अंडमान-निकोबार का ऐतिहासिक सफर: जानें कैसे पोर्ट ब्लेयर से श्री विजयपुरम का नाम परिवर्तन भारत की स्वदेशी पहचान का प्रतीक है।
“अंडमान व निकोबार भारत का एक ऐसा द्धीपसमूह जिसे प्राकृतिक रुप से भारत का एक एयरक्राफ्ट कैरियर कहा जाता हैं। इस के भारत के पास होने से बंगाल की खाड़ी में भारत का दबदबा रहता हैं। अभी हाल में यहीं कुछ ऐसा हुआ जो ऐतिहासिक रुप से बहुत महत्वपूर्ण हैं। यहां कि राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ कर दिया गया हैं। यह एक ऐतिहासिक फैसला हैं।
पोर्ट ब्लेयर एक मानसिक गुलामी का प्रतीक नाम था, जिसे एक ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर रखा गया था। पर आज का भारत उन गुलामी के प्रतीकों को जड़ से मिटा रहा हैं, और अपने आपको को एक मानसिक आजादी की और ले जा रहा हैं। अड़मान व निकोबार भारत के कई ऐतिहासिक पल का गवाह रहा हैं।”
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इस ब्लांग में हम अंडमान व निकोबार के ऐतिहासिक महत्व, वहां अग्रेजों द्वारा, भारतीयों पर की गई क्रूरता व उसके कई भौगोलिक व ऐतिहासिक पहलूओं पर चर्चा करेंगे। हम अड़मान में नेताजी के महत्व को भी समझगें। तो बने रहें हमारे इस ब्लांग के साथ।
पोर्ट ब्लेयर का नाम परिवर्तन-
भारत के स्वाधीनता के सफर में अंडमान व निकोबार द्वीपों का विशेष स्थान हैं। इन द्वीपों से ही नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी ने आजादी की शुरुआत की थीं। वर्ष 2018 से इन द्वीपों के क्षेत्रों का स्वदेशी नामकरण शुरु हुआ हैं, जिसे पोर्ट ब्लेयर के नाम परिवर्तन से आगे बढ़ाया गया हैं। इस प्रक्रिया में न केवल नाम का बदलाव हुआ है, बल्कि यह बदलाव उस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ को भी उजागर करता है जो इस द्वीप और उसकी राजधानी के साथ जुड़ा हुआ है। यहां हम इसके कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे-
- पुराना नाम व उसका इतिहास-
- इतिहास में पोर्ट ब्लेयर का स्थान- पोर्ट ब्लेयर नाम का इतिहास ब्रिटिश शासन से गहरा जुड़ा हुआ है। अंग्रेजों ने इस क्षेत्र को भारत में अपने काले पानी की सजा के लिए एक प्रमुख केंद्र बनाया था, जहां स्वतंत्रता सेनानियों को कैद किया जाता था। पोर्ट ब्लेयर का नामकरण ब्रिटिश अधिकारी आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर किया गया था, जो यहां की बसावट का प्रारंभिक रूप देने वाले थे।
- नाम का प्रतीकात्मक महत्व- पुराने नाम “पोर्ट ब्लेयर” को औपनिवेशिक अत्याचारों और ब्रिटिश हुकूमत के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। यह नाम उन संघर्षों और पीड़ाओं का भी प्रतीक था, जिन्हें स्वतंत्रता सेनानियों ने झेला।
- नाम परिवर्तन का कारण-
- स्वदेशी पहचान की खोज- भारत में शहरों और स्थानों के नाम बदलने का उद्देश्य उनकी स्वदेशी पहचान को फिर से स्थापित करना होता है। नाम परिवर्तन से यह संदेश दिया जाता है कि उपनिवेशवाद के प्रभावों से मुक्त होकर राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को पुनः खोज रहा है। ये एक तरह की मानसिक गुलामी से आजादी हैं।
- समाज व राजनीति पर प्रभाव- नाम बदलने का फैसला न केवल इतिहास को सम्मानित करने का तरीका है, बल्कि यह स्थानीय राजनीति और समाज के बीच भी एक महत्वपूर्ण चर्चा का हिस्सा बन जाता है। यह बदलाव स्थानीय समुदाय के लिए गर्व का प्रतीक होता है, जो उस क्षेत्र की पुरानी पहचान को छोड़कर एक नई और आधुनिक पहचान को अपनाने का संकेत देता है।
अंडमान व निकोबार का ऐतिहासिक महत्व-
अंडमान व निकोबार का बहुत ही गहरा ऐतिहासिक महत्व हैं। यह जगह भारत के स्वतंत्रता सग्राम के नायकों के लिए एक काल कोठरी के समान थीं। इस जगह पर ब्रिटिश शासन के क्रूरता के निशान आज भी मौजूद हैं। अग्रेजों ने यहां अपनी क्रूरता का एक विशेष चेहरा दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था। जिसे दुनिया में शायद इतना दिखाया नहीं गया। इसको कुछ बिन्दुओं में समझते हैं-
- ब्रिटिश शासन व काला पानी-
- अंडमान-निकोबार में ब्रिटिश उपनिवेश- 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद, ब्रिटिश सरकार ने अंडमान और निकोबार को एक दंडात्मक कालापानी के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया। यह क्षेत्र ब्रिटिश सरकार के लिए एक आदर्श स्थान था जहां राजनीतिक कैदियों और स्वतंत्रता सेनानियों को सजा दी जा सकती थी, क्योंकि द्वीप की दूरस्थ स्थिति भागने को असंभव बनाती थी।
- सेलुलर जेल का निर्माण- 1906 में निर्मित सेलुलर जेल (जिसे काला पानी के नाम से भी जाना जाता है) ब्रिटिश शासन के अत्याचारों का प्रतीक बन गई। यह जेल विशेष रूप से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को बंदी बनाने के लिए बनाई गई थी। इस जेल में वीर सावरकर और बटुकेश्वर दत्त जैसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी कैद थे। यहाँ की अमानवीय यातनाएं और दंड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का एक दुखद अध्याय हैं।
- ब्रिटिश शासन के तहत यातनाएं- कैदियों को कोड़ों से पीटा जाता था, अत्यधिक श्रम कराए जाते थे और कई बार भूखा भी रखा जाता था। काला पानी की सजा की चर्चा होते ही, इसका क्रूर इतिहास स्वतः स्मरण हो आता है, जो इस द्वीप के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है।
- स्वतंत्रता सग्राम में अंडमान की भूमिका-
- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का योगदान- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में जापान की सहायता से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराकर इसे आज़ाद हिंद सरकार का हिस्सा घोषित किया। उन्होंने इस द्वीप का नाम बदलकर “शहीद” और “स्वराज” रखा, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक थे। इस घटना ने भारतीयों के हृदय में अंडमान को एक विशेष स्थान दिलाया।
- स्वतंत्रता के बाद का महत्व- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, अंडमान और निकोबार का राष्ट्रीय धरोहर के रूप में महत्व और बढ़ गया। सेलुलर जेल को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया गया, और इसे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का प्रतीक माना जाता है। हर साल हजारों लोग यहाँ आकर उन महान बलिदानों को याद करते हैं, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
अंडमान-निकोबार की भौगोलिक स्थिति और महत्ता-
अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर जो कि अब श्री विजयपुरम् हो गयीं हैं। केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं है, बल्कि अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण सामरिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे भारत का प्राकृतिक एयरक्राफ्ट कैरियर कहते हैं। इसके भारत के पास होने से भारत बंगाल की खाड़ी में एक मजबूत देश के रुप में खड़ा हैं। इसे कुछ बिन्दुओं में समझते हैं-
- द्वीपों की रणनीतिक स्थिति-
- अंडमान द्वीपों की भौगोलिक विशेषताएं- यह द्वीपसमूह बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर में स्थित है। यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया और हिंद महासागर के बीच समुद्री व्यापार मार्गों पर स्थित है। यह भारत की पूर्वी सीमा की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यहाँ से मलेका जलडमरूमध्य, जो विश्व का सबसे महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्ग है, तक पहुंचना आसान है।
- श्री विजयपुरम् की सामरिक स्थिति- श्री विजयपुरम भारत के मुख्य भूमि से करीब 1,200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो इसे देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। यह न केवल भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए एक प्रमुख बेस है, बल्कि इस क्षेत्र में भारतीय सैन्य बलों की तैनाती भी इसे सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है।
- हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा नीति- श्री विजयपुरम की रणनीतिक स्थिति भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और अन्य बाहरी ताकतों की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करती है। भारत के ‘लुक ईस्ट’ और ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी में भी यह क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने में सहायता करता है।
- समुद्री व्यापार व सुरक्षा में भूमिका-
- मालवाहक जहाजों का मार्ग– अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के पास से गुजरने वाले अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों का बड़ा हिस्सा है। श्री विजयपुरम् इन मार्गों पर एक महत्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में उभरता है, जो न केवल भारत के व्यापारिक हितों की रक्षा करता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है।
- सुरक्षा और निगरानी- भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल की यहां मजबूत उपस्थिति अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी में किसी भी समुद्री खतरे, जैसे कि समुद्री डकैती और तस्करी को रोकने में सहायक होती है। यह द्वीप चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों और शक्ति प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए भी एक महत्वपूर्ण चौकी के रूप में कार्य करता है।
- आपदा प्रबंधन और राहत कार्य- श्री विजयपुरम का भौगोलिक स्थान इसे प्राकृतिक आपदाओं, जैसे कि सुनामी और चक्रवात, के दौरान आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बनाता है। यह क्षेत्र दक्षिण एशिया के देशों में आपदा राहत अभियानों के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करता है।
अंडमान-निकोबार में पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर-
ये द्वीप पर्यटन व सांस्कृतिक रुप से बहुत महत्वपूर्ण हैं। अंडमान-निकोबार का पर्यटन मुख्य रूप से इसकी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व, और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर केंद्रित है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थल और जनजातीय संस्कृति द्वीपसमूह को एक अनूठा अनुभव बनाते हैं। इसे कुछ बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-
- प्रमुख पर्यटन स्थल-
- सेलुलर जेल (काला पानी)- पोर्ट ब्लेयर का सबसे प्रमुख और ऐतिहासिक स्थल सेलुलर जेल है, जिसे काला पानी के नाम से भी जाना जाता है। यह जेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों की संघर्ष और बलिदान की कहानी कहता है। आज यह राष्ट्रीय स्मारक है और यहां हर दिन पर्यटकों के लिए लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जाता है, जो जेल के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को जीवंत करता है।
- रॉस द्वीप- पोर्ट ब्लेयर के पास स्थित रॉस द्वीप ब्रिटिश शासन के समय प्रशासनिक केंद्र हुआ करता था। अब यह द्वीप पुरानी ब्रिटिश इमारतों के अवशेषों के लिए जाना जाता है। यह द्वीप अपने शांत वातावरण और ऐतिहासिक धरोहर के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है।
- हवॉक द्वीप- अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह का यह द्वीप अपनी शांतिपूर्ण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह स्थान समुद्र तटों, जंगलों, और अद्वितीय जैव विविधता का केंद्र है, जो इसे प्रकृति प्रेमियों और साहसिक पर्यटन के शौकीनों के लिए एक आदर्श स्थल बनाता है।
- चिड़िया टापू- यह स्थान अपने सुहावने सूर्यास्त के लिए प्रसिद्ध है। यहां घने जंगल और विविध पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो इसे पक्षी प्रेमियों और वन्यजीवन प्रेमियों के लिए खास बनाती है।
- स्थानीय संस्कृति और जनजातियां-
- अंडमान की आदिवासी संस्कृति- अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में कई जनजातीय समुदाय रहते हैं, जिनमें जारवा, ओंगे, सेंटिनलीज़ और ग्रेट अंडमानीज़ प्रमुख हैं। ये जनजातियाँ हजारों सालों से द्वीपों पर बसी हुई हैं और इनकी जीवनशैली, संस्कृति, और परंपराएँ पर्यटकों के लिए एक अलग अनुभव प्रस्तुत करती हैं। इन जनजातियों का दैनिक जीवन, शिकार और जंगल पर निर्भरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
- स्थानीय कला और शिल्प- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की स्थानीय कला और शिल्प, जैसे लकड़ी की नक्काशी, बांस और नारियल के उत्पाद, यहां की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। यह कला स्थानीय लोगों की रचनात्मकता और प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाती है।
- सांस्कृतिक मेलों और उत्सवों: अंडमान में स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई सांस्कृतिक उत्सव और मेले आयोजित किए जाते हैं, जैसे अंडमान पर्यटन महोत्सव, जहां स्थानीय नृत्य, संगीत और कला का प्रदर्शन होता है। ये उत्सव द्वीपों की संस्कृति और जीवनशैली को प्रदर्शित करते हैं, और पर्यटकों के लिए यहां के जीवन के बारे में जानने का अवसर प्रदान करते हैं।
- आधुनिक पर्यटन की वृद्धि और इसका आर्थिक महत्व-
- पर्यटन उद्योग का विकास: पिछले कुछ वर्षों में अंडमान और निकोबार में पर्यटन उद्योग तेजी से विकसित हुआ है। विशेष रूप से श्री विजयपुरम् में पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं में सुधार हुआ है, जैसे होटल, रेस्टोरेंट, और ट्रांसपोर्ट। पर्यटकों की संख्या में वृद्धि ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है।
- पर्यावरणीय संतुलन और सतत पर्यटन- हालांकि पर्यटन का विकास हुआ है, लेकिन इस द्वीपसमूह की नाजुक पर्यावरणीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए सतत पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां की जैव विविधता और आदिवासी जीवन पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े, इसके लिए पर्यावरण संरक्षण की नीतियाँ भी लागू की जा रही हैं।
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निष्कर्ष-
पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी, अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामरिक महत्व के कारण भारत के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। यह द्वीपसमूह न केवल स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के बलिदानों का गवाह है, बल्कि इसके प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता के कारण पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण भी है।
हाल ही में इसका नाम परिवर्तन न केवल इस क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर को पुनः मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह स्वदेशी पहचान को सुदृढ़ करने का भी प्रतीक है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के भौगोलिक और सामरिक महत्व को देखते हुए यह क्षेत्र भारत के रक्षा और सामरिक हितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बना हुआ है।
इतिहास से लेकर आधुनिकता तक, पोर्ट ब्लेयर और इसका परिवर्तित नाम, द्वीप की अनूठी यात्रा और उसके विकास को दर्शाते हैं। यह स्थान भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष, सांस्कृतिक धरोहर, और रणनीतिक महत्ता का प्रतीक है, जो भविष्य में भी अपनी विशेष पहचान को कायम रखेगा।
Q1: अंडमान व निकोबार को भारत का “प्राकृतिक एयरक्राफ्ट कैरियर” क्यों कहा जाता है?
A1: अंडमान व निकोबार की भौगोलिक स्थिति बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में महत्वपूर्ण है। यह भारत की पूर्वी सीमा की सुरक्षा में मदद करता है और सामरिक दृष्टिकोण से भारत को समुद्री गतिविधियों पर नजर रखने की सुविधा देता है।
Q2: पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम क्यों रखा गया है?
A2: पोर्ट ब्लेयर का नाम एक ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर था, जो मानसिक गुलामी का प्रतीक माना जाता था। श्री विजयपुरम नाम रखने का उद्देश्य स्वदेशी पहचान को पुनः स्थापित करना और औपनिवेशिक प्रतीकों से मुक्ति पाना है।
Q3: अंडमान व निकोबार का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्या महत्व है?
A3: अंडमान व निकोबार स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक दंडकालीन स्थान था, जहाँ उन्हें ‘काला पानी’ की सजा दी जाती थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस द्वीप को 1943 में आजाद हिंद सरकार का हिस्सा घोषित किया था।
Q4: सेलुलर जेल का क्या महत्व है?
A4: सेलुलर जेल, जिसे काला पानी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को कैद करने के लिए बनाई गई थी। यहाँ वीर सावरकर और बटुकेश्वर दत्त जैसे स्वतंत्रता सेनानी कैद थे, और यह जेल ब्रिटिश अत्याचार का प्रतीक मानी जाती है।
Q5: अंडमान-निकोबार का सामरिक महत्व क्या है?
A5: अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह की सामरिक स्थिति भारत को बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में समुद्री व्यापार मार्गों और सुरक्षा पर नजर रखने में मदद करती है। यह भारत की रक्षा और सुरक्षा नीति के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है।