“मालदीव (Maldives) हिंद महासागर में स्थित एक ऐसा द्वीपीय देश जो अपने सुदंर बीचों के लिए जाना जाता था। आजकल अपने भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर है। हालही में यहां के सत्तारुढ़ पार्टी के तीन नेताओं द्वारा भारत व भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर किये गये आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद मालदीव भारतीयों के रडार पर आ गया। भारतीयों का गुस्सा इस कदर मालदीव पर निकला कि वो अब इसे पचा नही पा रहा है। मालदीव के नेताओं के ये आपत्तिजनक बयान पीएम मोदी के हालियां लक्षद्वीप के दौरे के बाद आया है।”
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मालदीव का इतिहास-History of Maldives
मालदीव का इतिहास व्यापक भारतीय उपमहाद्वीप और आसपास के क्षेत्रों के इतिहास से जुड़ा हुआ है। मालदीव द्वीप समूह, आधिकारिक तौर पर मालदीव गणराज्य हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है। जो मिनिकॉय आईलैण्ड और चागोस द्वीपसमूह के बीच 26 प्रवाल द्वीपों की एक दोहरी चेन जिसका फैलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है।
मालदीव के प्रवाल द्वीप लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर में फैला क्षेत्र सम्मिलित करते है। जो इसे दुनिया के सबसे पृथक देशों में से एक बनाता है। इसमें 1,192 टापू हैं, जिसमें से 200 पर बस्ती है। मालदीव गणराज्य की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है माले, जिसकी आबादी 103,693 है। मालदीव जनसंख्या और क्षेत्र, दोनों ही प्रकार से एशिया का सबसे छोटा देश है। समुद्र तल से ऊपर, एक औसत 1.5 मीटर (4फीट 11 इंच) जमीनी स्तर के साथ यह ग्रह का सबसे लघुतम देश है।
मालदीव के मौखिक, भाषाई और सांस्कृतिक परंपरा और रिवाज का तुलनात्मक अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है। कि यहां पहले बसने वाले लोग द्रविड़ थे। यह संगम अवधि (बीसीई 300-300 सीई) में केरल से यहां आए थे। यह शायद दक्षिण पश्चिम तट के मछुआरे थे, जो अब भारतीय उपमहाद्वीप का दक्षिण और श्रीलंका का पश्चिमी तट है।
ऐसा एक समुदाय गिरावारु लोगों का है जो प्राचीन तमिलों के वशंज है। पूंजी की स्थापना और माले के आलीशान शासन के बारे में प्राचीन कथाओं और स्थानीय लोक कथाओं में वर्णन किया है। उन्हें द्वीप पर बसने वाला सबसे पहला समुदाय माना जाता है। एक स्पष्ट तमिल-मलयालम अधःस्तर के साथ तमिल जनसख्या और संस्कृति की एक मजबूत परत मालदीव समाज में मौजूद है। जो जगह के नाम, जाति के शब्दों, कविता, नृत्य और धार्मिक विश्वासों में भी दिखाई देती है।
कुछ लोगों का तर्क है कि गुजराती भी प्रवासन की पहली परत में थे। गुजरात से समुद्रीय काम सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान शुरु हुआ। जतका और पुराण में इस समुद्री व्यापार के प्रचुर साक्ष्य मिलते है। यहां के जो प्राऱभिक निवासी थे वह दक्षिण एशियाई हो सकते है। कहा जाता है, भारत के सिंहली के निर्वासित राजकुमार विजया का आगमन मालदीव में 543-483 बीसीई के बीच हुआ।
बौद्ध धर्म, मालदीव में सम्राट अशोक के प्रसार में वहां आया और 12वीं शताब्दी एडी तक मालदीव के लोगों का प्रमुख धर्म बना रहा। प्राचीन मालदीव राजाओं ने बोद्ध धर्म को बढ़ावा दिया और पहला मालदीव लेखन और कलात्मक उपलब्धिया विकसित मूर्तिकला और वास्तुकला के रुप में इसी अवधि से है। इस्द्हू लोमफानू अभी तक की मालदीव पर पाये जाने वाली सबसे पुरानी ताम्र पत्तर पुस्तक है।
यह किताब 1194 एडी में सिरी फेन्नाधीत्था महा रडून (दहिनी कलामिन्जा) के शासनकाल के दौरान लिखी गई थी। इसकी पहली पत्तर को छोड़कर बाकी दिवेही अकुरु के एवेला के रुप में है। मालदीव में ऐसा माना जाता है कि तुसितेस माकरी जो कि वहां की पौराणिक कथाओं में युद्ध के परमेश्वर माने जाते थे। अगर कोई नेता जिसने ताज पहने हुए गलत काम किया है तो उसे वे पकड़ लेते थे।
12वीं शताब्दी में इस्लाम मालदीव द्वीपसमूह तक पहुंचा था। अरबों और फारसियों के व्यापारियों के रुप में अहम होने की वजह से इस्लाम यहां पहुंचा था। खोजकर्ताओं और इतिहासकारों के अनुसार यहां के मूल निवासी मुस्लिम नहीं थे। मालदीव में सबसे पहला शख्स भारत से था। इस्लाम का प्रभाव यहां बहुत बाद में हुआ है।
हालांकि कुछ इतिहासकारों का तर्क है कि मालदीव इससे भी पहले सिंधु घाटी सभ्यता काल के दौरान बसा हो सकता है। लेकिन पुरातात्विक खुदाई में मालदीव में मिली कलाकृतियाँ यहां पहले हिंदू धर्म के ठोस सबूत प्रस्तुत करती है।
17वी. शताब्दी में अल्लामा अहमद शिहाबुद्दीन द्वारा लिखित किताब फाई अथार मिधु अल-कादिमा (मीधु के प्राचीन खंडहरों पर ) में कहा गया है कि मालदीव के पहले निवासियों को धेविस के नाम से जाना जाता है। और वे भारत के कालींबगा (राजस्थान) से आए थे।
किताब में ये भी कहा गया है कि इस द्वीप में इस्लाम धर्म के फैलेने से पहले यहां बौद्ध धर्म ही प्रचलित था। जो ईसापूर्व तीसरी शताब्दी के दौरान सम्राट अशोक के विस्तार अभियान का हिस्सा रहा हो सकता है। इतिहासकारों के मुताबिक, मालदीव में खोजे गए अधिकांश पुरातात्विक अवशेष बौद्ध स्तूपों है। जिनकी संरचनाएं अर्धगोलाकार है और जिनका उपयोग बोद्ध भिक्षओं और ननों द्वारा ध्यान और मठों के लिए किया जाता था।
मालदीव में इस्लाम का उदय कोई अप्रत्याशित तरीके से नहीं हुआ। बल्कि 12वीं शताब्दी के दौरान अरब व्यापारियों के यहां आने से शुरु हुई। अरब व्यापारी तब के बौद्ध राजाओं से मेलजोल बढ़ाने लगे। बाद में खोजी गई तांबे की प्लेटों के अनुसार, मालदीव के बौद्ध राजा धावेमी कलामिंजा सिरी थिरीबुवाना-आदित्था महारादुन ने 1153 या 1193 में इस्लाम अपना लिया। उसके बाद से यहां इस्लाम का प्रसार शुरु हुआ।
इतिहासकारों के मुताबिक, परंपरागत रुप से मालदीव हिंदू से बौद्ध राष्ट्र में बदला फिर 12वीं शताब्दी के आसपास इसका रुपांतरण इस्लाम में हो गया। इतिहासकारों ने इसका श्रेय अबू अल-बराकत यूसूफ अल-बारबारी को दिया है। कुछ लोग मालदीव के इस्लामीकरण का श्रेय मोरक्को से आए बारबरी को देते है।
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मालदीव की अर्थव्यवस्था- Economy of Maldives
मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन है। वहां की जीडीपी का ज्यादातर हिस्सा पर्यटन से आता है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान भारत से आने वाले पर्यटकों का है। साल 2021 में पर्यटन सें मालदीव को लगभग 3.49 बिलियन का रेवेन्यू मिला था। वैसे और भी क्षेत्र है जो इसकी अर्थव्यवस्था में योगदान देते है जिनमें प्रमुख है-मछली पकड़ना और शिपिंग।
मालदीव का आर्थिक स्वतंत्रता स्कोर 46.6 है, जो इसकी अर्थव्यवस्था को 2023 सूचकांक में 160वां सबसे मुक्त बनाता है। इसका स्कोर पिछले साल से 0.7 अंक कम हो गया है। मालदीव एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 39 देशों में से 36वें स्थान पर है। और इसका समग्र स्कोर विश्व और क्षेत्रीय औसत से नीचे है।
दीर्घकालिक सतत विकास की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए सुधारों की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार और संपत्ति अधिकारों की कमजोर सुरक्षा जैसी संस्थागत कमियों के कारण निजी क्षेत्र के निरंतर विकास और विविधकरण में महत्वपूर्ण बाधाएं बनी हुई है। सरकार अभी भी राज्य के स्वामित्व वाले उघमों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में एक बड़ी भूमिका निभाती है।
मालदीव की मिश्रित अर्थव्यवस्था प्रणाली है। यह चीन के ऊर्जा प्रावधानों के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के पास मालदीव की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति का परिणाम है। नतीजतन, चीन ने मालदीव सरकार पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए लगातार अपने आर्थिक संसाधनों का उपयोग किया है।
मालदीव में पर्यटन सकल घरेलू उत्पाद का 28 प्रतिशत और मालदीव की विदेशी मुद्रा प्राप्तियों का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। खेती योग्य भूमि की सीमित उपलब्धता और घेरलू श्रम की कमी के कारण कृषि और विनिर्माण अर्थव्यवस्था में एक छोटी भूमिका निभाते है। अधिकांश मुख्य खाघ पदार्थ आयात किये जाते है।
मालदीव में उघोग में मुख्य रुप से परिधान उत्पादन,नाव निर्माण और हस्तशिल्प शामिल है। जो जीडीपी का लगभग 18 प्रतिशत है। मालदीव के अधिकारी निचले देश में कटाव और संभावित ग्लोबल वार्मिग के प्रभाव को लेकर चिंतित है।
मालदीव के 1190 द्वीपों में से केवल 198 पर ही लोग रहते है। जनसंख्या पूरे देश में बिखरी हुई है। और सबसे बड़ी सघनता राजधानी द्वीप, माले पर है। पीने योग्य पानी और कृषि योग्य भूमि पर सीमाएं, साथ ही भीड़भाड़ की अतिरिक्त कठिनाई, माले मे परिवारों द्वारा सामना की जाने वाली कुछ समस्याएं है।
मालदीव की राजनीति- Politics of Maldives-
1968 में जनमत सग्रह में मालदीव को सरकार की कार्यकारी, विधायी और न्यायिक शाखाओं वाला एक गणतंत्र बनाने वाले संविधान को मंजूरी दी गई। संविधान में 1970, 1972, 1975 और 1997 और फिर 2008 में संशोधन किया गया।
इब्राहिम नासिर 1968 से पहले सल्तनत के प्रधानमंत्री थे। उसके बाद 1968 से 1978 तक राष्ट्रपति के पद पर रहे। उनके बाद मौमून अब्दुल गयूम आए। जो 1978 में राष्ट्रपति चुने गए और 1983, 1988, 1993, 1998 में फिर से चुने गए। अब्दुल गयूम 2008 में अपने अंत में एशिया में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले नेता थे।
2003 के बाद से मालदीव ने राजनीतिक सुधारों, अधिक स्वतंत्रता और यातना और उत्पीड़न को समाप्त करने के लिए कई सरकार विरोधी प्रदर्शनों का अनुभव किया। इन गतिवधियों के परिणामस्वरुप, जून 2005 को वहां राजनीतिक दलों को अनुमति दे दी गई।
पंजीकरण कराने वाली पहली पार्टी एमडीपी थी जिसका नेतृत्व मोहम्मद नशीद और मोहम्मद लतीफ जैसे लोकप्रिय विपक्षी नेता कर रहे थे। अगली पार्टी तत्कालीन राष्ट्रपति गयूम की अध्यक्षता में धिवेही राययथुंगे पार्टी थी।
अगस्त 2008 में एक नए संविधान को मजूंरी दी गई। जिससे दो महीने बाद देश के पहले बहुदली राष्ट्रपति चुनाव का मार्ग प्रशस्त हुआ।
अभी हाल ही में 30 सितंबर 2023 को, विपक्षी उम्मीदवार मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव के दूसरे दौर में मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह को 54 प्रतिशत वोट से हराकर जीत हासिल की।
17 अक्टूबर 2023 को मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव गणराज्य के आठवें राष्ट्रपति के रुप में शपथ ली।
मालदीव की एकसदनीय मजलिस पांच साल के कार्यकाल के लिए 87 सदस्यों से बनीं है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों की कुल संख्या उस निर्वाचन क्षेत्र की कुल जनसंख्या पर निर्भर करती है।
मालदीव की कानूनी प्रणाली मुख्य रुप से पारंपरिक इस्लामी कानून से ली गई है। 2008, के नए संविधान के तहत, स्थानीय सरकार का कार्य प्रत्येक एटोल का प्रशासन करने के लिए एक एटोल परिषद और प्रत्येक बसे हुए द्वीप का प्रशासन करने के लिए एक द्वीप परिषद को सौप दिया गया है। द्वीप पार्षद प्रत्येक द्वीप के लोगों द्वारा चुने जाते है, और एटोल पार्षद बदले में द्वीप पार्षदों द्वारा चुने जाते हैं। मालदीव के संविधान में मालदीव में राष्ट्रपति के लिए मालदीव का नागरिक होना और ऐसे माता-पिता की संतान होना जो मालदीव के नागरिक हो। और जो किसी विदेशी देश का नागरिक भी नहीं है। मुस्लिम होना और इस्लाम के सुन्नी स्कूल का अनुयायी होना।
भारत-मालदीव के संबध- India-Maldives relations-
भारत और मालदीव के संबध का दौर बहुत पुराना रहा हैं। भारत, मालदीव के लिए हमेशा मददगार ही रहा है। भारत और मालदीव के रिश्ते को कुछ इस तरह से समझते है-
- रक्षा क्षेत्र- दोनों देशों के बीच एकुवेरिन, दोस्ती, एकथा और ऑपरेशन शील्ड जैसे रक्षा सहयोग अभ्यास शामिल हैं। मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बल के लिये सबसे बड़ी संख्या में प्रशिक्षण प्रदान करता हैं। जो उनकी लगभग 70 प्रतिशत रक्षा प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करता हैं।
- पुनर्वास केन्द्र- भारत तथा मालदीव ने अड्डू पुनर्ग्रहण और तट संरक्षण परियोजना के लिये एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये है। भारत की सहायता से यहां एक ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन और पुनर्वास केंद्र तैयार किया गया है।
- आर्थिक सहयोग- पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार रहा है। यह देश अनेंकों भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनकर उभरा है। अगस्त 2021 में एक भारतीय कंपनी, एफकॉन्स ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी ढ़ांचा परियोजना के लिये एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये, जो ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है। 2021 में भारत मालदीव का तीसरा बड़ा साझेदार रहा है।
- मूलढांचा परियोजना- भारतीय क्रेडिट लाइन के तहत हनीमाथू अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा विकास परियोजना के तहत एक वर्ष में 1.3 मिलियन यात्रियों को सेवा प्रदान करने के लिये एक नया टर्मिनल जोड़ा जाएगा।
समय-समय पर भारत द्वारा मालदीव में चलाये गये विभिन्न ऑपरेशन-
- ऑपरेशन कैक्टस 1988- इस मिशन के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने मालदीव में सेना द्वारा किये जा रहे तख्तापलट की कोशिशों को नाकाम करने में वहां की सरकार की मदद की थीं।
- ऑपरेशन नीर 2014- इस के तहत भारत सरकार ने मालदीव की प्यासी जनता को पानी की उपलब्धता कराई थीं।
- ऑपरेशन संजीवनी- कोरोना काल में भारत नें ऑपरेशन संजीवनी के तहत मालदीव को 6.2 टन वैक्सीन की आपूर्ति की थीं।
भारत-मालदीव संबंधों में चीन का मुद्दा- China issue in India-Maldives relations
- हिंद महासागर में मालदीव अन्य देशों के तरह चीनी ऋण का लालची रहा है।
- मालदीव में बड़े पैमाने पर चीन ने निवेश किया है और वह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में भागीदार बन गया है। चीन स्ट्रिंग ऑफ द पर्ल्स पहल के हिस्से के रुप में मालदीव में बंदरगाहो, हवाई अड्डों, पुलों और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढ़ाँचे के विकास सहित विभिन्न परियोजनाओं के वित्तपोषण एवं निर्माण में भूमिका निभाई है।
- मालदीव में चीन समर्थित सरकार बनने पर उसकी विदेश नीति ने अचानक यूर्टन लिया है। मालदीव के इस बदलाव ने भारत के अपने पड़ोस के देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव के प्रति सर्तक किया है।
- भारत ने मालदीव और अन्य हिंद महासागर देशों के साथ अपने राजनयिक व रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया है। इसने संबद्ध क्षेत्र में अपने व्यापक प्रभाव के लिये आर्थिक सहायता प्रदान की है, आधारभूत अवसंरचना परियोजनाएं शुरु की हैं एवं रक्षा सहयोग का विस्तार किया है।
- भारत का उद्धेश्य अपने पड़ोस के देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना है।
- वर्ष 2023 तक इसमें मिठास देखी गई। जब तक मालदीव में सन् 2018 में चुनकर आयी इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार थी। जिनकी विदेश नीति भारत की तरफ मैत्रीपूर्ण थीं। सोलिह की सरकार ने भारत व चीन के साथ संतुलित संबध स्थापित किये थे।
- प्रमुख समुद्री मार्गों के साथ हिंद महासागर में मालदीव की रणनीतिक स्थिति, इसे भारत और चीन दोनों के लिये रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण बनाती है। परिणाम स्वरुप दोनों देश वहां अपना प्रभाव स्थापित करने हेतु प्रयासरत रहेंगे।
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हिंद महासागर में मालदीव की स्थिति- Position of Maldives in the Indian Ocean
- मालदीव, हिंद महासागर में स्थित एक टोल गेट है। इस द्वीप श्रृंखला के दक्षिणी और उत्तरी हिस्सों में संचार के दो महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग स्थित है।
- ये समुद्री मार्ग पश्चिम एशिया में अदन की खाड़ी और होर्मुज की खाड़ी एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में मलक्का जलसंधि के बीच समुद्री व्यापार के लिये प्रमुख है।
- इसकी भौतिक अवस्थिति में मुख्य रुप से प्रवाल भित्ति और एटोल शामिल है तथा अधिकांश क्षेत्र विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
- मालदीव मुख्य रुप से निचले द्वीपों का एक द्वीपसमूह है। जो बढ़ते जलस्तर के कारण खतरे में पड़ गया है।
- लक्षद्वीप द्वीप समूह को मालदीव से आठ डिग्री चैनल पृथक करता है।
हाल ही में हुई घटनाएं- Recent events
अभी हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के साथ एक विवाद उत्पन्न हुआ है। जिससे भारत और मालदीव के बीच खराब रिश्ते में एक और डोर पड़ गयीं। इस विवाद को पंख तब लगें जब मालदीव के युवा कार्य मंत्रालय के तीन उप-मंत्रियों ने पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के संदर्भ में भारत और पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणियाँ की। इसके बाद से सोशल मीडिया पर भारत के लोग भड़क गये। और एक्स पर बॉयकाट मालदीव ट्रेड करने लगा।
भारत कई तरीके से मालदीव की मदद करता है। पर जिस तरीके से वहां के मत्रियों ने भारत व पीएम मोदी पर कटाक्ष किया वह एक सभ्य देश की निशानी नहीं है।
भारत मालदीव में पर्यटकों के सबसे बड़े स्त्रोतों में सें एक है। जो अपनी अर्थव्यवस्था के संचालन के लिये पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर है। वर्ष 2023 में मालदीव में पर्यटक भेजने वाले देशों में भारत शीर्ष पर रहा जिसकी बाजार हिस्सेदारी लगभग 11.8 प्रतिशत थी। 2023 में लगभग 3 लाख लोग भारत से मालदीव घूमने गये थे। सिर्फ यहीं एक क्षेत्र नहीं जिसमें भारत उनकी मदद करता है। बल्कि भारत ने हर मौके पर मालदीव की मदद की है।
इन मंत्रियों ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य मालदीव के पर्यटन को नुकसान पहुंचाना है। जो अपनी समुद्र तट सुविधाओं के लिये प्रसिद्ध है।
इस मुद्दे को भारत ने मालदीव की सरकार के समक्ष उठाया जिसके बाद इन मंत्रियो को सस्पेड़ कर दिया गया।
इस विवाद के कारण कई भारतीयों ने अपनी मालदीव यात्रा रद्द कर दी। यह घटना भूभाग में अतिराष्ट्राद के खतरों को रेखांकित करती है।
इस विवाद के संभावित प्रभाव मालदीव पर्यटन उघोग के लिये चिंता का विषय है। क्योकि इसके बाद भारतीयों का वहां जाना कम हो सकता है।
मालदीव में इंडिया आउट अभियान- India Out campaign in Maldives
- इंडिया आउट अभियान वहां की अभी की सरकार का सत्ता में आने का सलोगन था। जिसके आधार पर उसे मालदीव की सत्ता हासिल हुई। इसमें मालदीव में भारत के निवेश व दोनो देशो की साझेदारी को खत्म करने की पूरी क्षमता है।
- हाल ही में चुनी गई मालदीव सरकार पूर्व सरकार की इंडिया फर्स्ट नीति का इस हद तक विरोध करती है। कि भारतीय सैनिकों की वापसी के मुद्दे को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्ज के चुनाव घोषणापत्र में शामिल किया गया था।
- अभी हाल ही में राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत को 15 मार्च तक अपने सैनिकों को मालदीव से निकालने को कहा है। क्योकि वे इसे मालदीव के लिये खतरा मानते है।
- वहां की इस समय की सरकार पूरी तरह से अपने संबंधों को भारत के साथ खत्म करना चाहती है। और खुद को चीन के साथ जोड़ना चाहती है।
आगें क्या-
हाल ही में हुई घटनाएं बताती है कि आने वाले समय में मालदीव का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा होने वाला है। यह भारत के लिये चिंता का विषय है। क्योकि चीन, भारत को उसके पड़ोसियों के जरिए घेरना चाहता है।
मालदीव एक कमजोर अर्थव्यवस्था का देश है, जिसकी कुल जीड़ीपी 6 बिलियन के आस-पास है। अगर वह चीन के दिये कर्ज के जाल में फंस जाता है तो उसका भी हाल श्रीलंका जैसा होगा और उसके बाद वह भी अपने पोर्ट चीन को देना शुरु कर देगा। जैसा श्रीलंका ने चीन को एक बंदरगाह दे रखा है। यह भारत के लिये सिरदर्द साबित होगा। क्योकि मालदीव हमारे दक्षिणी हिस्से के काफी नजदीक है।
भारत मालदीव को ऐसे ही चीन के पाले में नहीं जाने दे सकता। हमें इसके लिए व्यापक रणनीति से काम करने की जरुरत है। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और हिंद महासागर में भारत के प्रभुत्व का विषय है।
साथ ही भारत को अपने पर्यटन क्षेत्रों पर भी ध्यान केन्द्रित करने की जरुरत है। भारत के पास गोवा, केरल, अड़मान एवं निकोबार और लक्षद्वीप सरीके और भी अनगिनत नगीने है। जिसे हमें पूर्णत विकसित करने की जरुरत है। जिससे की हमारे पर्यटन का विकास हो।
धन्यवाद…
प्रश्न: मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार क्या है?
उत्तर: मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन है, जिससे यहां का ज्यादा हिस्सा आता है।
प्रश्न: मालदीव के इतिहास में कौन-कौन से धर्म प्रचलित रहे हैं?
उत्तर: प्राचीन काल में मालदीव में हिंदू और बौद्ध धर्म प्रचलित थे, लेकिन 12वीं शताब्दी के आसपास इस्लाम का प्रसार हुआ।
प्रश्न: मालदीव की आर्थिक स्वतंत्रता स्कोर क्या है और इसमें कौन-कौन सी बाधाएं हैं?
उत्तर: मालदीव की आर्थिक स्वतंत्रता स्कोर 46.6 है, और इसमें भ्रष्टाचार और संपत्ति अधिकारों की कमजोर सुरक्षा जैसी संस्थागत कमियों के कारण बाधाएं हैं।
प्रश्न: मालदीव और भारत के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग कैसे है?
उत्तर: भारत और मालदीव के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग के रूप में एकुवेरिन, दोस्ती, एकथा, और ऑपरेशन शील्ड जैसे अभ्यास शामिल हैं। मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बल को भारत प्रशिक्षित करता है और आपसी सहायता प्रदान करता है।
प्रश्न: मालदीव को भारत से कौन-कौन से आर्थिक सहायता प्राप्त है? q
उत्तर: मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन पर है, और भारत ने इसे विभिन्न प्रकार से सहायता की है। भारत ने अड्डू पुनर्ग्रहण और तट संरक्षण परियोजना में योजनाएं बनाई हैं, और एफकॉन्स के साथ सबसे बड़ी बुनियादी ढ़ांचा परियोजना में भी सहयता की है।