“Manipur incident- हम दुनिया में एक ऐसे देश के रुप मे विख्यात है, जो अपने देश को माँ कहकर संबोधित करते है, हम अपने देश को भारत माता कहते है। पर अभी कुछ दिनों पूर्व घटी मणिपुर घटना (Manipur incident) ने हमारी इस छवि को नुकसान पहुंचाया है। सरकार व प्रशासन पूरी तरह से उस मामले मे नतमतस्तक नजर आये। जिस तरह से उस मामले मे महिलाओं के बलात्कार के बाद उन्हे नग्न करके पूरे गांव मे घुमाया गया वह किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नही है। इस घटना ने मणिपुर ही नही पूरे भारतवर्ष की छवि को दागदार किया है।
हमारे देश मे महिलाओँ के लिए कई कानून है पर फिर भी इस तरह की घटनायें हो जाती है और प्रशासन सिर्फ तमाशा देखता रह जाता है। निर्भया केंस के बाद कानून में कई बदलाव हुए पर नतीजा आजतक शून्य ही है। एक और बात है कि चाहे वो भारत है या कोई और देश महिलाएं हमेशा आसान टारगेंट रहती है, हिंसा हो या कोई युद्ध इस सब के बीच हमेशा महिलाओं को टारगेंट किया जाता है और उनका शोषण किया जाता है।”
मणिपुर हिंसा की शुरुआत (Beginning of Manipur incident)-
इस घटना पर तब बात होनी शुरु हुई जब इस घटना से जुड़ा एक वीडियों सोशल मीडिया पर 19 जुलाई को वायरल होने लगा। उसके बाद पूरे देश मे हड़कम्प बच गया। यह वीडियों कुछ 2 महीनें पुराना बताया गया। जिसमें पूरी भीड़ महिलाओं को नग्न करके पूरे गांव में घुमा रही है। इस घटना को अंजाम देने वाले लोंग मैतेयी समुदाय से तालुल्क रखतें है, और वीडियों मे दिख रही महिलाएं कुकी समुदाय से तालुल्क रखती है। इससे राज्य मे मैतेयी समुदाय के लिए और नफरत का माहौल बन गया।
वीड़ियों आने की टाइंमिग पर भी सवाल खंड़े हो रहे है। क्योकि वीड़ियों लगभग 2 महीने पुराना है और वायरल अब हो रहा है। यह साफ दर्शाता है कि मामला सिर्फ नफरत भड़काने का था। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो चुका है। किसी को राज्य में घट रहे उपद्रव से मतलब नहीं है। सब सिर्फ अपनी चुनावी रोटियां सेंकना चाहते है। पीड़ितों में से एक ने कहा कि उन्हे “पुलिस ने भीड़ के पास छोड़ दिया”।
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पृष्ठभूमि (background)-
मणिपुर म्यामार से लगती सीमा है। जहाँ से अवैंध घुसपैठ की समस्य़ा है। कुकी समुदाय म्यामार में भी रहता है। जो घुसपैंठ करके मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र में बस रहा है।
मैतेय समुदाय बड़े पैमाने पर हिन्दू है, इसमे मुस्लिम, बौद्द और मूल सनमाही अनुयायी भी शमिल है। आबादी का 53 प्रतिशत है। मणिपुर के भूमि सुधार अधिनियम कानून के तहत वे स्थानीय जिला परिषदों की अनुमति के अलावा उन्हे राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में बसने की अनुमति नही है। जबकि आदिवासी आबादी कुकी व नागा को जो कि राज्य की आबादी का 40 प्रतिशत है, वे राज्य के 90 प्रतिशत भाग वाले पहाड़ी क्षेत्र मे बसें है। और इन्हे घाटी मे भी प्रतिबधित नही किया गया है।
राज्य में जो आंदोलन मैतेयों को एसटी का दर्जा देने के हाईकोर्ट के फैसले के बाद शुरु हुआ था वह अब एक नया मोड़ ले चुका है।
19 जुलाई 2023 ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमे कुकी समुदाय की दो महिलाओं को लगभग 100 लोगों की भीड़ द्वारा जबरन नग्न अवस्था में घुमाते हुए दिखाया गया है। यह घटना 4 मई 2023 की है, जो एक मैते महिला के बलात्कार और हत्या की फर्जी खबर प्रसारित होने के बाद शुरु हुई। पुलिस के अनुसार, जब कुकी समुदाय की दो पुरुष और तीन महिलाएं जब अपने जिलें से भागने की कोशिश कर रहे थे, तो उसी समय मैतेय समुदाय की भीड़ ने उन्हे पकड़ लिया। पहले दोनो पुरुषों को भीड़ ने मार ड़ाला और महिलाओं को अपने कपड़े उतारने पर मजबूर किया।
जिसके बाद एक महिला के साथ निर्ममतापूर्वक सामूहिक बलात्कार किया गया। पीड़ितों के अनुसार पुलिस के लोगो ने उन्हे भीड़ के पास छोड़ दिया। इस मामले में पहली गिरफ्तारी वीडियों वायरल होने के बाद हुई। सरकार ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए ट्विटर से वीडियो हटाने को कहा। राज्य मे दो महीनों से इंटरनेट बंद था जिससे घटना को इतने दिनों तक छुपाने में मदद मिली। मुख्यमंत्री एन वीरेन सिह ने इस तरह की सैकड़ो घटनाओं का हवाला देते हुए राज्य में इंटरनेट प्रतिबंध के अपने फैसले को सही ठहराया। कई लोगो ने इंटरनेट बंद होने को गलत बताया जिससे की घटना को कई दिनों तक छुपाने में मदद मिली।
20 जुलाई को मणिपुर पुलिस ने बताया की उसने केस से जुड़े चार अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है।
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प्रतिक्रियाएं (reactions)-
वीडियो वायरल होने के बाद कई पक्षों की प्रतिक्रियाएं सामने आयी है।
- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कार्रवाई की चेतावनी देते हुए जवाव दिया, कि सरकार कार्रवाई करें अन्यथा हम हस्तक्षेप करेगे।
- समाचार पोर्टल न्यूजलॉन्ड्री ने बताया की राष्ट्रीय महिला आयोग को इस घटना की जानकारी थी क्योकि जून के महीने में उन्हे शिकायत मिली थी, पर उन्होने इसें नज़रअंदाज किया।
- सांसद शशि थरुर ने राष्ट्रपति शासन की मांग की उनके अनुसार भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार राज्य में कानून व्यवस्था बनाने में विफल रही।
- बेगलुरु के मेट्रोपॉलिटन आर्कबिशप पीटर मचाडो ने चिंता व्यक्त की ईसाई समुदाय सुरक्षित नही है, उनके अनुसार सत्रह चर्चो को या तो तोड़ दिया गया या अपवित्र कर दिया गया।
- ओंलपिक पदक विजेता मुक्केबाज मैरीकॉम ने ट्वीट कर गृहराज्य के लिए मदद मांगी।
- भाजपा के विधायक, दिंगागलुंग गंगमेई ने मैते लोगो को एसटी जनजाति सूची में जोड़ने के हाईकोर्ट की सिफारिश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर की।
- बीजेपी के 8 सहित सभी 10 कुकी विधायकों ने एक बयान जारी कर हिंसक जातीय झड़पो के मद्देनजर भारत के संविधान के तहत अपने समुदाय को प्रशसित करने के लिए एक अलग निकाय की मांग की।
- प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा इस घटना ने भारत को शर्मसार किया है और दोषियों को बख्शा नही जाएगा।
अलगाव की भावना (feeling of alienation)-
इस मुद्दे को लेकर विपक्षी सरकार पर पूरी तरह से हावी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दोनो पक्षों के नेताओं से संवाद शुरु किया है। तो वही विपक्षी सांसदो ने भी मणिपुर जाने का फैसला लिया है। गृह मंत्रालय ने कुकी विद्रोही समूहों के साथ भी बातचीत की है। ये वे समूह है जिनका पहलें भी सरकार से शांति समझौता हुआ है। पर इन विद्रोहियों का हाथ हिंसा भड़काने मे भी है।
शुरुआत बातचीत में इन समूहों ने मणिपुर से अलग प्रशासन की बात की है। पहले ये अलग क्षेत्रीय परिषद चाहते थे, पर अब यह अलग प्रशासन चाहते है। हालही मे हुई घटनाओं ने अलग प्रशासन और अलग रहने की मांग को बल दिया है। कुकी को अलग प्रशासन देने के मतलब यह की मणिपुर के अंदर ही जातीय आधार पर विभाजन।
जब मिलकर रहना चाहिए और कुछ हल निकालना चाहिए तो अलग रहने की मांग हो रही है। मैतेई तो आरोप लगा रहे है कि हिंसा तो एक बहाना थी कुकीयों का असली मकसद अलग प्रशासन की मांग करना था। सच यह है कि कुकीयों ने मैतेई को पहाड़ो से और मैतेई ने कुकीयों को इंफाल घाटी से खदेड़ दिया है।
दोनो समुदायों के नेताओं को एक साथ बिठाकर बातचीत करनी चाहिए। भारत देश और देशभक्ति के विचार को सामने रखकर बातचीत करनी चाहिए।
क्या हमारे नेता इस मुद्दे पर मिलकर मणिपुर के लोगों के घावों पर मरहम लगा पाएंगे। देश हो या समाज संवाद और समन्वय से ही बनता है।
मणिपुर में प्रमुख समुदाय अभी बंटे हुए है और उनके बीच बढ़ रही दरार हर किसी को चिंतित कर रही है। यह सही नही कुकीयो को खुलेआम समर्थन दिया जाए या मैतेई के पक्ष मे नारे लगाये जाये। अभी कुकी या मैतेई के लिए अलग-अलग सोचने की नही बल्कि एक मणिपुरी या आम भारतीय के लिए सोचना चाहिए। मणिपुर मे विश्वास की खाई बहुत गहरी हो गई है इसलिए जरुरी है कि पहले उनके बीच पहले विश्वास की खाई बहाल हो। और दोनो समुदायों को एक दूसरे पर भरोसा कायम हो।
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आगे क्या (what next) –
अब इस केस को केन्द्र सरकार ने सीबीआई को सौप दिया है। इस मामले में मुकदमा पड़ोसी राज्य असम में चलाने की मांग की जाएंगी। एक स्वंतत्र जांच कमेटी की मांग वाली अर्जी सीजेआई के पास भी गई है।
महिलाओं के खिलाफ बढ़ती अराजकता (growing anarchy against women)-
भारत हो विश्व का कोई और देश जब किसी जगह किसी भी प्रकार की हिंसा या युद्ध होता है तो महिलाओं का उत्पींड़न शुरु हो जाता है। भारत मे महिलाओं के लेकर अनेंक कानून बने हुए है, पर महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते जाते है, निर्भया केस के बाद भी महिलाओं के लिए कानून में कई तरह के बदलाव किये गये, पर आज भी हिंसा, बलात्कार जैसी घटनायें आम है।
इसकी एक कारण सिस्टम का सही तरीकें से काम न करना है। व अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटना है। बलात्कार भारत में महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे बड़ा अपराध है।
सांप्रदायिक दंगों के दौरान कई तरह के बलात्कार हुए है। चाहे वह 2002 में गोधरा ट्रेन जलने के दौरान गुजरात के कुछ हिस्सों मे दंगाइयों द्वारा बलात्कार करना हो या 2013 मे मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान तेरह बलात्कार और हमले के केस दर्ज किये गये।
हिंदी हार्टलैड़ जैसें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़ मे अन्य राज्य में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की ज्यादा घटनाएं होती है। महानगरीय क्षेत्रों दिल्ली सबसे ऊपर आती है। रेप के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान मे दर्ज किए गये। नेशनल क्राइम रेकॉर्ड्स के अनुसार भारत मे हर दिन औसतन 86 रेप के मामले दर्ज होते है। यानि हर 2 मिनट में रेप की 3 घटनाएं होती है। यह शर्मनाक है।
भारत जैसे देश मे जहां स्त्री का एक विशेष स्थान है। हमारे सस्कारों मे जहां स्त्री का स्थान एक देवी का है। वहां इस तरह की घटनाएं अशोभनीय है। इसके लिए हमारा पूरा लॉ सिस्टम, सरकार, प्रशासन व समाज जिम्मेदार है। समाज अपनी इज्जत और शर्म के खातिर कभी-कभी पुलिस में रिपोर्ट ही दर्ज नही कराता। यहां पीड़ित को यह एहसास दिलाया जाता है कि उसकी ही गलती से यह सब हुआ है। लेकिन जब रेप केस मे पीड़ित की आयु 5 साल,1 साल, 10 साल नजर आती है। तो यह सब बात भी बेईमानी नजर आती है। ऐसी सोच भी इसके लिए जिम्मेदार है।
पुलिस सिस्टम और लॉ अपना काम ठीक से नही करतें। एक तो एफआईआर देर से दर्ज होती है। उसके बाद केस को कई सालों तक ठेला जाता है। जिससें समाज मे कानून का डर समाप्त हो जाता है। सालों की प्रकिया के बाद अगर किसी अपराधी को सजा होती भी है तो वह नाकाफी है। क्योकि तब तक न्याय दम तोड़ चुका होता है।
जवाहरलाल नेहरु (प्रथम प्रधानमंत्री के तौर पर अच्छें या बुरें)
क्या होना चाहिए (What should be)-
निर्भया केस के बाद कई तरह के फास्ट ट्रैक कोर्ट की बात की गई, पर सब बातें ही नजर आती है। निर्भया केस मे भी अपराधियों को सजा मिलतें 7 साल लग गये। सजा मे देरी से और कानून की लापरवाही से अपराधियों के हौसलें बुलंद होते है।
होना ये चाहिए कि हमें ज्यादा से ज्यादा फास्ट ट्रैक कोर्ट बनानी चाहिए। और महिलाओं से जुड़े हर मामलें की सुनवाई उन्ही कोर्ट में होनी चाहिए। हमें एक ऐसा सिस्टम तैयार करना चाहिए कि किसी भी महिला के बलात्कार, शोषण, मर्डर, एसीड़ अटैक इत्यादि केस की सुनवाई उन्ही स्पेशल कोर्ट मे हो। और इन सब प्रकिया मे सिर्फ 6 महीनें से लेकर 1 साल का समय लगना चाहिए। और अपराधियों के पास सीमित इन केसों मे सीमित अधिकार दियें जाने चाहिए।
जैसे हर एक कोर्ट में उन्हे अपील करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए इससे भी बहुत समय नष्ट होता है। उन्हे पैरोल मे नही दिया जाना चाहिए। जब हम इन केसों मे अपराधियों को समय पर सजा देगें और पीड़ितो को समय पर न्याय तभी हम इन केसों मे कमी ला पायेंगें।
मणिपुर का केस हो या कोई अन्य केस या चेतावनी है पूरे देश को कि इस तरह के घटनाएं दुबारा न हो। देश मे कोई राज्य हो या किसी की सरकार हो हर कोई इस मामले से सीख ले कि ऐसी घटनाएं न हो क्योकि या न सिर्फ उनके अपने राज्य के लिए बल्कि सपूर्ण भारतवर्ष के लिए सही नहीं है।
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जय हिन्द, वन्दे मातरम…
Q1: विश्व में मंहिलाओं पर हिंसा क्यों बढ़ रही है?
Answer: मंहिलाओं पर बढ़ती हिंसा के पीछे कई कारण हैं, जैसे पूर्वाग्रह, पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्त्री को कमजोर मानना, शिक्षा की कमी, मानसिक समस्याएं, समाज में बुज़दिली आदि।
Q2: मणिपुर घटना क्या है और इसके पीछे के कारण क्या हैं?
Answer: मणिपुर घटना एक भयानक हिंसा का नाम है जिसमें मंहिलाओं के साथ अत्याचार और उत्पीड़न की गई। इसमें समुदायिक विवाद, नृशंसता और संस्कृति के विभिन्न तंत्रों का प्रभाव शामिल हो सकता है।
Q3: समाज में मंहिलाओं के सुरक्षा के लिए क्या किया जा रहा है?
Answer: मंहिलाओं के सुरक्षा को लेकर विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने कई पहल की हैं। साक्षमता विकास, शिक्षा, वैधानिक संरक्षण, सामुदायिक सशक्तिकरण, और पुलिस की ताक़तवर प्रवेश इसमें शामिल हैं।
Q4: एक समाज के रूप में हमें क्या करना चाहिए ताकि हिंसा को रोका जा सके?
Answer: हिंसा को रोकने के लिए हमें समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए, और मंहिलाओं के सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना चाहिए। समाज में संवेदनशीलता को बढ़ावा देना, विज्ञान और शिक्षा को प्रोत्साहित करना, और सभी को बढ़ती हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए सहयोग करना महत्वपूर्ण है।
Q5: हम कैसे सक्रिय रूप से इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं?
Answer: हम इस मुद्दे को ध्यान में रखकर समाज में चर्चा कर सकते हैं, विभिन्न आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक स्तर पर योजनाएँ बना सकते हैं और अपने नेतृत्व के माध्यम से परिवार और समुदाय को जागरूक कर सकते हैं। हमें मंहिलाओं के अधिकारों का समर्थन करना और संबंधित संस्थानों और एकाधिकार संगठनों के साथ सहयोग करना भी महत्वपूर्ण है।