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“ऐसा लग रहा था कि फ़िल्म की शूटिंग जारी है”
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घटनाक्रम-
घटना केवल दिल्ली की ही नहीं, बल्कि पूरे देश की है! 16 साल की लड़की और 16 बार से अधिक चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर 6 बार पत्थर से सिर भी कुचला गया ! जिससे सिर यानि खोपड़ी भी पूर्ण रूप से टूट गई! “साक्षी और साहिल और जोकि ‘दिल्ली पुलिस की PRO सुमन नलवा’ के मुताबिक दोनों “प्रेम सम्बन्ध” रिश्ते में थे! और शनिवार 27 मई 2023 को किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था और रविवार 28 मई 2022 को साहिल ने साक्षी को मौत के घाट उतार दिया!
मगर साक्षी के परिवार ने साक्षी और साहिल के रिश्ते को गलत ठहराया! बात यें है कि “द केरला स्टोरी” जैसी फिल्मे देश में चाहे कई और बन जाये लेकिन नतीजा शून्य ही रहेगा! क्यूँकि ज़ब तक सनातन धर्म की लड़कियां नहीं सुधरेंगी या जागरूक नहीं होंगी तब तक ऐसी घटनायें घटित होती रहेंगी! और इन सब घटनाओं का कारण कहीं न कहीं राजनैतिक सेकुलरिज्म भी है! ऐसे घटनाओं को रोकने का प्रयास यह भी है कि महिलाओं या लड़कियों के साथ हुईं हैवानियत भरी यह वारदात करने वाले आरोपियों को सार्वजनिक स्थल यानि पब्लिक प्लेस पर बीच चौराहे पर आरोपी को खड़ा कर नियम-कानून को साइड में रखकर दर्दनाक मौत दी जाये!
ताकि अन्य आरोपियों के लिये सबक सिद्ध हो! तभी ऐसी घटनाओं में कमी आएगी! या शीघ्र ही 15 दिनों के अंदर न्यायपालिका उसे फांसी की सजा सुनाएँ! लेकिन क्या यह संभव हैं? क्या देश की राजनीति ऐसा करने के लिये बाध्य होगी! या फिर ऐसी घटनाओं पर केवल बयानबाज़ी और टीम गठित कर जांच कार्यवाही होती रहेगी? साक्षी जब मौत के करीब जा रहीं थी तो वहां गली से गुजरने वाले लोग मौत के मंजर को देख चलते फिरते रहे! ऐसा लग रहा था कि कोई फ़िल्म की शूटिंग चल रहीं थी ! लेकिन बचाने की कोशिश किसी ने नहीं की! लोगो के मुँह से हमेशा एक बहुत प्रचलित डायलॉग निकलता रहता हैं कि “हमसे क्या मतलब” आज इसी शब्द के चलते उस 16 साल की लड़की साक्षी की मौत हो गई!
लेकिन एक बात जरूर हम कहना चाहेंगे कि उत्तरी दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके की गली में हुईं यह वारदात गली से गुजरने वाले लोगों की भले ही वह लड़की साक्षी बहन,बेटी नहीं थी लेकिन कल को यदि कोई दूसरा साहिल आप में से ही किसी बहन,बेटी, लड़की के साथ घटना घटित करे तो क्या तब भी फ़िल्म की शूटिंग समझकर देखकर निकलते चले जायेंगे ? हैवानियत से भरी यह वारदात देख साफ जाहिर है कि लोगों की आँखों का पानी मर चुका है!
देश की राजधानी में दिल दहला देने वाली यह घटना बहुत परेशान करने वाली और भयावह है! साक्षी पुत्री जनकराज की बात करें तो वह इस वर्ष 10वीं की परीक्षा पास की थी! साक्षी का परिवार उत्तरी दिल्ली के शाहबाद जेजे कालोनी में रहता है! वह अपनी सहेली के बेटे की जन्मदिन की पार्टी में जा रहीं थी जहाँ उस व्यस्त गली में साहिल ने साक्षी को रोक कर चाकू से ताबड़तोड़ हमला किया ! “दरिंदगी से भरी वारदात और तमाशबीन बनी रही दिल्ली” यदि कहा जाये तो गली में पति-पत्नी के बीच झगड़ा हो पड़ोसी के घर झगड़ा हो या पड़ोसियों के बीच का बवाल हो, लोग इतने फ्री होते हैं कि गाड़ी खड़ी करके या खड़े होकर या कान लगाकर मौज-मजे लेने से नहीं चूकते। और यहां एक लड़की को हैवानियत से मारा जा रहा था!और गली से गुज़रने वाले मुर्दे बने हुए जिन्दा लाश बन गली में टहल रहे थे।
यदि लोग चाहते तो उसे बचा सकते थे ! हालांकि यह घटना सीसीटीवी में कैद हुईं और वायरल की गई जिससे आप यह जान सकते है कि कितनी हैवानियत से उस लड़की को मौत के घाट उतारा गया! भले ही दिल्ली में हुई साक्षी हत्याकांड का गुनहगार साहिल था। लेकिन वो जनता भी उतनी ही गुनहगार थी जो सबकुछ मूक हो कर देखती रहीं। किस मुहं से इन लोगों को इन्सान कहा जाये ये इन्सान के रुप में जिंदा लाश बन कर रह गये है। जब खून देखकर किसी का खून न खौले तो उसे ‘जिंदा’ रहने या कहने का कोई हक नहीं है।
आरोपी साहिल पुत्र सरफ़राज़ जोकि 20 वर्ष का है और फ्रिज, एसी का मैकेनिक है! वारदात को अंजाम देकर आरोपी साहिल मौके से फरार हो जाता है लेकिन 24 घंटे के अंदर सोमवार 29 मई 2023 को शहर बुलंदशहर शाम करीब चार बजे पहासू थाना क्षेत्र के गांव अटेरना से आरोपी साहिल को उसकी बुआ शम्मो के घर से गिरफ्तार किया गया! गिरफ्तार के समय वह हाथ में कलावा पहने हुए था! अब देखना यह है कि साक्षी को न्याय और साहिल को मृत्यु दंड में देश की न्याय पालिका कितना समय लेती है! या फिर अन्य आरोपियों की तरह जेल में बंद कर ऐश करायेगी!
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Sakshi Murder से महिला आयोग का संज्ञान-
दिल्ली महिला आयोग ने घटना को संज्ञान में लिया है। DCW चेयरपर्सन “स्वाति मालिवाल” ने ट्वीट किया कि उन्होंने इससे ज्यादा भयानक कुछ नहीं देखा। महिला आयोग की स्वाति माली ने लिखा कि शाहबाद डेयरी के पास खुलेआम एक दरिंदे ने एक गुड़िया को चाकू से गोदकर मार डाला और उसका सिर पत्थरों से खुचल दिया। ऐसे दरिंदों के हौसले दिल्ली में बुलंद है। आयोग द्वारा पुलिस को नोटिस जारी कर दिया गया है। सब हदें पार हो गई हैं। मैंने अपने इतने सालों के करियर में इससे ज्यादा भयानक कुछ नहीं देखा।’
NCPCR अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि “ लड़कियों को प्यार के झांसे में इस तरह से फंसाकर उनका शोषण करना व उनकी जान लेना कोई नया नहीं है। कई बार इस तरह की घंटनाओं में देखा गया है कि लड़कियों को बरगला कर उनका शोषण एक योजना के साथ किया जाता है। इसके पीछे कई विदेशी शक्तियों का हाथ है। जो तत्वों को हिन्दू ल़ड़कियों को बरगला कर उनका शोषण करने के लिए प्रेरित करते है।”
राष्ट्रीय महिला आयोग-
भारत सरकार ने 31 जनवरी 1992 को संसद के एक अधिनियम द्वारा, 1920 के राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की। आयोग का प्राथमिक जनादेश महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करना है। कोई भी महिला अपनी परेशानी के तहत यहां शिकायत दर्ज करवा सकती है। साथ ही महिलाओं के किसी भी अधिकार का उल्लंघन हो रहा हो, तो राष्ट्रीय महिला आयोग से मदद ली जा सकती है। महिला आयोग का काम महिलाओं की स्थिति को बेहतर करना और उनके साथ कुछ गलत होने की स्थिति में उनका समर्थन करना है और उनका काम महिलाओं का आर्थिक, सामाजिक शक्ति प्रदान करनी है।
बलात्कार से संबधित कानून की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-
- आईपीसी में बलात्कार को वर्ष 1960 में स्पष्ट रुप से परिभाषित अपराध की श्रेणी में शमिल किया गया। इससे पहले बलात्कार से संबधित कानून पूरे देश में अलग-2 और विवादस्पद थे।
- वर्ष 1883 के चार्टर एक्ट के लागू होने के बाद भारतीय कानूनों के संहिताबद्ध करने का कार्य प्रारंभ किया गया। इसके लिये ब्रिटिश संसद ने मैकॉले की अध्यक्षता में पहले विधि आयोग का गठन किया।
- आयोग द्वारा आपराधिक कानूनों को दो भागों में संहिताबद्ध करने का निर्णय लिया गया। इसका पहला भाग भारतीय दंड सहिता तथा दूसरा भाग दंड प्रक्रिया संहिता बना।
- आईपीसी के तहत अपराध से संबधित नियमों को परिभाषित तथा संकलित किया गया। इसे अक्टूबर 1860 में अधिनियमित किया गया लेकिन 1 जनवरी, 1862 में लागू किया गया।
- सीआरपीसी आपराधिक न्यायालयों की स्थापना तथा किसी अपराध के परीक्षण एवं मुकदमे की प्रक्रिया के बारे में है।
- आईपीसी की धारा 375 में बलात्कार की परिभाषित किया गया तथा इसे एक दंडनीय अपराध की संज्ञा दी गई।
- आईपीसी में शमिल धारा 376 के तहत बलात्कार के लिये न्यूनतम सात वर्ष तथा अधिक रुप सें अधिकतम कारावास का प्रावधान है।
आपराधिक कानून में संशोधन-
- वर्ष 1860 के लगभग 100 वर्षो बाद तक बलात्कार तथा यौन हिंसा के कानूनों में कोई बदलाव नहीं हुए लेकिन 26 मार्च, 1972 को महाराष्ट्र के देसाईगंज पुलिस स्टेशन में मथुरा नाम की एक आदिवासी महिला के साथ पुलिस कस्टडी में हुए बलात्कार ने इन नियमों को बदलनें में काफी जोर डाला गया।
- मथुरा मामले के बाद देश में बलात्कार से संबधित कानूनों में तत्काल बदलाव को लेकर मांग तेज हो गई। इसके प्रत्युत्तर में आपराधिक कानून अधिनियम ( दूसरा संशोधन), 1983 पारित किया गया।
- धारा 228अ को आईपीसी में जोड़ दिया गया है जिसमें बलात्कार होने की स्थिति में पीड़िता की पहचान को उजागर नहीं किया जाएगा और ऐसा न करने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा।
Bhagat Singh- Young Pride Pride |भगत सिंह- युवा गौरव अभिमान
वर्तमान में इन कानूनों की प्रकृति-
- दिसंबर 2012 में दिल्ली में निर्भया केस के बाद आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 पारित किया गया जिसने बलात्कार की परिभाषा को और अधिक व्यापक बनाया तथा इसके अधीन दंड के प्रावधानों को कठोर किया।
- जस्टिस जे.एस.वर्मा समिति के सुझावों को इस अधिनियम में शामिल किया गया, इस समिति को देश में आपराधिक कानूनों में सुधार और समीक्षा के लिये गठित गया था।
- यौन हिंसा के मामले को इस अधिनियम के तहत कारावास के समय को बढ़ाया और उस मामले में सजाएं मौत का प्रावधान भी शामिल किया गया।
- इसके तहत कुछ नए प्रावधान भी शामिल किये गए जिसमें आपराधिक इरादे से बलपूर्वक किसी महिला के कपड़े उतारना, यौन संकेत देना तथा पीछा करना आदि शामिल है।
- अगर कोई मामला सामूहिक बलात्कार का होता है तो उसमें भी सजा का प्रावधान 10 से बढ़ाकर 20 वर्ष और आजीवन जेल का कर दिया गया।
- इस अधिनियम द्वारा अंवाछनीय शारीरिक स्पर्श, शब्द या संकेत तथा यौन अनुग्रह करने की मांग करना आदि को भी यौन अपराध में शामिल किया गया।
- इसके तहत किसी लड़की का पीछा करने पर तीन वर्ष की सजा तथा एसिड अटैक के मामले में सजा को दस वर्ष से बढ़ाकर आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
नाबलिगों के मामले में कानून-
- जम्मू-कश्मीर के कठुआ में वर्ष 2018 के जनवरी माह में एक 8 वर्षीय बच्ची का अपहरण और सामूहिक बलात्कार हुआ। जिसका पूरे देश में विरोध हुआ और सख्त कार्यवाही की मांग की गई।
- इसके बाद आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 पारित किया गया जिसमें पहली बार यह प्रावधान किया गया कि 12 वर्ष से कम आयु की किसी बच्ची के साथ अगर कोई बलात्कार की घटना होती है तो कम से कम 20 वर्ष या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी।
- इसके अलावा आईपीसी में एक नया कानून जोड़ा गया कि 16 वर्ष से कम की किसी बच्ची के साथ अगर कोई घटना होती है तो कम से कम 20 वर्ष का कारावास तथा अधिकतम उम्रकैद की सज़ा हो सकती है।
- आईपीसी, 1860 के तहत बलात्कर के मामले में न्यूनतम सज़ा के प्रावधान को सात वर्ष से बढ़ाकर अब 10 वर्ष कर दिया गया है।
“गौरतलब यह हैं कि महिलाओं के लिए चाहे जितने भी कानून बन जाए पर जब तक समाज और कानून दोनो इस को लेकर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभायेगें तब तक इस तरह की घटनायें होती रहेगी। समाज को ऐसे अपराधियों को समाज से बेदखल करना होगा तथा कानून को इन अपराधियों को समय से सजा देकर अपने कर्त्तव्यों का पालन करना होगा।
अपराधियों के अन्दर कानून का डर होना चाहिए और ये तभी होगा जब कानून समय से अपराधियों को सख्त सजा देगा। समाज में भी इसको लेकर जागरुकता फैलानें की आवश्यकता है, इसमें हमे पीड़िता को दोषी न मानकर उन आरोपियों को समाज से बेदखल कर देना चाहिए जो इस तरह का कृत्य करते है। किसी तरह की माफी इस मुद्दे पर नहीं होनी चाहिए। चाहे वह किसी भी धर्म का हो।”
प्रश्न: महिला आयोग का संज्ञान क्यों लिया गया था और उसका क्या आकलन है?
उत्तर: दिल्ली महिला आयोग ने एक घटना को संज्ञान में लिया जिसमें एक नाबालिग मासूम गुड़िया के साथ बलात्कार हुआ था। आयोग ने घटना की भयानकता पर चर्चा की और पुलिस को नोटिस जारी करने की मांग की है।
प्रश्न: राष्ट्रीय महिला आयोग का मुख्य उद्देश्य क्या है और कैसे यह काम करता है?
उत्तर: राष्ट्रीय महिला आयोग का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और स्थिति में सुधार करना है। यह महिलाओं की समस्याओं के समाधान और उनके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए काम करता है।
प्रश्न: बलात्कार से संबंधित कानून में किस प्रकार के संशोधन हुए हैं और इनमें कौन-कौन से नए प्रावधान शामिल हैं?
उत्तर: भारत में बलात्कार से संबंधित कानून में कई संशोधन हुए हैं, जिनमें यौन अपराधों के लिए कठोर सजाएं और नए प्रावधान शामिल किए गए हैं, जैसे कि आईपीसी में नए अपराध और सजा की श्रेणियां।
संवेदनहीन समाज
आपकी बात सत्य और कड़वी हैं यदि सनातन धर्म की लड़कियां अभी भी सबक नहीं लिया तो ये सिल सिला नही रुकेगा।
जिसने यह हैवानियत किया है वह तो कटोर सजा के लायक है ही पर जो लोग वहां मौजूद होकर इस वारदात को देख रहे हैं वह भी उतने ही दोषी है जितना की साहिल था ।