“Atal Setu-हाल ही में पीएम मोदी ने मुंबई में ट्रांस हार्बर लिंक का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस परियोजना का पूरा होना मोदी की गारंटी है। इसे सेवरी-न्हावा शेवा ट्रांस हार्बर लिंक के रुप में भी जाना जाता है।यह मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने का काम करेंगा। यह भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है। जिसकी लंबाई 21.8 किमी है।”
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अटल सेतु का इतिहास- History of Atal Setu
90 के दशक में, मुंबई महानगर क्षेत्र के विकास को ध्यान देते हुए मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने शहर में बढ़ते यातायात और भीड़भाड़ के चलते होने वाली दुर्घटनाओं को कैसे कम किया जाए, इस पर अध्ययन शुरु हुआ। वर्तमान में ठाणे क्रीक पर मुंबई और नवी मुंबई को जोड़ने वाले छह पुल है। लेकिन वह भविष्य के यातायात को संभालने के लिए बहुत संकीर्ण और पुराने हो चुके है।
इसी कारण दोनों शहरों के बीच आवागमन का समय भी बढ़ रहा है। इसलिए दोनो शहरों को आपस में जोड़ने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई गई, जिससे दोनो तरफ के यातायात को और अधिक सुगम, सुरक्षित और तेज बनाया जा सकें। प्रस्ताव 2012 में विचार के लिए महाराष्ट्र सरकार को भेजा गया था। 2015 में इस परियोजना को भारत सरकार और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसलिए, परियोजना की आधारशिला 24 दिसम्बर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गयी थी। शुरुआत में, इसे 2021 तक पूरा होने की उम्मीद थी।
फिर एमएमआरडीए ने नवंबर 2017 में परियोजना के लिए अनुबंध दिए और निर्माण अप्रैल 2018 में शुरु हुआ, जिसे 2022 तक 4.5 वर्षों के भीतर पूरा किया जाना था। हालांकि, कोविड़-19 महामारी के कारण निर्माण में लगभग 8 महीने की देरी हुई। फिर अगस्त 2023 तक इसे पूरा होने की उम्मीद थी। निर्माण अंततः दिसंबर 2023 में पूरा हुआ, और 12 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसका उद्धाटन किया गया।
जापानी भूमिका- Japanese role
नवी मुंबई में भारत के सबसे लंबे समुद्री पुल का उद्धाटन करने के बाद बोलते हुए, पीएम मोदी ने इसके निर्माण में समर्थन के लिए जापानी सरकार को धन्यवाद दिया। इस मौके पर उन्होंने अपने प्रिय मित्र ‘शिंजो आबे’ को भी याद किया। उन्होंने कहा कि “आज मैं अपने प्रिय मित्र दिवगंत शिंजो आबे को याद करना चाहता हूं। हम दोनों ने मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक परियोजना को पूरा करने की कसम खाई थी।”
मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक परियोजना, जो वर्षों से अधर में थी, को 2017 में मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) द्वारा जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी से 15,109 करोड़ रुपये का ऋण मिलने के बाद नया जीवन मिला। अप्रैल 2018 में परियोजना पर काम फिर से शुरु हुआ। बता दें कि जापान के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले पीएम आबे की जापान में 8 जुलाई, 2022 को एक रैली के दौरान हत्या कर दी गई।
कितना टोल लगेगा- How much will be the toll?
अटल सेतु पर जाने के लिए लोगों को टोल भी देना होगा। इसके लिए सिंगल, रिटर्न, डेली पास और मंथली पास के टोल के दाम बताए गए है। कार के लिए सिंगल यात्रा का टोल 250 रुपये है, जबकि रिटर्न जर्नी के लिए 375 रुपये खर्च करने होगें। डेली पास के लिए 625 रुपये और मंथली पास के लिए 12500 रुपये देने होंगे। मिनी बस और एलसीवी के लिए सिंगल जर्नी का 400 रुपये,रिटर्न जर्नी का 600 रुपये, डेली पास के लिए हजार रुपये और मंथली पास के लिए बीस हजार रुपये खर्च करने होंगे। वहीं बस टू एक्सेल ट्रक के लिए आपको सिंगल जर्नी पर 830 रुपये देना होगा।
इसके अलावा, रिटर्न जर्नी के लिए 1245 रुपये, डेली पास के लिए 2075 रुपये और मंथली पास के लिए 41500 रुपये देने होंगे। एमएवी(3 एक्सेल) वाहनों के लिए सिंगल जर्नी पर 905 रुपये, रिटर्न जर्नी पर 1360 रुपये, डली पास के लिए 2265 रुपये, मंथली पास के लिए 42250 रुपये खर्च करनें पड़ेंगे। वहीं, यदि आपके पास एमएवी 4 से 6 एक्सेल का वाहन हैं,
तो फिर आपको टोल के लिए सिंगल जर्नी पर 1300 रुपये, रिटर्न जर्नी पर 1950 रुपये, डेली पास के लिए 3250 रुपये और मंथली पास के लिए 65 हजार रुपये देने पड़ेंगे। ओवरसाइज्ड वाहनों के लिए और टोल देना होगा। सिंगल जर्नी पर वाहन चालक को 1580 रुपये, रिटर्न पर 2370 रुपये, डेली पास वाले के लिए 3950 रुपये और मंथली वाले के लिए 79 हजार रुपये देने होंगे।
Maldives-a sinking island (मालदीव-एक डूबता द्वीप 2024)
प्रमुख विशेषताएं- major features-
- एमटीएचएल पुल को अटल बिहारी वाजपेयी जी का नाम दिया गया है।
- पुल की लागत 17,840 करोड़ रुपये आयी है।
- मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का सक्षिप्त नाम MTHL है।
- यह छह लेन वाला 21.8 किमी लंबा पुल है। 16.5 किमी का पुल समुद्र के ऊपर है बाकी हिस्सा जमीन पर बना है।
- मुंबई- पुणे एक्सप्रेसवे को राष्ट्रीय राजमार्ग 4बी से जोड़ा जाएगा।
- मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक के लिए टोल मूल्य एक कार के लिए प्रति यात्रा 250 रुपये होगा, और राउंड ट्रिप के लिए 375 रुपये है।
- अटल सेतु भूकंपरोधी है।
सेतु से जुड़ी हाइलाइट्स- Highlights related to the bridge
इस पुल के निर्माण में लगभग 177,903 मीट्रिक टन स्टील और 504,253 मीट्रिक टन सीमेंट का उपयोग किया गया है। इसके दो जगहों से लिंक किया गया है। पहला लिंक ऐरोली-मुलुंड कनेक्टर और दूसरा वाशी कनेक्टर है।
यह 6 लेन का अत्याधुनिक ब्रिज है। जिसका विस्तार समुद्र पर 16.50 किमी और भूमि पर 5.5 किमी है। यह पुल 21.8 किमी लंबा है और इस ब्रिज का प्रत्येक लेन 3.5 मीटर चौड़ा है।
इसके बन जाने से यात्रा बहुत हद तक सुव्यवस्थित हो जाएगीं, अब यह दूरी 20 मिनट में तय होगी जिसे पहले 2 घंटे में तय किया जाता था। इस सेतु पर फोर व्हीलर वाहन की अधिकतम स्पीड 100 किमी प्रति घंटा, वहीं पुल पर चढ़ते और उतरते समय स्पीड 40 किमी प्रति घंटे तक सीमित रखी गयी है। दोपाहिया और तिपाहिया इस पुल पर प्रतिबंधित है।
इसका निर्माण साल 2018 में शुरु किया गया था। इसे 4.5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन कोविड़-19 के कारण इसके निर्माण में आठ महीने की देरी हुई।
इस सेतु के निर्माण से मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे और गोवा हाईवे के बीच की दूरी कम हो जाएगीं।
किस कम्पनी ने किया है निर्माण- Which company has manufactured
अटल सेतु का निर्माण लार्सन एंड टुब्रो (L&T), IHI इंफ़्रास्ट्रक्चर, देवू इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन और टाटा लिमिटेड ने मिलकर किया है। यह देश का सबसे लंबा पुल है।
इस पुल में पेरिस के एफ़िल टॉवर से 17 गुना ज्यादा स्टील लगा है। अटल सेतु को इंजीनियरिंग का एक नमूना बताया जा रहा है। यह पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बना है। अटल सेतु को बनाने के लिए कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें पहली बार किसी पुल के निर्माण में ऑथोंट्रॉपिक स्टील डेक का इस्तेमाल हुआ है।
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कैसे है यह इंजीनियरिंग का नमूना- How is this engineering example
बहुत से विशेषज्ञ और इंजीनियर इस पुल को इंजीनियरिंग मार्बल कह रहे है। ऐसा इसलिए है, क्योकि यह एशिया और भारत के अंदर समुद्र के ऊपर बना सबसे लंबा पुल है साथ ही इसकी गिनती दुनिया के टॉप पुल के साथ हो सकती है। जो भारत के अंदर पहले कभी नहीं किया गया। जैसे अर्थोट्रोपिक स्टील डेस्क जो एक बड़ा जो बड़ा स्पेन देने में मदद करती है। यह आवाज और वाइब्रेशन को कम करने का कार्य करता है। पुल के ऊपर पावरफुल आरएफआईडी स्कैनर लगाए गए है। इस पुल के ऊपर 400 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है।
देश के सबसें लंबे अटल ब्रिज पर एक तरफ से 250 रुपये टोल वसूला जाएगा। समुद्र के जिस हिस्से में यह पुल बनाया गया हैं, वहां राजहंस पक्षी (Flamingo) हर सर्दियों में आते है। इसे ध्यान में रखते हुए पुल के किनारे साउंड बैरियर लगाय गया है। साथ ही इसे बनाते समय ध्वनि प्रदूषण को कम करने का भी ध्यान रखा गया। MMRDA का दावा है कि पिछले साल राजहंस की संख्या में बढ़ोतरी हुई थी।
यह सुनिश्चित के लिए एक व्यू बैरियर लगाया गया है। कि कोई भी इस पुल से भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की तस्वीरें या वीड़ियो न ले। इसके अलावा ऐसी लाइटें लगाई गई है जो सिर्फ पुल पर ही गिरती है और समुद्री जीवों को नुकसान नहीं पहुंचातीं। मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक पर प्रतिदिन 70,000 से अधिक वाहनों का आवागमन होने की उम्मीद है।
तीसरी मुंबई का सपना साकार होगा- The dream of third Mumbai will come true
एमटीएचएल ने नवी मुंबई के उल्वे से दक्षिण मुंबई के बीच यात्रा के समय को 2 घंटे से घटाकर आधा घंटा कर दिया है। आकाश से देखने पर यह 21.8 किमी लंबा समुद्री लिंक एक गर्भनाल की तरह दिखाई देता है। जो मुंबई के द्वीप शहर को भीतरी इलाकों से जोड़ता है। अगर सबकुछ योजना के अनुसार रहा तो, मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक या अटल सेतु, तीसरी मुंबई को जन्म देने में मदद करेगा।
इस ब्रिज के खुलने से उरण-उल्वे और उसके आसपास तीसरी मुंबई बसाने का सपना भी मूर्त रूप ले सकेगा। मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डिवेलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) को इसकी प्लानिंग अथॉरिटी के रूप में नियुक्त किया गया है। इसी साल के अंत तक नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन जाने के बाद इस इलाके का समग्र विकास आसानी से हो सकेगा।
इतने दशक क्यों लग गये बनने में- Why did it take so many decades to be made?
इस ब्रिज को बनाने की कल्पना सबसे पहले साल 1962 में कई गई थी। और यह दक्षिण मुंबई के सेवरी से नवी मुंबई के चिर्ले तक बनाया जाना था। लेकिन इस ब्रिज की फिजिविलिटी रिपोर्ट बनाने में महाराष्ट्र सरकार को 34 साल लग गए। उसके बाद भी यह बनना शुरु नहीं हो पाया। लेकिन 2017 में एमएमआरडीए ने इसे रिवाइव किया और साल 2018 से इस पर काम शुरु हुआ। 7500 मजदूरों ने दिन रात मेहनत करके पांच साल में इस ब्रिज का निर्माण किया। इसके बन जाने से काफी ईधन की बचत होगी क्योंकि अब उतनी ही दूरी तय करने में कम पेट्रोल खर्च होगा। इसके बन जाने से मुंबई को ट्रैफिक से भी निजात मिलेगा।
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विकास का सेतु- Bridge of development
यह जरुर थोड़ा अफसोसजनक है कि मुंबई के इन दोनों छोरों को जोड़ने की जो कल्पना करीब साठ साल पहले की गई थी। वह अब जाकर साकार हो पायी है। जिससे करीब 70,000 हजार लोगों की लिए दो घंटों की रुटीन कष्टप्रद यात्रा अब करीब बीस मिनट के सुगम और फर्राटेदार सफर में तब्दील हो जाएगी। इसमें समय के साथ-2 ईधन भी बचेगा। हालांकि पारिस्थितिकी और खासकर स्थानीय मत्स्यपालन पर पड़ने वाले इसके असर के बारे में अभी बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता। अभी इसे न सिर्फ मुंबई की नई जीवन रेखा बताया जा रहा है।
बल्कि कहा तो यह भी जा रहा है कि यह पुल मुंबई और नवी मुंबई के बाद तीसरी मुंबई की संभावना को आखिरकार साकार करेंगा। जिससे देश की आर्थिक राजधानी मौजूदा 140 अरब डॉलर से बढ़कर 250 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था हो जाएगी। यहीं नहीं, इससे मुम्बई से पुणे, गोवा और दक्षिण भारत की यात्रा का समय भी कम हो जाएगा। जब शिवड़ी-वर्ली एलिवेटेड कॉरिडोर, ईस्टर्न फ्री-वे मैरीन ड्राइव टनल और नवी मुंबई अतंरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण पूरा हो जाएगा। ये सारी परियोजनाएं अगले पांच साल में पूरी होने की उम्मीद है।
अटल सेतु वस्तुतः ढांचागत विकास के मोर्चे पर केंद्र की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का ही एक और उज्जवल दृष्टांत है। हाल के वर्षों में हमने असम के ब्रह्रमपुत्र नदी पर बोगिबिल के पास सबसे बड़े रेलरोड़ ब्रिज बनते और पूर्वोत्तर भारत से लेकर जम्मू-कश्मीर तक के रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पुलों और सुरंगों का निर्माण होते हुए देखा है। भारत अगर एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर है, तो वह ढांचागत क्षेत्र के व्यापक विकास से ही संभव है। हालंकि इस प्रक्रिया में पर्यावरणीय मानकों पर भी उतना ही ध्यान रखना होगा।
धन्यवाद…
अटल सेतु पर जाने के लिए कितना टोल लगेगा?
कार के लिए सिंगल जर्नी का टोल 250 रुपये है, रिटर्न जर्नी के लिए 375 रुपये, डेली पास के लिए 625 रुपये, और मंथली पास के लिए 12500 रुपये देने होंगे।
अटल सेतु के निर्माण में कितना समय लगा और इसमें कौन-कौन सी विशेषताएं हैं?
अटल सेतु का निर्माण साल 2018 में शुरु हुआ था और कोविड-19 के कारण आठ महीने की देरी होकर इसे 4.5 साल में पूरा किया गया। इसमें 21.8 किमी लंबा पुल है और यह भूकंपरोधी भी है।
अटल सेतु के नाम से किस पुल को भी जाना जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस पुल का और नाम “अटल बिहारी वाजपेयी सेवारी-न्हावा शेवा अटल सेतु” है। इसका मुख्य उद्देश्य मुंबई को गोवा हाईवे, मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे, और अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़कर शहरों के बीच की दूरी को कम करना है।