जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru): भारत के प्रथम प्रधानमंत्री का जीवन परिचय | एक अद्वितीय नेता की कहानी | महत्वपूर्ण घटनाएं | नेहरु (Nehru) के बारे में सामान्य जानकारी | नेहरु (Nehru) के नेतृत्व में हुए कुछ गर्वनिय कार्य
“भारत की आजादी के समय हर किसी के मन मे यह ख्याल था कि कौन भारत का नेतृत्व करेगा, हर कोई इस बात से अवगत था कि जो व्यक्ति आजादी के वक्त काग्रेस की अध्यक्षता में शीर्ष पर होगा वही भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। उसी समय गांधी जी ने अपनी पंसद के रुप मे नेहरू को चुना। उनका मानना था कि इससे सारे काग्रेसी भी नेहरु (Nehru) को अपना लीड़र मान लेगे।
लेकिन हुआ इसका उल्टा जब लीड़र चुनने की बात आयी तो 15 प्रदेश काग्रेस कमेटी मे से 12 ने सरदार वल्लभभाई पटेल को अपना लीड़र चुना, और बाकी 3 ने वोटिग मे हिस्सा ही नही लिया। फिर गांधी जी के आग्रह पर पटेल जी ने अपना नाम स्वयं वापस ले लिया। और इस तरह नेहरु (Nehru) बने भारत के पहले प्रधानमंत्री।”
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नेहरु का जीवन परिचय (Life introduction of Nehru) –
जवाहर लाल नेहरु (Nehru) का जन्म 14 नवम्बर,1889 को प्रयागराज मे हुआ। इनके पिता ‘मोती लाल नेहरु’ एक बैरिस्टर थे और कश्मीरी पंडित भी। इनकी माता ‘स्वरुपरानी धुस्सू’ जो कि एक कश्मीरी बाह्राण परिवार से थी। इनके तीन बच्चे नेहरु (Nehru)और दो बेटियाँ विजया लक्ष्मी पंड़ित(सयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष) और कृष्णा हठीसिंग एक लेखिका थी।
इनकी शिक्षा दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविघालयों मे हुयी। स्कूली शिक्षा हैरों से और कालेज की शिक्षा ट्रिनिटी कालेज से पूरी की थी और लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज से पूरी की।
1912 मे भारत वापस आकर वकालत शुरु की। 1916 मे कमला नेहरु से शादी हुई।
1917 मे होमरुल लीग मे शामिल हुये। और 1919 मे गांधी जी के संपर्क मे आये। 1920-22 मे असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया।
दिसम्बर 1929 मे लाहौर अधिवेशन में काग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया, जहाँ सबसे पहले ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग की गई। नेहरु (Nehru) काग्रेस के अध्यक्ष 1936 और 1937 मे भी बनें पर इसमे कई लोगों को नजरअदांज करके उन्हे काग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। जिनमें प्रमुख नाम सरदार पटेल का भी था।
प्रथम प्रधानमंत्री के रुप में (As the first Prime Minister)-
वैसे तो नेहरु (Nehru) प्रधानमंत्री के रुप मे काग्रेस की पहली पंसद नही थे, पर गांधी जी के आग्रह पर प्रधानमंत्री पद की पहली पंसद वल्लभभाई पटेल और दूसरी पंसद जेबी कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया। और नेहरु (Nehru)बने देश के पहले प्रधानमंत्री। अग्रेजों ने भारत को 15 अगस्त 1947 को भारत को 500 देंशी रजवाड़ों के साथ आजाद किया।
इनकों देश में शामिल करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उस वक्त देश के गृहमंत्री रहें सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने। आन्तरिंक मामलों को सरदार पटेल ही देंख रहे थे। लेकिंन एक मसला कश्मीर का यह नेहरु (Nehru)जी ने ही ड़ील किया। और वे इसमे सफल नही रहें।
कश्मीर प्रकरण (Kashmir issue)-
कश्मीर मामला जो कि आज बहुत उलझा हुआ हैं इस प्रकरण मे नेहरु(Nehru) जी का ही योगदान था। जब कश्मीर पर पाक आर्मी के दारा प्रोत्साहित लोकल कबाईलीय लोगों ने अटैंक किया और इसके जवाब में वहाँ के महाराजा हरि सिह के आग्रह पर जब भारतीय आर्मी ने वहाँ वापस से उन कबीलों को पीछे खदेड़ना शुरु किया। तब वह नेहरु ही थे जो कश्मीर मसलें को लेकर यूएन चले गयें। जब भारतीय आर्मी पूरे कश्मीर को लेने वाली थी। उसी समय यूएन ने सीजफायर घोषित कर दिया। और यह स्थिति आज भी बनी हुई है।
यह मसला नेहरु के कारण ही उलुझा अगर वह समय सरदार पटेल व बाकी सब की बात मान कर यूएन न गये होते तो आज पूरा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होता।
Bhagat Singh- Young Pride Pride |भगत सिंह- युवा गौरव अभिमान
ग्वांदर बंदरगाह प्रकरण (Gwandar Port Case)-
ग्वांदर पोर्ट जो इसमें पाकिस्तान के पास है जो कि पाक की सीपीईसी प्रोजेक्ट का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर 1947 में यह पोर्ट ओंमान के सुल्तान के पास हुआ करता था, जो आजादी के बाद इसें भारत को देना चाहते थे, पर उस समय नेहरु जी ने उनका यह ऑफर ठुकरा दिया, क्योकि उस समय ग्वांदर एक फिशिग पोर्ट से ज्यादा कुछ नही था। नेहरु उस समय भारत की विदेश नीति भी देख रहे थे, पर यह उनकी अदूरदर्शिता का नतीजा था कि पाकिस्तान के खिलाफ एक महत्वपूर्ण पोर्ट भारत के हाथ से निकल गया। इसके फलस्वरुप इस पोर्ट को 1948 मे ओमान ने पाकिस्तान को बेंच दिया।
अन्य प्रंकरण (other episodes)-
कुछ रिपोर्ट के अनुसार सन् 1950 मे अंमेरिका ने भारत को चीन के स्थान पर यूएन का स्थायी सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया था। पर नेहरु ने उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया क्योकि वे उस समय चीन के साथ भारत के सम्बन्धों को महत्व दे रहे थे। अगर उन्होनें उस समय यह ऑफर मान लिया होता तो भारत आज यूएन का स्थायी सदस्य होता। और चीन उसके किसी भी प्रस्ताव को ब्लॉक न कर रहा होता।
एक और प्रकरण मे जिसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की माने तो एक ऑफर भारत को नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन वीर विक्रमशाह की और से सन् 1950 को दौर मे भी आया था जब उन्होनें नेपाल को भारत मे शामिल करने की इच्छा जाहिर की थी। पर तब भी वो नेहरु ही थे जिन्होनें आदर्शो का हवाला देते हुए उस ऑफर को भी ठुकरा दिया।
चीन के खिलाफ बड़ी भूल (big mistake against china) –
भारत ने 1949 में चीन की स्थापना के बाद ही उससें अपने मधुर करने शुरु कर दिये थे। सन् 1954 में दोनों देशों के बीच पंचशील सिद्दात के बाद से ही हिन्दी-चीनी भाई भाई का नारा आम हो गया। पर इसके उल्ट चीन ने पहले तिब्बत को कबजाया। उसके बाद उसने अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश की सीमाओं और दलाई लामा के भारत में शरण दिये जाने के सवाल पर सन् 1962 मे भारत के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। इसके लिए न नेहरु और न भारत दोनों तैयार नही थे।
नतीजा यह हुआ कि चीन भारत के काफी अन्दर तक घुस गया और युद् की समाप्ति के बाद भी उसने अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया। ये नेहरु के लिए बड़ा फेंलियर साबित हुआ। हालांकि इस प्रकरण मे उनके साथ ही तत्कालीन रक्षामंत्री वी.के. कृष्णा मेनन भी थे। जिन्होने भारत के रक्षा को मजूबत करने में ध्यान नही दिया।
और भी कई प्रकरण है जिनमें उनकी अदूरदर्शिता देखने को मिलती है। पर कई अच्छी चीजें भी है जो उन्होने प्रधानमंत्री रहते भारत के लिए कियें।
नेहरु द्वारा तैयार नया भारत (New India prepared by Nehru) –
देखा जायें तो आजादी मे काग्रेंस के अधिवेशन में सबसे पहले वो नेहरु ही थे, जिन्होने 1929 में लाहौर अधिवेशन मे उनकी अध्यक्षता में पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी। जो कि उस समय गांधी जी और भी कई बड़े नेता भी अग्रेजों से सिर्फ ड़ोमिनियन स्टेटस की मांग रखते थे। उन्होनें आजादी से पहले के अपने जीवनकाल के 9 साल जेल मे बताये थे।
- 13 दिसम्बर 1946 में सविंधान सभा मे उनके द्वारा पेश किये गये उद्देश्य प्रस्ताव ने ही सविधान की रुपरेखा तैयार की। भारत की आजादी मे उनका अलग स्थान है। और सभी को उसका सम्मान भी करना चाहिए।
- 1947 के बाद जिसं तरह से भारत की स्थिति थी। उस समय उसे ऐसे लीड़र की जरुरत थी जो उसे एक रख सकें। जो काम नेहरु ने 17 वर्षो तक किया। भारत की आजादी के साथ ही उसे मिली भूखमंरी, अशिक्षा, विभाजन का दर्द और भी कई चीजे।
- नेहरु चीन हो या पाकिस्तान किसी के साथ युद् नही चाहते थे। वह भारत को ग्लोबल इमेंज एक एगरेसिव नेशन की नही दिखाना चाहते थे। वह नये बने भारत को युद् मे नहीं ढेकलंना चाहते थे। वह चाहते थे कि भारत के चीन से अच्छे संबध हो और पाकिस्तान के केस में वह यूएन चले गयें। पर चीन व यूएन दोनों ने उन्हे निराश किया।
- 1950 में नेहरु की लीड़रशिप में ही भारत को चुनाव आयोग मिला। और देश में हायर ऐजुकेशन को बढ़ाने के लिए 1950 में आईआईटी, 1955 एनडीए, 1956 में एम्स, और 1961 मे आईआईएम जैसे सस्थानों की स्थापना की गई। जिनकी अहमियत आज भी बनीं हुई है।
- सांइस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र मे भी डीआरडीओं ओर इंसरों भारत को इन्ही के कार्यकाल में मिले।
- एटांमिक एनर्जी कमींशन में भी बनाया गया जिसनें भारत का पहला एटांमिक रिएक्टर अप्सरा और थुम्बा से छोड़ा गया पहला रॉकेट बनाया।
- भारत की अर्थव्यवस्था ने पंचवर्षीय मांड़ल को अपनाया। जो कि यूएसएसआर से लिया गया था। कई डेमेस और पीएसयूस का निर्माण भी किया गया। इनमे भांगड़ा नागल डैंम प्रमुख है। कई पीएसयूस जैसे- बीएचईएल, ओएनजीसी,एलआईसी, इंडियन ऑयल का निर्माण किया गया जो कि आज भारत के महारत्न है।
- नेहरु कश्मीर के मुद्दे पर पूरी तरह से फेल साबित हुए। उस समय सम्पूर्ण देश का एंकीकरण हो रहा था। इसकी जिम्मेदारी सरदार पटेल बखूबीं निभा रहे थे। बस कश्मीर ही वो क्षेत्र था जिसे नेहरु जी खुद देख रहे थे, परन्तु इसे वह सही से संभाल न सकें।
- जब कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना ने हमला कर दिया और वहां के राजा हरि सिंह से यह स्थिति नहीं संभाली गयी तो उन्होंने भारत से मदद मांगी। उस समय सरदार पटेल ने हस्ताक्षेंप करते हुए पहले तो कश्मीर का भारत में विलय सुनिश्चित किया और सबसे पहले कश्मीर के महाराज से विलय सन्धि पर हस्ताक्षर लिये। उसके बाद भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर की तरफ कूच कर दिया। भारतीय सेना के पहुंचते ही पाकिस्तानी सेना भाग खड़ी हुई। भारतीय सेना पूरे कश्मीर को भारत में शामिल करने करीब थी। पर उसी समय नेहरु नें इस मुद्दे को लेकर यूएन चले गये। जिससे कश्मीर में सीजफायर हो गया। इससे दोनों तरफ की सेनाएं जहां थीं उन्हें वहीं रोक दिया गया। जिससे कश्मीर के एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के कब्जें में चला गया। और आजतक यह उसी के कब्जें में है।
ये सिक्के के दो पहलू है अच्छे भी बुरे भी अब आप बताइये नेहरु आपकों कैसें लगे अच्छे या बुरें। कुछ मायनों में वह भारत के लिए सहीं थे। पर कुछ मायनों में वह बुरी तरह असफल रहें। कमेंट बाक्स में इसको लेकर हमें अपने सुझाव जरुर दें।
धन्यवाद…
Q1: किसने आजादी के समय भारत का प्रतिनिधित्व किया था?
A1: आजादी के समय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरु ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
Q2: कौन भारत के पहले प्रधानमंत्री थे?
A2: जवाहरलाल नेहरु भारत के पहले प्रधानमंत्री थे।
Q3: नेहरु का जन्म कब हुआ था?
A3: जवाहरलाल नेहरु का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को हुआ था।
Q4: नेहरु की शिक्षा कहाँ हुई थी?
A4: नेहरु की शिक्षा उत्कृष्ट स्कूलों और विश्वविद्यालयों में हुई थी, उन्होंने कैम्ब्रिज से लॉ की डिग्री प्राप्त की थी |
Q5: नेहरु किसके द्वारा प्रधानमंत्री बनाए गए थे?
A5: नेहरु को गांधी जी द्वारा कांग्रेस की प्रमुख पंसद के रूप में प्रधानमंत्री बनाया गया था।
Q6: नेहरु द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य क्या थे?
A6: नेहरु ने आईआईटी, एनडीए, एम्स और आईआईएम जैसे प्रमुख संस्थानों की स्थापना की और भारत की अर्थव्यवस्था, डैम्स, पीएसयूस, और एटॉमिक एनर्जी कमीशन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
Q7: नेहरु के लिए अच्छे या बुरे कैसे माने जा सकते हैं?
A7: नेहरु के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य हुए, लेकिन कुछ मसलों में उनकी नीति सफल नहीं रही हैं। यह विवेचना व्यक्तिगत मताधिकार पर आधारित होगी।