“इज़राइल-फिलिस्तीन (Israel-Palestine) विवाद आज का नहीं बल्कि जब से इज़राइल (Israel) बना है तब से (पचहत्तर वर्ष पूर्व) है. जब यहूदी समुदाय अपना खुद का देश बनाने के लिए अपने पूर्वजों की धरती पर वापस आये. इजराइल का आधुनिक राज्य फिलिस्तीन की जमींन पर 1948 में यहूदी लोगों के लिए एक मातृभूमि के रुप में स्थापित किया गया था. इस क्षेत्र में यहूदियों के अलावा कई अन्य धर्मों का भी इतिहास है. इज़राइल को पवित्र भूमि का हिस्सा माना जाता है.
यहां तीन प्रमुख एकेश्वरवादी धर्म- यहूदी, इस्लाम, ईसाइयत के धर्मस्थल मौजूद है। स्वतंत्र अरब और यहूदी राज्य में विभाजित करने का जो प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 मई 1948 को पारित किया वह आज तक कई अरब नेताओं ने माना ही नहीं। यहां पे हमेशा दो देश प्रणाली को प्राथमिकता दी जाती है, इज़राइल इसे मानने को तैयार भी है पर फिलिस्तीन और कई और मुस्लिम देशो को इससे आपत्ति है।”
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इज़राइल का इतिहास-History of Israel
इन सब चीजों की शुरुआत होती है, 1047 ईसापूर्व से उस समय यह किगंड़म ऑफ इजराइल हुआ करता था. और इसकी राजधानी येरुशलम हुआ करती थी। यहां पर यहूदी रहा करते थे और वहां के राजा सोलोंमन थे। इसी येरुशलम में किंग सोलोंमन ने यहूदियों का पहला टेम्पल बनवाया जिसका नाम रखा गया टेम्पल माउंट। इसी टेम्पल में यहूदी हर रोज पूजा किया करते थे।
जिस जगह पर आज इज़राइल की मौजूदगी है वहां एक वक्त पर तुर्की के ओटोमान साम्राज्य का कब्जा हुआ करता था। प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की की हार के बाद इस इलाके में ब्रिटेन का कब्जा हो गया। ब्रिटेन उस समय वक्त एक बड़ी शक्ति के रुप में स्थापित था और दूसरे विश्वयुद्ध तक ये इलाका ब्रिटेन के कब्जे में ही रहा।
दूसरे विश्वयुद्ध में ब्रिटेन को काफी नुकसान उठाना पड़ा। साल 1945 में इस क्षेत्र को ब्रिटेन ने यूनाइटेड नेशन को सौंप दिया। 1947 को यूनाइटेड नेशन ने इस भाग दो हिस्सों में विभाजित कर दिया। एक अरब राज्य और एक यहूदी स्टेट इज़राइल। यरुशलम शहर को अंतराष्ट्रीय सरकार के प्रबंधन के अंतर्गत रखा गया। उसके अगले ही साल इज़राइल ने अपनी आजादी की घोषणा कर दी। इसी के साथ ही 14 मई 1948 में दुनिया में एक यहूदी स्टेट की स्थापना हुई।
यह देश दक्षिणपूर्व में भूमध्य सागर के पूर्वी छोर पर स्थित है। इसके उत्तर में लेबनॉन, पूर्व में सीरिया और जॉर्डन तथा दक्षिण-पश्चिम में मिस्त्र है। इतिहास और प्राचीन ग्रन्थों के मुताबिक यह क्षेत्र यहूदियों का मूल निवास रहा है. इस क्षेत्र का महत्व ईसाइयत, इस्लाम और यहूदी धर्म में बहुत है। यही से यहूदी पूरे विश्व में फैल गए थे।
उन्नीसवीं सदी के अन्त और बीसवीं सदी की शुरुआत में यूरोप के कई हिस्सों में यहूदियों पर अत्याचार के कारण वे यूरोप से यरुशलम और इसके आसपास के क्षेत्रों में आने लगे। तेल अवीव इज़राइल की राजधानी है। और यहां की भाषा हिब्रू और अरबीक है, जो दाएँ से बाँए लिखी जाती है। इसे पवित्र भूमि भी कहा जाता है। इज़राइल की जनसख्या इस समय 93.6 लाख है। और यहां के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू है।
फिलिस्तीन राज्य-State of Palestine
फिलिस्तीन अरबी दुनिया में स्थापित एक राज्यक्षेत्र है। जो कि लेबनान और मिस्त्र के बीच स्थित था। बाद में इसी क्षेत्र के हिस्से पर इज़राइल की स्थापना की गई। 1948 से पहले यह पूरा क्षेत्र फिलिस्तीन कहलाता था। जो खिलाफत उस्मानिया में स्थापित रहा लेकिन बाद में अंग्रेजों और फ़ांसीसियों ने इस पर कब्जा कर लिया। वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी का क्षेत्र फिलिस्तीन का हिस्सा है। इसकी राजधानी रामल्ला है जो इसका प्रमुख केन्द्र भी है।
बाइबल में फिलिस्तीन को कैन्नन कहा गया है, ग्रीक भाषा में इसे फलस्तिया कहते है। तथा रोमन इस क्षेत्र को जुडया प्रान्त के रुप में जानते थे।
यरुशलम-Jerusalem
यरुशलम एक अन्तराष्ट्रीय क्षेत्र है। ये तीन प्रमुख पन्थ, यहूदी, ईसाई और इस्लाम की पवित्र नगरी है। प्राचीन समय में यह यहूदी राज्य का केन्द्र और राजधानी रहा है। यही यहूदियों का पवित्र मंदिर सोलोमन मंदिर हुआ करता था, जिसे प्रथम मंदिर भी कहते थे। जिसे राजा सोलोमन ने बनवाया था। जिसे रोमनों ने नष्ट कर दिया था। इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। इसके अवशेष आज भी मौजूद है।
यह शहर ईसा मसीह की कर्मभूमि रहा है। ईसा मसीह का मकबरा ‘द चर्च ऑफ द होली सेपल्कर’ यहां स्थित है। दुनियाभर के करोड़ों ईसाइयों के लिए ये धार्मिक आस्था का मुख्य केन्द्र है।
यहीं से पैंगबर मुहम्मद स्वर्ग गए थे। यहां इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल अल अक्सा मस्जिद मौजदू है। इस मस्जिद का उल्लेख कुरान शरीफ में भी मौजूद है।
यहां पर जिस परिसर कभी सोलोमन मंदिर था, अब उस परिसर में मस्जिद, चर्च और सिनेगॉग है। यही पर मुस्लिमों की मस्जिद अल-हरम है जिसे गोल्डन टेम्पल या डोम ऑफ द रॉक कहते है।
यरुशलम में अधिकार को लेकर इजराइल और फिलिस्तीन के बीच कई बार लड़ाई लड़ी गयी है। क्योकि यह तीन धर्मो के लिए महत्वपूर्ण शहर है तो इस कारण से दोनो पक्ष एक-दूसरे से टकराते रहते है।
इजराइल और फिलिस्तीन संघर्ष का इतिहास-History of Israel and Palestine conflict
- इस संघर्ष की शुरुआत 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी के आरंभ से देखी जा सकती है, जब फिलिस्तीन के अन्दर यहुदियों का आप्रवासन शुरु हुआ, जिससे यहां आने वाले यहूदियों और वहां मौजूद अरब आबादी के बीच तनाव की स्थिति बनने लगीं।
- वर्ष 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने बाल्फोर घोषणा जारी की थी जिसमें फिलिस्तीन में यहूदी लोगों के लिए राष्ट्रीय गृह की स्थापना का वादा किया गया था।
- वर्ष 1947 में द्वितीय युद्ध की समाप्ति के बाद संयुक्त राष्ट्र ने एक विभाजन योजना का प्रस्ताव रखा जिसमें फिलिस्तीन को दो हिस्सों यहूदी और अरब राज्यों में बांट दिया गया। यरुशलम को एक अन्तराष्ट्रीय शहर का दर्जा दे दिया गया। इसे यहूदियों ने तो स्वीकार कर लिया, लेकिन अरब देशों ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया, जिससें हिंसा भड़क उठी।
- वर्ष 1948 में इजराइल ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया। जिससे पड़ोसी अरब राज्यों के साथ उसका युद्ध शुरु हो गया। हजारों फिलिस्तीनियों का विस्थापन हुआ। इस विभाजन ने भविष्य के तनाव की नींव रखी।
हमास क्या है?-What is Hamas?
हमास एक इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन से उत्पन्न हुआ संगठन है. जिसकी स्थापना 1987 में पहले फिलिस्तीनी इंतिफ़ादा के समय हुई थी. इंतिफादा एक अरबी शब्द है, इसका अर्थ है कि किसी का विरोध या बगावत करना। इस संगठन को ईरान का समर्थन हासिल है और इसकी सोच मुस्लिम ब्रदरहुड की इस्लामी सोच से मेल खाती है। जोकि 1920 के दशक में मिस्त्र में स्थापित किया गया था।
हमास का मकसद फिलिस्तीन में इस्लाम के शासन को स्थापित करना और इजराइल को नक्शे से हटाना है। इस संगठन को शेख अहमद यासीन नें बनाया था। इजराइल के खिलाफ पहले इंतिफ़ादा यानि विऱोध की शुरुआत यासीन ने ही 1987 में की थीं।
2007 में हमास ने वेस्ट बैंक में सत्ता पर काबिज और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेंशन (पीएलओ) के प्रमुख राष्ट्रपति महमूद अब्बास के लड़ाकों को एक गृह युद्ध शिकस्त दी थी। 2006 में फिलिस्तीन चुनावों में जीत के बाद हमास ने गाजा पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से हमास ने कई बार इजराइल पर हमला किया है।
हमास के पास अल-क़सम ब्रिगेड नामक एक सशस्त्र विंग है, जिसने इजराइल में कई बंदूकधारी और आत्मघाती हमलावर भेजे है। हमास को इजराइल, यूरोपीय संघ, यूएसए, कनाडा और जापान द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। वही हमास को ईरान,कतर, सीरिया और लेबनान में मौजूद आंतकी संगठन हिजबुल्लाह का समर्थन हासिल है। इसके आंतकी कतर सहित मध्य पूर्व के देशों में फैले हुए है।
मोहनदासकरमचंद्र गांधी- व्हाई इज फॉदरऑफ द नेशन
बांरबार संघर्ष और युद्धविराम-Frequent conflicts and ceasefires
इजराइल और हमास के बीच कई बार गंभीर झड़पों की स्थिति पैदा हुई है। इनमें-
- ऑपरेशन कास्ट लीड (2008-2009)
- ऑपरेशन पिलर ऑफ डिफेंस (2012)
- ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज (2014) प्रमुख है।
इन संघर्षो के कारण दोनों पक्षों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है।
यरुशलम में इजराइली नीतियों ने वर्ष 2021 में तनावों को बढ़ाया। जिनमें शेख जर्राह से फिलिस्तीनी परिवारों की योजनाबद्ध बेदखली और अल-अक्सा मस्जिद परिसर तक पहुँच को प्रतिबंधित करना शमिल था।
2021 में भी हमास ने कई इजराइली शहरों पर रॉकेट दागे, जिनमें 12 इजराइलियों की जान चलीं गयीं। इस हमले के बाद इजराइल ने गाजा को अपने हवाई हमलों से वीरांन कर दिया. इस हमले में 250 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए। दोनों पक्षों का युद्ध विराम अमेरिका और अन्य अंतराष्ट्रीय अभिकर्ताओं के समर्थन से मिस्त्र द्धारा कराया गया।
वर्तमान संघर्ष-Current conflict
इस हमले की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हुई जब आंतकी संगठन हमास नें इजराइल पर अचानक हमला कर दिया। इस अचानक किये हमलें में हमास ने इजराइल पर 5000 रॉकेट दांगें। जिसमें इजराइल के 1000 से ज्यादा लोग मारे गए। आंतकी समूह ने कई इजराइली नागरिकों और सैनिकों को भी बंधक बना लिया है। इस हमले को हमास ने ‘अल अक्सा स्टार्म’ नाम दिया।
जवाब में इजराइल ने गाजा पर भारी हवाई हमला शुरु कर दिया है। और एक संभावित जमीनी आक्रमण के लिये अपने सैनिकों की लामबंदी की है। इस हमले में 1900 से ज्यादा हमास आंतकी और फिलिस्तीनी मारे गए है।
इजराइल ने गाजा में आतंकी समूह हमास के खिलाफ जमीनी कार्रवाई शुरु कर दी है। जमीनी कार्रवाई से पहले इजराइल ने 24 घण्टे के अन्दर 10 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनियों को उत्तरी गाजा छोड़नें को कहा। दूसरी तरफ हमास ने लोगों को घरों मे बने रहने को कहा है। फिलिस्तीनियों ने गाजा छोड़ना शुरु कर दिया है। इसराइली सेना भी गाजा में घुस गई है। यूएन के मुताबिक इतने कम समय में विस्थापन गाजा में विनाशकारी होगा। इजराइल ने इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन आयरन स्वॉर्ड नाम दिया है।
इस मुद्दे पर भारत का रुख-India’s stance on this issue
भारत नवंबर 1947 में सयुक्त राष्ट्र की विभाजन योजना का विरोध करने वाले कुछ देशों में से एक था, जिसने कुछ माह पहले ही स्वंतत्रता पायी थी और वह विभाजन के दंश को समझता था। दशकों तक भारतीय राजनीतिक नेतृत्व ने सक्रिय रुप से फिलिस्तीनी मुद्दे का समर्थन किया और इजराइल से पूर्ण राजनयिक संबध स्थापित नहीं किए।
भारत ने वर्ष 1950 में इजराइल को मान्यता दे दी थी, लेकिन वह फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन को फिलिस्तीन के एकमात्र प्रतिनिधि के रुप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश भी था। फिलिस्तीन को भारत ने 1988 में एक देश के रुप में मान्यता दी थीं।
लिंक वेस्ट पॉलिसी के एक हिस्से के रुप में भारत ने वर्ष 2018 में इजराइल और फिलिस्तीन के साथ अंपने सबंधों को अलग-2 देखना शुरु किया। जिससे कि दोनो देशों से परस्पर स्वतंत्र और विशिष्ट संबध विकसित कर सके।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद में इजराइल द्वारा पेश किये गए एक निर्णय के पक्ष में मतदान किया, जिसमें एक फिलिस्तीनी गैर-सरकारी संगठन को सलाहकार का दर्जा देने पर आपत्ति जताई गई थी।
अभी तक भारत ने एक ओर फिलिस्तीन आत्मनिर्णय के प्रति अपनी ऐतिहासिक नैतिक समर्थक की छवि को बनाए रखने की कोशिश की है, तो दूसरी ओर इजराइल के साथ सैन्य, आर्थिक एवं अन्य रणनीतिक संबधों को भी महत्व दिया है।
मेंजर भू राजनीतिक खेल-Major geopolitical game
अभी हाल में ही भारत ने जी-20 की सफल मींटिग सम्पन्न हुई है। इस मींटिग की सबसे बड़ी घोषणा मध्य-पूर्व के साथ आर्थिक और रणनीतिक संबध स्थापित करने के लिए, भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा की गई है। जिसमें भारत, यूएस, इटली, सऊदी अरब, इटली, यूरोपीय संघ शामिल है। इसमें भारत को यूरोप से जोड़ने की योजना की शुरुआत करनी थी। इसके लिए सऊदी अरब और इजराइल के बीच दोस्ती होना जरुरी था। पर हमास के इस हमले के बाद इजराइल और सऊदी अरब की दोस्ती अधर में लटक गई है और साथ ही यह गलियारा भीं।
भारत की अरब और इजराइल दोनों से अच्छी दोस्ती है। अगर यह युद्ध आगे बढ़ता है और अरब देश भी इसमें सलग्न होतें है तो यह भारत के लिए चुनौतियां पैदा कर सकता है।
(हम सनातनी है…) -2023 की द्रष्टि से
क्या चाहते है इजराइल और फिलिस्तीन-What do Israel and Palestine want?
इजराइल-Israel
- इजराइल एक यहूदी देश के रुप में अपनी पहचान और सुरक्षा को बनाए रखना चाहता है। और उसके अधिकार में आने वाले क्षेत्रों पर अपनी आबादी की बसावट और उस पर अपना नियंत्रण चाहता है।
- वह चाहता है, कि फिलिस्तीन उसके अधिकार को चिह्रित करें।
- इजराइल यरुशलम को अपनी राजधानी बनाना चाहता है, और उसके पवित्र स्थलों तक अपनी पहुँच बनाए रखना चाहता है।
फिलिस्तीन-Palestine
- फिलिस्तीन वैस्ट बैक, गाजा पट्टी और पूर्वी यरुशलम मे एक स्वतंत्र एवं संप्रभु राज्य चाहता है, जिस पर 1967 से इजराइल का कब्जा है।
- फिलिस्तीन ये चाहता है कि इजराइल अपनी आबादी को उसकी जगह से हटा ले। और सैन्य कब्जा खत्म करें।
- फिलिस्तीन भी चाहता है कि यरुशलम उसकी राजधानी बनें और उसके पवित्र स्थलों तक उसकी पहुँच हो।
इसका क्या समाधान हो सकता है-What could be the solution to this?
- इसका सबसे प्रस्तावित सॉल्यूशन टू स्टेट सॉल्यूशन है जो सबसे व्यापक रुप से समर्थित प्रस्तावों में से एक है, जो पास्परिक रुप से सहमत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। इसमें इजराइल और फिलिस्तीन दोनों एक ही जमीं पर एक साथ, दो अलग-2 राष्ट्र के रुप में स्थापित हो।
- इस प्रस्ताव का सभी प्रमुख देशों ने समर्थन किया है।
- वन स्टेट सॉल्यूशन- यह दृष्टिकोण एक एकल, द्वि-राष्ट्रीय राज्य की कल्पना करता है जहाँ इजराइलियों और फिलिस्तीनियों दोनों को समान अधिकार एवं प्रतिनिधित्व प्राप्त हो।
- “इसका समाधान चाहे कुछ हो पर आजतक इस जंग का सबसे ज्यादा नुकसान इजराइल और फिलिस्तीन के आमनागिरिकों ने उठाया है। उन्हे इस सब से मुक्ति मिलनी चाहिए। हर जंग में जिस तरह से महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया जाता है, और इसानिंयत को तार-तार किया जाता है वह निदंनीय है। हर जंग में बड़ी पावर, छोटी पावर क इस्तेमाल करती है और इस जंग में भी यही हो रहा है। यूएन जैसी सस्थायें भी इस अवसर पर नतमस्तक नजर आती है। इसका समाधान जल्द से जल्द निकलना चाहिए और आम नागिरकों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। जिससे कि वह बिना किसी भय के रह सके और अपना जीवन जी सकें। दुनिया बारुद के ढ़ेर पर बैठी है, एक चिंगारी और तबाही शुरु। शान्ति बनें रहे यही आशा है।”
- धन्यवाद…
What is the historical background of the Israel-Palestine conflict?
The Israel-Palestine conflict has a history dating back 75 years. It began when Jewish communities returned to their ancestral land to establish the modern state of Israel on Palestinian land in 1948.
What is the significance of Jerusalem in this conflict?
Jerusalem is a city of great importance in the Israel-Palestine conflict. It is considered holy by three major monotheistic religions: Judaism, Islam, and Christianity. The dispute over its control has led to ongoing tensions.
How did the conflict between Israel and Palestine unfold after World War II?
After World War II, the conflict escalated as Jewish immigration to Palestine increased. In 1947, the United Nations proposed a partition plan, dividing the land into Jewish and Arab states, leading to violence and ultimately the establishment of Israel in 1948, which was not accepted by many Arab nations.
What is Hamas, and what are its objectives?
Hamas is an Islamic resistance movement established during the first Palestinian Intifada in 1987. Its primary objectives include establishing Islamic rule in Palestine and ending Israeli presence. Hamas is ideologically aligned with the Muslim Brotherhood and was founded by Sheikh Ahmed Yassin.
How has the ongoing conflict between Israel and Hamas evolved over the years?
The Israel-Hamas conflict has seen multiple intense confrontations, including operations like Cast Lead (2008-2009), Pillar of Defense (2012), and Protective Edge (2014), causing substantial casualties on both sides. The conflict escalated further in October 2023, as Hamas launched rocket attacks on Israel.
What is India’s stance on the Israel-Palestine issue?
India has historically supported the Palestinian cause and recognized Palestine as a state in 1988. However, in recent years, India has sought to balance its relations with both Israel and Palestine, aiming to promote strong ties with both nations and play a role in regional diplomacy, as demonstrated by the G-20 Summit in 2018.