Importance of HINDI Language – हिन्दी भाषा का महत्त्व

“हिन्दी (HINDI) सिर्फ भाषा नहीं है, यह सम्पूर्ण भारतवर्ष का गौरव है। भारत में अनेक भाषाएं बोली जाती है। किन्तु इसमें हिन्दी का अपना अलग स्थान है। कई बार ये बहस उठती है कि हिन्दी को एक राष्ट्रभाषा बना देना चाहिए पर इस मुद्दे को जैसें ही आगें बढ़ाया जाता है। कुछ राजनीतिक तत्व इसका विरोध शुरु कर देते है। कोई इसे उत्तर व दक्षिण में बांट देता है तो कोई इसे अन्य भाषाओं पर हिन्दी को थोपनें की बात करता है।

फिलहाल हिन्दी(HINDI) को भारत की राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। 14 सितम्बर को राष्ट्रीय हिन्दी (HINDI)दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य इस भाषा के प्रति जागरुकता बढ़ाना है। इसे महात्मा गांधी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।”

Hindi-A diverse group of people holding a 'Hindi' banner, symbolizing the significance of the Hindi language
A diverse group of people coming together to emphasize the significance of the Hindi language

हिन्दी भाषा का उदय-Rise of Hindi language

हिन्दी (HINDI)भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना जाता है। प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी (HINDI) साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रुप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से पद्य रचना प्रारम्भ हो गयी थी। हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार अपभ्रंश की अन्तिम अवस्था अवहट्ट से हिन्दी(HINDI) का उद्धव स्वीकार करते है।

आधुनिक हिंदी के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को अपनी भाषा हिंदी से कितना लगाव था। यदि हम हिंदी भाषा के विकास की बात करें तो पिछले सौ वर्षों हिंदी भाषा ने बहुत उन्नति की है।

संस्कृत भारत ही नहीं अपितु विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। इसे आर्यों और देवों की भाषा कहा गया है। हिंदी भाषा, संस्कृत से ही उपजी है।

भारत में संस्कृत भाषा 1500 ई.पू. से 1000 ई. पू. तक प्रचलन में रही। संस्कृत भाषा दो भागों में विभक्त हुई-1-वैदिक,

2- लौकिक। वेदों की रचना जिस भाषा में की गई उसे वैदिक संस्कृत का नाम दिया गया। इनमें वेद और उपनिषद शामिल थे। जबकि लौकिक संस्कृत में दर्शन ग्रंथों का जिक्र आता है। इसमें रामायण, महाभारत, नाटक, व्याकरण आदि ग्रंथ लिखे गए है। संस्कृत के बाद जो भाषा आती है वह पालि भाषा है। पालि भाषा 500 ई.पू. से पहली शताब्दी तक रही और इसी भाषा में बौद्ध ग्रंथों की रचना हुई।

इन ग्रन्थों में बोलचाल की भाषा का शिष्ट और मानक रुप प्राप्त होता है। पालि के बाद प्राकृत भाषा का उदय हुआ। यह पहली शताब्दी से लेकर 500 ई. तक रही। इसी भाषा में जैन साहित्य लिखे गए। उस दौर में प्राकृत भाषा जो बोलचाल की आम भाषा थी वह सहज ही बोली व समझी जाती थी।

उस समय इस भाषा में क्षेत्रीय बोलियों की संख्या बहुत सारी थी, जिनमें शौरसेनी, पैशाची, ब्राचड़, मराठी, मागधी और अर्धमागधी आदि प्रमुख है। प्राकृत भाषा के अन्तिम चरण में अपभ्रंश का विकास हुआ। यह भाषा 500 ई. से 1000 ई. तक रही। अपभ्रंश के ही जो सरल और देशी भाषा शब्द थे उसे अवहट्ट कहा गया और इसी अवहट्ट से हिंदी का उदय हुआ।

कई आधुनिक भारत की भाषाओं और उपभाषाओं का जन्म इसी से हुआ है। जिसमें-

  • शौरसेनी(पश्चिमी हिन्दी, राजस्थानी और गुजराती)
  • पैशाची(लंहदा, पंजाबी)
  • ब्राचड़ (सिन्धी)
  • खस (पहाड़ी)
  • महाराष्ट्री (मराठी)
  • मागधी(बिहारी, बांग्ला, उड़िया और असमिया)
  • अर्ध मागधी (पूर्वी हिन्दी)

हिन्दी के कई विद्धान हिंदी का विकास अपभ्रंश से ही मानते है। वही कई इसका उदय अवहट्ट से मानते है।

हिन्दी को राजभाषा का दर्जा-Status of Hindi as official language

पूरे देश के  देशभक्त कवियों ने अपनी वाणी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हिंदी का सहारा लिया। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में हिंदी और हिंदी पत्रकारिता की बहुत अहम भूमिका रही। महात्मा गांधी सहित अनेक राष्ट्रीय नेता हिन्दी (HINDI)को राष्ट्रभाषा के रुप में देखने लगे थे। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी (HINDI) को भारत की राजभाषा घोषित कर दिया गया।

1918 में हिन्दी (HINDI)साहित्य सम्मेलन में भाग लेते हुए गांधी जी ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए इसे राजभाषा का दर्जा देने की मांग की थीं। गांधी जी नें हिंदी को आमजन की भाषा भी कहा था। स्वतन्त्रता पश्चात् काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि हिंदी को राजभाषा बनाया जाएगा, और इसे भारतीय संविधान के भाग-17 के अध्याय की अनुच्छेद 343(1) में इस प्रकार वर्णित है– कि भारतीय संघ की राजभाषा हिंदी होगी और लिपि देवनागरी।

यह निर्णय 14 सितम्बर को लिया गया, इसी दिन हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार त्यौहार राजेन्द्र सिंह का 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिंदी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था।

Hindi- A diverse group of people holding a 'Hindi' banner, symbolizing the significance of the Hindi language
A diverse group of people coming together to emphasize the significance of the Hindi language

हिन्दी भाषी लोग- Hindi speaking people

बोलने वालो की सख्या के आधार पर अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद हिन्दी(HINDI) भाषा पूरे विश्व में तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। पर अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों में यह संख्या बहुत ही कम है। हिंदी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत प्रभाव है, जिस कारण हिंदी के कई शब्द प्रचलन से हट गए है और उनकी जगह अंग्रेजी शब्दों ने ले ली है।

हिंदी तो अपने घर में ही दासी के रुप में रहती है। कई गैंर हिंदी भाषी राज्य में हिंदी का सिर्फ इसलिए विरोध करते है क्योकि वह लोकल भाषाओं को महत्ता देते है। ये अच्छी बात है कि हर भाषा को महत्व मिलना चाहिए पर एक देश के रुप में हिंदी को अपनाने में भी क्या बुराई है। हिंदी को आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है। इसे विडम्बना ही कहेंगे कि योग को 177 देशों का समर्थन मिला, लेकिन हिंदी के लिए 129 देशों का समर्थन क्या नही जुटाया जा सकता।

अब तो सारे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी हिंदी अंग्रेजी भाषा में लिखी जाती है। कई हिंदी भाषा पट्टी के लोग भी अपने बच्चों को हिंदी की जगह फाड़ू अंग्रेजी का ज्ञान बचपन से ही पिलाना शुरु कर देते है।

इसके लिए हमारी शिक्षा व्यवस्था भी दोषी है। प्राथमिक शिक्षा का हाल तो हमारे देश में वैसे ही बहुत बुरा है। जो भी कुछ प्राथमिक स्कूल अच्छा काम कर रहे है, तो उनको इतना प्रोत्साहन नही मिलता। क्योकि इसमें न तो सरकार का फायदा है न शिक्षा की तस्करी करने वालो का। जो काम हमारे देश में फ्री होना चाहिए था उसी का सबसे बड़ा बिजनेस चलता है। आज धड़ले से कई अंग्रेजी मीडियम स्कूल खुल रहे है। और अंग्रेजी मीडियम के नाम पर मिड़िल क्लास से ये स्कूल छोटे कक्षाओं में भी मोटी धन उगाही कर रहे है।

हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य- Purpose of celebrating Hindi Day

इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि लोगों के समक्ष यह जागरुकता आये कि वे जब तक हिंदी का उपयोग पूर्ण रुप से नहीं करेंगे तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता है। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी का उपयोग किया जाता है।

कई लोग है, जो अपने सामान्य बोलचाल के शब्दों में अंग्रेजी भाषा का उपयोग करते है। हमारे कई फिल्मी कलाकार, टेलीविजन, स्कूल, कॉलेजों में ज्यादातर बोलचाल में अंग्रेजी का उपयोग किया जाता है। हिंदी भाषा को विलुप्ता से बचानें का काम सबकों मिलकर करना होगा।

हिंदी भाषा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 सितम्बर से एक सप्ताह के लिए हिंदी सप्ताह मनाया जाता है। पूरे सप्ताह में अलग-2 प्रकार के आयोजन होते है। इन आयोजनों का उद्देश्य लोगों में हिंदी के मह्त्व को बढ़ाना है।

हिंदी दिवस पर कई पुरस्कार समारोह भी आयोजित किये जाते है। जिसमें कार्य के दौरान अच्छी हिंदी का उपयोग करने वालों को सम्मानित किया जाता है। इसमें राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार प्रमुख है। राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार लोगों को दिया जाता है। जबकि राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी विभाग, समिति आदि को दिया जाता है।

अन्य मुख्य बातें-

  • भाषा का महत्व- हिन्दी दिवस हमें याद दिलाता है कि भाषा हमारे सांस्कृतिक राष्ट्रीय एकता का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सिर्फ एक भाषा मात्र नहीं है, बल्कि हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम भी है।
  • शिक्षा में हिन्दी(HINDI) का स्थान- इस दिन के माध्यम से हमें याद दिलाया जाता है, कि हिन्दी(HINDI) को शिक्षा में उच्च स्तर पर स्थान देना चाहिए। हमारी युवा पीढ़ी को अपनी मातृभाषा के प्रति इस दिन प्रेरित करना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि हिन्दी भाषा एक जरिया असल भारत को समझने का।
  • साहित्यिक योगदान- हिन्दी दिवस साहित्यिक योगदान की महत्वपूर्णता को बढ़ाता है। जिससे की हिन्दी साहित्य का समृद्धि से विकास होता है। यह एक मजबूत साहित्य परंपरा स्थापित करता है।
  • भाषा संरक्षण- इस दिन के माध्यम से हमें यह जागरुकता मिलती है कि हम पर अपनी भाषा को संरक्षित रखने का दायित्व है।
  • राष्ट्रीय एकता- हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने से राष्ट्रीय एकता को भी बल मिलता है। और भाषा के माध्यम से लोगों को जोड़ने में मदद मिलती है।

हिन्दी भाषा के लेकर दक्षिण का रुख-

भारत में हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार हिन्दी भाषी राज्य है। यहां पर हिन्दी भाषा प्रमुख रुप से बोली जाती है। इसके अलावा दक्षिण भारत में तमिल,कन्नड़, महाराष्ट्र में मराठी, गुजरात में गुजराती इस तरह भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है। मगर इन सभी राज्यों में आपको हिन्दी समझने और बोलने वालो की अच्छी खासी संख्या मिल जाएगी।

दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रभाव के बात करें तो यह साल दर साल बढ़ता गया है। हिंदी के बढ़ने में संस्कृति और बॉलीवुड ने भी अहम रोल निभाया है. दक्षिण भारत में बॉलीवुड को लेकर काफी क्रेज बढ़ा है। वहां पर बॉलीवुड की फिल्में काफी सर्च की जाती है। तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश और केरल में 20 फीसदी या 30 फीसदी के बीच गूगल में हिंदी फिल्मों को सर्च किया गया है। भारतीय भाषाओं में हिन्दी को मातृभाषा के रुप में बोलनें वाले लोगों की संख्या में 2001 की जनगणना के एवज में 2011 की जनगणना में बढ़ी है।

दक्षिण भारत में हिंदी विरोधी आंदोलन भी हुए, नौबत यहां तक आ गयी थी कि कर्फ्यू तक लगाना पड़ा था। ये वक्त 1937 का था जब चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की सरकार ने हिंदी का समर्थन करते हुए मद्रास प्रांत में इसे लागू करने का आदेश दे दिया था। लेकिन द्रविड़ कषगम (डीके ) ने इसका विरोध किया था। इससे पहले जब मोतीलाल नेहरु ने 1928 में हिन्दी को सरकारी कामगाज की भाषा बनाने का प्रस्ताव दिया तो तमिल नेताओं ने विरोध किया था।

तमिलनाडु में हिन्दी विरोधी आंदोलन की अगुवाई अन्नादुरैई कर रहे थे। वैसे अब यह स्थिति समय के साथ बदल रही है। अब वहां भी कई हिन्दी भाषी लोग मिल जाते है। किसी भी बदलाव को होने में समय लगता है, और हमें वह समय लोगों को देना चाहिए। तभी हम सफल और शांतिपूर्ण समाज की कामना कर पांयेगें।

दक्षिण भारत में भाषा का विवाद सामाजिक कम राजनीतिक ज्यादा था. और यह कुछ हद तक आज भी कायम है। राजनीतिक दल इसको लेकर हमेशा से मुद्दा बनाते रहे है। हमें हिंदी किसी पर थोपना नहीं है, बल्कि सहजता के साथ उसको उस समाज का हिस्सा बनाना है। दक्षिण में हिंदी के फैलने के आज कई कारण है जैसे- टूरिस्ट, कंपनियां, सिनेमा और साहित्य. इस सभी का अपना-अपना रोल है। जिसके कारण भाषा की सरहदें टूटती नजर आ रही है। आज दक्षिण भारत की फिल्मों को हिंदी भाषी राज्यों में कितना पंसद किया जाता है। तमिल,तेलगू के अलावा इन फिल्मों को हिंदी में भी डब किया जाता है।

हिंदी आज विश्व के तीसरी सबसे बोली जाने वाली भाषा बन गयी है। महात्मा गांधी ने दशकों पहले इस बात को महसूस कर लिया था कि हिंदी का विकास कितना जरुरी है. इसीलिए गांधी जी ने सन् 1918 में दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचार का आंदोलन प्रारंभ किया था। उस समय इसका स्तर सीमित था। मगर गांधी जी चाहते थे कि हिंदी भाषा का विकास भारत के हर कोने में हो। हिंदी के विकास के लिए गांधी जी ने वर्ष 1918 में हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना मद्रास नगर के गोखले हॉल में ड़ॉ. सी. पी. रामस्वामी अय्यर की अध्यक्षता में ड़ॉ ऐनी बेसेंट ने की थी।

ये सस्था आज भी दक्षिण भारत में हिंदी के प्रसार का प्रयास करती रहती है। इसके तहत बहुत सारा साहित्य अनुवाद किया जाता है। रंगमच के जरिए भी हिंदी भाषा को सिखाने पर जोर दिया जाता है। दक्षिण भारत के कई शहरों में आज अच्छी खासी संख्या हिंदी बोलने और समझने वालो की हो गयी है। और समय के साथ इसमें आमूक बदलाव आएगा।

 “हिंदी आमजनमानस की भाषा है, जरुरी यह है कि सिर्फ एक दिन तक न सिमट के रह जाए बल्कि पूरेसाल महत्वपूर्ण रहें। हमें आमलोगों के बीच खासकर बच्चो के बीच हिंदी को बढ़ावा देने की जरुरत है। हमारी जो पीढ़ी है या जो आने वाली पीढ़ी है वह हिंदी को भी अंग्रेजीयत के साथ बोलती है। माहौल ही ऐसा बनता जा रहा है कि चाहे स्कूल हो, कॉलेज हो या कॉरपोरेट दुनिया हर जगह सिर्फ अंग्रेजी का दबदबा है।

जरूरी यह कि अंग्रेजी सिर्फ एक भाषा रहे जो कि जरुरी हो जरुरत न बन जाये। हमारी जरुरत खुद की भाषाओं को बढ़ावा देना है और अपनी आनी वाली पीढ़ी को यह बताना है कि हिंदी में भी वही उन्नति है जो अंग्रेजी मे है।”

धन्यवाद…

प्रश्न 1: हिन्दी की उपयोगिता क्या है?

उत्तर: हिन्दी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह सम्पूर्ण भारतवर्ष का गौरव है, जिसका महत्व सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बड़ा है।

प्रश्न 2: हिन्दी को भारत की राजभाषा क्यों घोषित किया गया?

उत्तर: हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने का निर्णय स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् लिया गया था, और इसे भारतीय संविधान में शामिल किया गया। इस निर्णय के पीछे भारतीय एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का उद्देश्य था।

प्रश्न 3: हिंदी की उत्पत्ति का इतिहास क्या है?

उत्तर: हिंदी की उत्पत्ति का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना जाता है, जो प्राकृत से उत्तराधिकारिणी भाषा के रूप में विकसित हुई। इसके पूर्व प्राकृत, पालि, और अपभ्रंश जैसी भाषाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

प्रश्न 4: हिंदी दिवस क्या होता है?

उत्तर: हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व को साझा करना और उसके प्रयोग को बढ़ावा देना है।

प्रश्न 5: क्या हिंदी भाषा का विकास महत्वपूर्ण है?

उत्तर: हाँ, हिंदी भाषा का विकास महत्वपूर्ण है। हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है, लेकिन उसके प्रयोग में कमी हो रही है। इसका विकास हमारे समाज के साथ हमारे राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 6: हिंदी दिवस पर कैसे सहयोग किया जा सकता है?

उत्तर: हिंदी दिवस पर सहयोग करने के लिए आप हिंदी में लेखन और वार्तालाप को बढ़ावा दे सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित कर सकते हैं और हिंदी मीडियम में शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा स्तर पर सुधार सकते हैं।

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