राज्य का किसी विशेष धार्मिक निकाय में इतना हस्तक्षेप धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है?

  •  वक्फ बोर्ड की शक्तियाँ और धर्मनिरपेक्षता-

वक्फ बोर्ड को भारतीय कानून द्वारा कई शक्तियाँ प्रदान की गई हैं, जिनमें धार्मिक संपत्तियों का अधिग्रहण, प्रबंधन, और उनके उपयोग का निर्धारण शामिल है। धर्मनिरपेक्ष ढांचे में राज्य का धार्मिक संस्थानों पर अधिक नियंत्रण या विशेष शक्तियों का वितरण एक असमानता पैदा कर सकता है। जबकि अन्य धार्मिक संस्थानों को इस प्रकार की सरकारी सहायता या समर्थन नहीं मिलता, वक्फ बोर्ड को इस प्रकार की विशेष सुविधाएँ मिलती हैं, जिससे धर्मनिरपेक्षता की नींव पर सवाल खड़े होते हैं।

  •  वक्फ संपत्तियों का विवाद और सांप्रदायिक तनाव-

वक्फ बोर्ड के तहत आने वाली संपत्तियों को लेकर अक्सर विवाद होते रहे हैं, जिनमें जमीन के स्वामित्व और उपयोग से संबंधित मामले शामिल हैं। कई बार इन संपत्तियों पर अन्य धार्मिक समुदायों या सरकारी संस्थाओं द्वारा दावा किया जाता है, जिससे सांप्रदायिक तनाव पैदा होता है। ऐसी स्थिति में राज्य की भूमिका और धर्मनिरपेक्षता का पालन एक जटिल मुद्दा बन जाता है, क्योंकि सरकार को निष्पक्ष रहकर विवादों को सुलझाना होता है।

  •  धर्म और राजनीति का टकराव-

वक्फ बोर्ड से जुड़े मामलों में अक्सर राजनीति शामिल हो जाती है। राजनीतिक दल वक्फ बोर्ड के माध्यम से अपने-अपने हित साधने का प्रयास करते हैं। यह न केवल वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर करता है, बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर भी सवाल खड़े करता है। धर्म और राजनीति के इस मिश्रण से वक्फ बोर्ड का उद्देश्य पीछे छूट जाता है, और यह धर्मनिरपेक्षता के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है।

  •  क्या वक्फ बोर्ड धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है?

वक्फ बोर्ड पर कई बार आरोप लगे हैं कि इसका प्रबंधन पारदर्शी नहीं है और इसका उपयोग सांप्रदायिक राजनीति के लिए किया जाता है। यह आरोप विशेष रूप से तब सामने आते हैं, जब वक्फ संपत्तियों को लेकर बड़े विवाद या भ्रष्टाचार के मामले उजागर होते हैं। ऐसे मामलों में यह बहस उठती है कि क्या वक्फ बोर्ड जैसे धार्मिक संस्थानों का सरकारी समर्थन धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।

  •  वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता-

धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ाने की आवश्यकता है। यदि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से किया जाए, तो यह धर्मनिरपेक्ष ढांचे के लिए किसी खतरे का कारण नहीं बनेगा। इसके लिए वक्फ बोर्ड में सुधार और निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि यह धार्मिक संस्थान संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के तहत संचालित हो सके।

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वक्फ बोर्ड में संशोधन की आवश्यकता क्यो है?

वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों से जुड़ी कई विवादास्पद घटनाएँ और अवैध कब्जे भूतकाल में सामने आए हैं, जिनसे यह साफ होता है कि वक्फ बोर्ड में सुधार और संशोधन की सख्त आवश्यकता है। दिल्ली इसका बेहतरीन उदाहरण है, जहां कई सरकारी सपत्तियों पर वक्फ का अवैंध कब्जा हैं। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन हमेशा से जटिल रहा है, और कई बार इन संपत्तियों पर अवैध कब्जों और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। वक्फ की भारी शक्ति के कारण कई बार आम लोगों को भी नुकसान उठाना पड़ा हैं। इसको कुछ इस प्रकार समझते हैं-

  • विधेयक में संशोधन का मकसद वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना हैं।
  • सरकार का कहना हैं कि पहले से चल रह वक्फ बोर्ड में आम मुस्लिमों, महिलाओं, शियाओं व बोहरा समुदाय के लोगों की कोई पैंरवी नहीं हैं। सिर्फ पॉवरफुल मुस्लिमों की ही वहां चलती हैं।
  • पूर्व में वक्फ ने कई ऐसी जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश की है या उन पर दावा किया है। जिससे उसका कोई संबंध नहीं है। इसमे तमिलनाडू में एक पूरे गांव पर दावा करना व बेट द्वारका में दो द्वीपों पर दावा करना भी प्रमुख हैं।
  • सरकार का तर्क है कि इस संशोधन के जरिए वक्फ में मुस्लिम समाज के पिछडे वर्ग को तरजीह देना हैं।
  • इस संशोधन से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन में आ रही चुनौतियों को दूर किया जाएगा।

क्या वक्फ बोर्ड को समाप्त कर देना चाहिए?

सरकार वक्फ में संशोधन करने जा रही हैं, पर कई वर्गों में इसे पूरी तरह समाप्त करने की बातें चल रही हैं। उनका कहना है कि ये भारत के संवैधानिक ढ़ाचे के खिलाफ हैं। एक धर्मनिरपेक्ष देश में इस तरह की संस्था नहीं होनी चाहिए। किसी भी मुस्लिम देश में भी इस तरह की संस्था नहीं बनाई गयीं है, तो भारत में ही क्यो ऐसी प्रक्रिया का पालन हो रहा हैं। वक्फ बोर्ड को समाप्त करने के पीछे कई तर्क दिए जा सकते हैं, जिनका आधार वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली, इसमें पाई गई खामियाँ, और इसके धर्मनिरपेक्ष भारत में होने वाले प्रभावों पर आधारित है। यहां कुछ तर्कों के माध्यम से इसे समझ सकते हैं-

  • वक्फ बोर्ड, एक धार्मिक निकाय होते हुए भी, सरकारी प्रबंधन और समर्थन प्राप्त करता है। इससे यह तर्क दिया जाता है कि वक्फ बोर्ड का संचालन और इसे दी जाने वाली सुविधाएँ भारत की धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करती हैं। क्योकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं।
  • अन्य धार्मिक समुदायों के पास वक्फ बोर्ड जैसा कोई केंद्रीय निकाय नहीं है, जिससे यह असमानता पैदा होती है और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर सवाल उठते हैं।
  • वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों के मामले अक्सर देखने को मिलते हैं। इन संपत्तियों को लेकर कई कानूनी विवाद उत्पन्न होते हैं, जो लंबे समय तक सुलझ नहीं पाते। वक्फ संपत्तियों की कानूनी स्थिति और उनके उपयोग को लेकर हमेशा विवाद होते रहे हैं, जिनसे संपत्ति प्रबंधन में अस्थिरता बनी रहती है।
  • भारत में अन्य धर्मों के धार्मिक संस्थानों के पास वक्फ बोर्ड जैसी कोई संस्था नहीं है, जो उनकी संपत्तियों का प्रबंधन करती हो। यह स्थिति मुस्लिम समुदाय के पक्ष में एक विशेष लाभ जैसी दिखाई देती है, जो अन्य धार्मिक समुदायों के साथ असमानता उत्पन्न करती है।
  • अगर वक्फ संपत्तियों का सरकारी अधिग्रहण किया जाता है, तो इन्हें अस्पतालों, स्कूलों, और अन्य सामाजिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे समाज के अधिक लोगों को लाभ हो सकें।
  • अगर वक्फ बोर्ड को समाप्त कर दिया जाता है और संपत्तियों का प्रबंधन किसी स्वतंत्र सरकारी एजेंसी को सौंप दिया जाता है, तो पारदर्शिता और जवाबदेही बेहतर तरीके से सुनिश्चित की जा सकती है।
  • कई वक्फ संपत्तियाँ ऐसी जगहों पर स्थित हैं जो आर्थिक और व्यावसायिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हैं। लेकिन वर्तमान में ये संपत्तियाँ धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए या बिना किसी विशेष उपयोग के पड़ी रहती हैं।
  • तर्क दिया जाता है कि इन संपत्तियों का व्यावसायिक और औद्योगिक उपयोग किया जा सकता है, जिससे न केवल राष्ट्रीय आय बढ़ेगी बल्कि रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।

वैसे किसी भी लोकतात्रिंक व्यवस्था में इस तरह की संस्था का होना गैरकानूनी है। पर भारत में इस तरह की संस्था का होना अंचभित करने वाला हैं। कि कैसे एक धर्म विशेष के लिए अलग से कई कानून बनाये गये।

किसी भी पूर्ण मुस्लिम देश में भी इस तरह की व्यवस्था नहीं बनाई गयीं हैं। यह भारत के सेक्युलर ढ़ाचे के खिलाफ भी हैं। इसलिए इसका समाप्त भी किया जा सकता हैं।

वक्फ बिल भेजा गया जेपीसी के पास-

केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम लोकसभा में पेश के करने के पश्चात, विपक्ष के हंगामे के और अन्य पार्टियों की मांग के बाद इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया है। इस समिति में सभी पार्टियों के लोगों को शामिल किया गया हैं। इसलिए इस पर राजनीति से ऊपर उठकर चर्चा हो सकेगीं। इससे विपक्ष के पास भी यह मौका नहीं रह जाएगा कहने को सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी, और बिल का पारित करा दिया।

वक्फ बिल को लोकसभा में पेश होते ही विपक्षी सांसदो ने शोर मचाना शुरु कर दिया। उनके अनुसार सरकार की नीयत साफ नहीं है, वह मुस्लिम समाज को दोयम दर्जे का नागरिक मानती हैं, वह उनके अधिकारों को छीनना चाहती हैं। जबकि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा।

सभी जानते है, कि वक्फ बोर्ड अरबो की संपत्ति होने के बाद भी मुस्लिम समाज का कितना उद्धार कर पाया हैं। वक्फ का काम सिर्फ गैरकानूनी तरीके से कब्जा करना हैं, मुस्लिम समाज का कल्याण नहीं। विपक्ष के लिए भी मुस्लिम सिर्फ वोट बैक है, उन्हे पता है कि धर्म के नाम जिस तरह मुस्लिमों को भड़काया जा सकता हैं। उतना और किसी धर्म को नहीं। क्योकि यहां धर्म सबसे ऊपर माना जाता हैं।

  1.   जेपीसी क्या है?

संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी भारत की संसद द्वारा बनाई गई एक तदर्थ संसदीय समिति है। इसका गठन तब किया जाता हैं, जब प्रस्ताव एक सदन में पारित हो, और दूसरे सदन में सहमति या समर्थन हो। संसद में कई तरह के मामले होते है, सभी पर गहराई से विचार-विमर्श नहीं किया जा सकता। ऐसे में किसी विशेष कार्य के लिए संयुक्त समितियों का गठन किया जाता हैं।

इस समिति में लोकसभा के दोगुने और राज्यसभा के उसके आधे सदस्यों को शामिल किया जाता हैं। इनके कुल सदस्य 30 या 31  हो सकते हैं। बहुमत वाली पार्टी के सदस्य को इसका अध्यक्ष बनाया जाता हैं। यह एक शक्तिशाली समिति होती है, जिसमें कई दलों के लोग शमिल होते हैं। इसके पास कई अधिकार होते हैं। जेपीसी किसी भी संस्था, व्यक्ति को बुला कर जिसके लिए उसका गठन हुआ है उसका पक्ष जान सकती हैं या उससे पूछताछ कर सकती हैं। इनकी जांच की अधिकतम सीमा 3 महीने होती हैं, इसके बाद यह संसद के समक्ष अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।

  •  वक्फ बिल के लिए जेपीसी गठन-

वक्फ बिल को लेकर भी जेपीसी गठित कर दी गयीं हैं। केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने 31 सदस्यीय जेपीसी के सदस्यों की घोषणा की। इसमे लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं।

जेपीसी में इसको लेकर बैठकों का दौर चल रहा हैं। इस मामले को लेकर जेपीसी के पास 84 लाख सुझाव ईमेल के जरिए आए हैं। साथ ही 70 लिखित सुझाव भी मिले हैं। वक्फ बिल की समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल हैं। जो बीजेपी सांसद हैं।

जेपीसी में शामिल कई सांसदों ने इस पर विरोध भी जताया हैं। उनका अहम विरोध वक्फ में डीएम और अन्य धर्मों के लोगों को सदस्य बनाये जाने को लेकर ज्यादा हैं। सभी ईमेल व लिखित सुझावों पर विचार व सभी पक्षों की दलीलें व विशेषज्ञों की राय लेने के बाद जेपीसी अपनी रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र से पहले पेश कर सकती हैं।

इस पर आगे क्या होगा?

इस मुद्दे पर आगे क्या होगा, यह जेपीसी की रिपोर्ट आने के बाद तय होगा। पर अभी से ही इसको लेकर मुस्लिम समाज में जहर फैलाना शुरु कर दिया गया हैं। देश के बाहर बैंठे भंगोडें जाकिर नाईक ने वीडियों के जरिए इसको लेकर देश में भ्रम फैलाना शुरु कर दिया हैं। और इसको लेकर हमारी पालिसी भी थोड़ी ढ़ीली नजर आती हैं। हमारे सिस्टम और समाज में देखा जाएगा या क्या करना जो हो रहा होने दो जैसी अवधारणा विद्यमान है, और जब तक यह है तब तक देश आगे नहीं बढ़ सकता।

आगे सरकार कोई बिल लाती है, तो उसे स्पष्ट तौर पर पता होना चाहिए कि इसे जनता तक कैसे पहुंचाना हैं। वक्फ बिल पर भी यही बात हैं।

वक्फ बोर्ड बिल 2024 पर व्यापक रूप से विचार करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में कई गंभीर चुनौतियाँ और खामियाँ हैं। वक्फ बोर्ड की वर्तमान स्थिति, उसके कार्यों में पारदर्शिता की कमी, भ्रष्टाचार के आरोप, अवैध कब्जों, और संपत्तियों के दुरुपयोग ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इस संस्थान को जारी रखना उचित है।

हालाँकि, वक्फ संपत्तियाँ ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनका सही और प्रभावी प्रबंधन नहीं होने के कारण न केवल मुस्लिम समुदाय, बल्कि पूरे समाज को इसका नुकसान उठाना पड़ता है। इस संदर्भ में, वक्फ बोर्ड को समाप्त करने या इसमें व्यापक संशोधन की आवश्यकता है, ताकि-

  • संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित हो।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाया जा सके।
  • अवैध कब्जों और भ्रष्टाचार पर रोक लगे।
  • इन संपत्तियों का राष्ट्रीय और सामाजिक हित में उपयोग हो सके।

इस बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करना है, जिससे उनका सही तरीके से उपयोग किया जा सके। वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए एक संतुलित और पारदर्शी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जो धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, और आर्थिक प्रगति के सिद्धांतों के अनुरूप हो।

हमें अपने विचार कमेंट बाक्स के माध्यम से जरुर दे। धन्यवाद…

1. वक्फ संशोधन बिल 2024 का उद्देश्य क्या है?

वक्फ संशोधन बिल 2024 का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है। यह बिल वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने, विवादों के समाधान के लिए तंत्र स्थापित करने, और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।

2. वक्फ बोर्ड क्या है?

वक्फ बोर्ड एक कानूनी इकाई है जो इस्लामी धर्मार्थ संपत्तियों जैसे मस्जिदें, कब्रिस्तान और अन्य धर्मार्थ संस्थानों का प्रबंधन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य इन संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित कर मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए कार्य करना है।

3. वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड क्यों जरूरी है?

वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना आवश्यक है ताकि इन संपत्तियों के स्वामित्व और प्रबंधन में पारदर्शिता हो सके। इससे अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार की घटनाओं पर रोक लगेगी और संपत्तियों का सही इस्तेमाल हो सकेगा।

4. वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों किए जा रहे हैं?

वक्फ बोर्ड में कई बार अवैध कब्जे, संपत्तियों के दुरुपयोग, और पारदर्शिता की कमी के आरोप लगे हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए वक्फ संशोधन बिल 2024 लाया गया है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और अधिक जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

5. वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग क्यों उठ रही है?

कुछ लोग वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ है। उनका तर्क है कि वक्फ बोर्ड जैसी संस्था किसी भी मुस्लिम देश में नहीं है, और इसे खत्म कर संपत्तियों का सरकारी प्रबंधन किया जाना चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों को इसका लाभ मिल सके।

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