Rape, Politics, and Justice: The Bitter Truth of the Indian Legal System-बलात्कार, राजनीति और न्याय: भारतीय न्याय तंत्र की कड़वी सच्चाई

“Rape, Politics, and Justice: भारत का न्यायतंत्र आज एक बहुत बुरे दौर से गुजर रहा हैं। जहां आज न्याय राजनीति, रुपये और पॉवर की कठपुतली बन गया हैं। किसी भी घटना के बाद उससे जुड़ा राजनीतिक दल, सम्पूर्ण प्रशासन और उससे जुड़ी सभी संस्थाएं सिर्फ आरोपियों को बचाने में और घटना के सबूतों को मिटाने में लग जाती हैं। आज देश शर्मसार हैं, कोलकाता में हुए उस जघन्य गैंगरेप काड़ के लिए जिसमें पीड़िता के साथ गैंगरेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई और उसके शरीर का मान भंग किया गया।

इसके बाद सम्पूर्ण न्यायतंत्र नें आरोपियों को पकड़ने के बजाय गैंगरेप को फांसी में बदलने और उस घटना के सबूतों को नष्ट करने में पूरी तन्मयता के साथ अपना योगदान दिया। न्याय की ऐसी ही स्थिति कुछ दिन पहले पुणे में हुए रोड़ हादसे में भी उपजी थीं। क्या ऐसी स्थिति में न्याय की आशा बेमानी नजर नहीं आती।”

इस लेख में भारत में बढ़ते महिलाओं के प्रति अपराध पर चर्चा करेगें। हम यह समझने का प्रयास करेगें कि एक समाज के रुप में कितना पीछे आ गये हैं कि इंसानों की जगह दरिन्दे पैदा होने लगे। जिनके लिए महिलाएं सिर्फ शोषण का पात्र हैं। तो बने रहे हमारे इस लेख के साथ।

rape"Illustration depicting the intersection of rape, politics, and justice in the Indian legal system"
“An exploration of the harsh realities within the Indian legal system where justice for rape victims is often entangled with politics and corruption.”

भारत में बढ़ते बलात्कार (Rape) के मामले-

भारत में बलात्कार(Rape) के मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जो न केवल समाज के लिए चिंता का विषय है बल्कि महिलाओं की सुरक्षा के प्रति हमारी सामूहिक विफलता को भी उजागर करता है।

  • बलात्कार (Rape)के मामलों की बढ़ती संख्या-

भारत में महिलाओं के प्रति जघन्य बलात्कार(Rape) के केस बढ़े हैं। ऐसे केसों में आरोपी बलात्कार(Rape) के बाद, पीड़िता के शरीर के साथ एक विक्षिप्त हरकत करता हैं और उसके शरीर के अंगों के साथ दुर्व्यवहार करता हैं इसके बाद उसकी हत्या कर देता हैं। अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में रेप के 31,677 मामले दर्ज किए गए। यानी प्रतिदिन 86 मामले दर्ज किए गए। यही दर 2022 में औसतन 90 दर्ज की गई। कई जगहों पर तो मामले दबा दिए जाते हैं। जिसके कारण रुप में प्रतिशोध के डर, लोक-लज्जा का भय और पुलिस जांच में विश्वास की कमी के चलते कई अपराध दर्ज ही नहीं हो पाते।

  • महिलाओं की सुरक्षा का गिरता स्तर-

बलात्कार(Rape) की घटनाओं में वृद्धि से स्पष्ट होता है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए वर्तमान में जो उपाय किए जा रहे हैं, वे अपर्याप्त हैं। कई महिलाओं को न केवल घर के बाहर बल्कि घर के अंदर भी खतरे का सामना करना पड़ता है। बलात्कार (Rape)के ज्यादातर केसों पर अपराधी जानने वाला ही पाया जाता हैं। देश की आजादी के 8वें दशक पूरे होने को हैं पर अब भी देश अपनी आधी आबादी को एक सुरक्षित माहौल नहीं दे पाया हैं।

  • समाज और संस्कृति की भूमिका-

समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके प्रति दृष्टिकोण में गहरी समस्याएं हैं। महिलाओं को अकसर कमजोर और द्वितीयक दर्जे का माना जाता है, जो कि समाज के एक बड़े हिस्से में व्याप्त मानसिकता का परिणाम है। इसके अलावा, पीड़ितों को ही दोषी ठहराने की प्रवृत्ति और उनके खिलाफ सामाजिक बहिष्कार, अपराधियों के हौसले को और बढ़ावा देते हैं।

  • कानूनी और न्यायिक चुनौतियां-

कानून में कई सुधारों के बावजूद, न्याय पाने की प्रक्रिया आज भी कठिन और लंबी है। कई मामलों में, दोषियों को सजा नहीं मिल पाती है, जिससे समाज में कानून का डर खत्म हो जाता है और अपराधी बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम देते हैं। देश में निर्भया काड़ के बाद भी बलात्कार(Rape) के कानूनों में अहम बदलाव किए गए पर नतीजा शून्य ही नजर आता हैं। हम महिलाओं के लिए कई कानून बनाकर बैंठ गये हैं पर उन्हें न्याय दिलाने में अभी भी असमर्थ हैं।

न्याय में देरी व उसका होने वाला प्रभाव-

न्याय में देरी का विषय भारत की न्याय प्रणाली के सबसे बड़े मुद्दों में से एक है। न्याय में देरी का मतलब केवल समय का बर्बाद होना नहीं है, बल्कि यह समाज और पीड़ितों के लिए एक गहरे आघात का काम करता हैं। हमारे यहां एक केस को शुरु होने से न्याय मिलने तक करीब 10 से 20 साल का समय लग जाता हैं। अपराधियों को कई स्तर पर अपील करने का भी मौका मिलता हैं। वह कई बार पेरोल व जमानत पर बाहर भी आ जाता हैं। और कई बार भारत के भ्रष्ट न्यायतंत्र का फायदा उठाकर सालों तक केस को ऐसे ही बढ़ाता रहता हैं। इसके कुछ मह्तवपूर्ण बिन्दु हैं-

  • न्याय में देरी के कारण-
  •  मामलों की भारी संख्या- हमारे देश में एक बड़ी आबादी रहती हैं। जहां अदालत में लंबित मामलों की संख्या करोड़ो में हैं। जिसके चलते नए मामलों का निपटारा धीमी गति से होता है। निचली अदालतों से लेकर उच्चतम न्यायालय तक, न्यायपालिका के सभी स्तरों पर मामलों की भीड़ है। हमारे यहां जजों की भारी कमी हैं। जिसके चलते भी मामलें लंबित पड़े रहते हैं।
  •  कानूनी प्रक्रिया में जटिलता- भारत की कानूनी प्रक्रिया बहुत जटिल व उलझी हुई हैं। यहां अपराधियों से ज्यादा पीड़ितों को डर लगता हैं। वे ये सोचते है कि कौन उलझे इस प्रक्रिया में। कानूनी प्रक्रिया की  जटिलता में, जिसमें साक्ष्यों का संग्रह, गवाहों का बयान, और कानूनी बहस शामिल है, ये प्रक्रिया समय लेने वाली होती है। इसके अलावा, अपील और पुनर्विचार याचिकाओं के कारण मामले वर्षों तक लंबित रहते हैं।
  •  अदालतों का अभाव व जजों की कमी- देशभर में अदालतों और न्यायाधीशों की कमी एक बड़ी समस्या है। इससे मामलों का निपटारा करने में देरी होती है। भारत में 6 हजार से ज्यादा जजों की कमी हैं। इनमें से 5 हजार जगह तो निचली अदालतों में रिक्त हैं। देश में 10 लाख की आबादी पर सिर्फ 21 जज है। जो कि भारत जैसें बड़े देश के लिए चिंताजनक हैं।
  • न्याय में देरी के प्रभाव-
  •  पीड़ितो पर मानसिक प्रभाव- न्याय में देरी पीड़ितों के लिए अत्यंत कष्टकारी होती है। उन्हें न्याय पाने की प्रक्रिया में लगातार मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक तनाव से गुजरना पड़ता है। इससे वे निराश, हताश और असहाय महसूस करने लगते हैं।
  •  अपराधियों को प्रोत्साहन- यह धीमी प्रक्रिया अपराधियों की प्रोत्साहन देने वाली हैं। न्याय में देरी का फायदा उठाकर अपराधी और उनके समर्थक साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करते हैं, गवाहों को धमकाते हैं, और उनको दबाव में लाने का प्रयास करते हैं। इससे अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं, और इस मामले में भ्रष्ट राजनीतिज्ञ व प्रशासन के कुछ लोग भी उनको सहयोग देते हैं। जिससे कानून का मजाक बनता हैं।
  •  न्याय में जनता का विश्वास कम होना- न्याय में देरी भी एक प्रकार का अन्याय ही हैं। ये भी अपराध की श्रेणी में आना चाहिए। इस प्रणाली से आम जनमानस का न्याय से विश्वास उठ जाता हैं, और वह गलत तरीके से न्याय के साधन ढूढ़ता हैं। इससे लोग न्याय के लिए अदालतों का सहारा लेने से बचते हैं और अपने मुद्दों का हल निकालने के लिए असंवैधानिक और हिंसक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। जिससे समाज अस्थिर होता हैं।
  •  कानूनी खर्च का बढ़ना- लंबे समय तक मामले चलने के कारण पीड़ितो व उनके परिवारों पर आर्थिक दबाव पड़ता हैं। इससे भी उनका मनोबल गिरने लगता हैं। हर स्तर पर हर किसी के द्वारा उनसे घूस मांगी जाती हैं।
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“An exploration of the harsh realities within the Indian legal system where justice for rape victims is often entangled with politics and corruption.”

राजनीति और अपराध की साठगांठ-

भारत में बलात्कार(Rape) जैसे गंभीर अपराधों में राजनीति का दखल एक चिंताजनक और दुखद पहलू है। जब आरोपी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली होते हैं, तो उन्हें बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जाते हैं, जो न्यायिक प्रक्रिया और समाज के लिए हानिकारक होते हैं। यहां इस समस्या को विस्तार से समझाया गया है-

  • राजनीतिक दबाव व हस्तक्षेप-
  •  पुलिस व प्रशासन पर दबाव- कई बार इन अपराधों को लेकर पुलिस व प्रशासन को कमजोर किया जाता हैं। राजनीतिक नेता पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव डालते हैं ताकि वे आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न करें। इससे जांच में देरी होती है या फिर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जाती है। जैसा कि अभी कोलकाता में हुए जघन्य अपराध में देखने को मिला, जहां पहले अपराध के बाद सबूतों से छेड़छाड़ का प्रयास किया गया वह भी पुलिस की मौजूदगीं में।
  •  एफआईआर दर्ज न करना- कभी-कभी इन केसों पर पुलिस प्राथमिक दर्ज ही नहीं करती हैं। राजनीतिक दबाव के कारण पीड़ितों की शिकायतों को दर्ज करने से रोका जाता है या एफआईआर दर्ज करने में देरी की जाती है। जिससे भी साक्ष्यों को नष्ट करने का समय मिल जाता हैं।
  • गवाहों और पीड़ितो को प्रताड़ना-
  •  गवाहो पर दबाव- राजनीति से जुड़े अपराधों के मामले में गवाहों को डराने-धमकाने, उन्हें रिश्वत देने या उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करने की घटनाएं आम हैं। इससे गवाह डर जाता हैं और अपने बयान से पलट जाता हैं। इसके कई उदाहरण दिए जा सकते हैं।
  •  पीड़ितो पर दबाव- पीड़ितों और उनके परिवारों पर भी दबाव डाला जाता है ताकि वे मामले को वापस ले लें या अदालत में सुलह कर लें। कुछ मामलों में, पीड़ितों को आर्थिक प्रलोभन भी दिया जाता है या उन्हें लोकलज्जा का भय दिखाया जाता हैं।
  • अपने पक्ष में माहौल बनाना-
  •  जनसभाओं का दुरुपयोग- कुछ मामलों में, राजनीतिक नेता सार्वजनिक मंचों से आरोपियों का समर्थन करते हैं और उन्हें निर्दोष बताने का प्रयास करते हैं। इससे न्यायिक प्रक्रिया पर असर पड़ता है और जनता के बीच गलत संदेश जाता है। क्योकि ये आरोपी इनके प्रिय नेता होते हैं।
  •  मीडिया प्रबंधन- राजनीतिक संबंधों का उपयोग करते हुए मीडिया में आरोपियों के पक्ष में खबरें चलाई जाती हैं या पीड़ितों की छवि को खराब करने की कोशिश की जाती है। यहां पीड़ित को ही दोषी बता दिया जाता हैं।
  • कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग-
  •  वकीलों का इस्तेमाल- प्रभावशाली व राजनीतिक आरोपी महंगे व अनुभवी वकीलों की सहायता लेती हैं। इसके लिए वह अपने पॉवर व रसूख का इस्तेमाल भी करते हैं। जो कानूनी प्रक्रिया को लंबा खींचते हैं, तकनीकी मुद्दों का फायदा उठाते हैं, और मामलों को वर्षों तक अदालतों में लटकाए रखते हैं।
  •  अपील व पुर्नविचार याचिकाएं- हमारे यहां इन जघन्य अपराध करने वालों को भी हर स्तर पर पुर्नविचार याचिकाएं दायर करने का मौका दिया जाता हैं। साथ ही साथ उन्हें मावाधिकार का भी अधिकार मिलता हैं। इन अमानवीय कृत्य करने वालों के पास कानूनी प्रक्रियाओं का फायदा उठाने के लिए पर्याप्त संसाधन होते हैं। वे अदालत के फैसलों के खिलाफ बार-बार अपील और पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल करते हैं, जिससे न्याय में देरी होती है।
  • राजनीतिक समर्थन और संरक्षण-
  •  राजनीतिक गठजोड़- हमारे यहां हर बलात्कार(Rape) पर राजनीति होती हैं। और अगर कोई बलात्कारी(Rape) किसी पार्टी से जुड़ा हैं, तो उसे हर सम्भव बचाने का प्रयास किया जाता हैं। विड़बना तो यहां तक हैं, कि यहीं अपराधी चुनाव जीतकर हमारी विधायिका व संसद में बैठतें हैं। कई बार तो किसी धर्म से जुड़ा होने के कारण उसका तुष्टिकरण किया जाता हैं। राजनीतिक दल उनकी रक्षा में खड़े होते हैं और न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
  •  अदालती कार्रवाई में व्यवधान-  राजनीतिक दबाव के चलते कभी-कभी सरकारी वकील या जांच एजेंसियां आरोपियों के खिलाफ मजबूत कार्रवाई नहीं करतीं, जिससे उन्हें सजा से बचने में मदद मिलती है।

इनके सुधारों के लिए क्या कदम उठायें जा सकते हैं-

बलात्कार(Rape) जैसे जघन्य अपराधों को रोकने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए भारत में कई सुधारों की आवश्यकता है। इसके लिए एक मजबूत न्यायिक प्रणाली की स्थापना और समाज में व्यापक जागरूकता लाना अनिवार्य है। इसे विस्तार से समझना आवश्यक हैं-

  • बलात्कार (Rape)के मामलों को सुधारने के लिए आवश्यक कदम-
  •  शिक्षा व जागरुकता-
  • समाज में लैंगिक समानता और महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा का व्यापक प्रसार होना चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में लिंग संवेदनशीलता पर आधारित शिक्षा दी जानी चाहिए। उन्हें सही और गलत में फर्क का मतलब समझना चाहिए। साथ ही उन्हें इनमें दी जानी सजा के बारे में भी बताना चाहिए।
  • मीडिया, सोशल मीडिया, और जनसंचार माध्यमों के माध्यम से बलात्कार (Rape)के खिलाफ कड़े संदेश प्रसारित किए जाने चाहिए। साथ ही जो इस माध्यम के कलाकार हैं उन्हें भी जागरुकता में शामिल करना चाहिए।
  •  कानूनी सख्ती और सुधार
  • बलात्कार(Rape) के मामलों में सख्त कानून लागू करने की आवश्यकता है। दोषियों के लिए कठोर सजा और फांसी तक की सजा के साथ गोली मारने तक के आदेश तक जारी किए जा सकते हैं।
  • बलात्कार (Rape)के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों (फास्ट ट्रैक कोर्ट्स) की स्थापना होनी चाहिए, जो तेजी से न्याय प्रदान करें। इन जघन्य अपराधों में न्याय 3 से 6 महीने के भीतर हो जाना चाहिए और आरोपी को आगे अपील व पुर्नविचार याचिकाएं दायर करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
  •  पुलिस व्यवस्था में सुधार-
  • पुलिस को संवेदनशील और प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे बलात्कार (Rape)पीड़ितों की शिकायतों को गंभीरता से लें और बिना किसी पूर्वाग्रह के मामलों की जांच करें।
  • पीड़ितों को पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करने के दौरान किसी भी प्रकार के मानसिक उत्पीड़न से बचाने के लिए विशेष महिला पुलिस अधिकारी नियुक्त की जानी चाहिए।
  • संवेदनशील क्षेत्रों व शहरों को पूरे सीसीटीवी सिस्टम से लैंस करना चाहिए। जिससे कि सभी क्षेत्रों पर निगरानी की जा सकें।
  • मजबूत न्यायिक प्रणाली के लिए आवश्यक कदम-
  •  न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता-
  • न्यायपालिका को किसी भी प्रकार के राजनीतिक या प्रशासनिक हस्तक्षेप से मुक्त रखना आवश्यक है। न्यायाधीशों की नियुक्ति और उनकी कार्यप्रणाली को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाना चाहिए।
  • अदालतों की संख्या और न्यायाधीशों की नियुक्ति बढ़ाई जानी चाहिए ताकि मामलों की सुनवाई में देरी न हो।
  •  डिजिटल तकनीक का उपयोग-
  • न्यायिक प्रक्रियाओं में डिजिटल तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए। इससे मामलों की सुनवाई, साक्ष्य संग्रहण, और फैसले की प्रक्रिया तेज और कुशल हो सकें।
  • ई-कोर्ट्स और वर्चुअल सुनवाई के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया को और भी तेज किया जा सकता है।
  •  वित्तीय और लॉजिस्टिक समर्थन-
  • न्यायिक प्रणाली को वित्तीय और लॉजिस्टिक समर्थन प्रदान करना आवश्यक है ताकि न्यायालयों की बुनियादी संरचना और उनकी कार्यक्षमता में सुधार किया जा सके।
  • पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुधार-
  •  पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा-
  • पीड़ितों को कानूनी प्रक्रिया में विशेष अधिकार दिए जाने चाहिए, जैसे कि उनकी पहचान को गोपनीय रखना, और उन्हें बार-बार अदालत में उपस्थित होने से बचाना।
  • पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए ताकि वे न्याय की प्रक्रिया का सामना कर सकें।
  •  गवाह संरक्षण कार्यक्रम-
  • गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत गवाह संरक्षण कार्यक्रम होना चाहिए। इससे गवाह बिना किसी भय के अदालत में बयान दे सकें।
  • गवाहों के लिए सुरक्षित आवास और उनकी पहचान की गोपनीयता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  •  पीड़ित सहायता केंद्र-
  • प्रत्येक जिले में पीड़ित सहायता केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए, जहां पीड़ितों को कानूनी, मानसिक, और आर्थिक सहायता प्रदान की जा सके।
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अन्य देशों में अपनाई गई प्रक्रिया:

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका-
  • अमेरिका में “प्ली बार्गेनिंग” और गवाह संरक्षण कार्यक्रम के तहत बलात्कार(Rape) जैसे गंभीर मामलों में तेजी से न्याय दिलाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
  • वहां बलात्कार(Rape) पीड़ितों को सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों से व्यापक सहायता मिलती है, जिसमें काउंसलिंग और कानूनी सहायता शामिल है।
  •  स्वीडन-
  • स्वीडन में बलात्कार(Rape) के मामलों की सुनवाई तेजी से होती है, और पीड़ितों को व्यापक सामाजिक और कानूनी सहायता प्रदान की जाती है। वहां की न्यायिक प्रणाली में पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
  •  जर्मनी-
  • जर्मनी में बलात्कार (Rape)के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान है। वहां की न्यायिक प्रणाली में अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने की व्यवस्था है।
  • जर्मनी में पीड़ितों के लिए विशेष सहायता कार्यक्रम होते हैं, जिनमें उन्हें कानूनी और मानसिक सहायता प्रदान की जाती है।

Bhagat Singh- Young Pride Pride |भगत सिंह- युवा गौरव अभिमान

क्या-क्या और कर सकते हैं-

  • इन केसों को विभिन्न श्रेंणियों में बांटा जा सकता हैं। हाल ही के वर्षों में यह देखा गया हैं कि भारत में बलात्कार(Rape) के केसों की संख्या तेजी से बढ़ी हैं। और इनमें जघन्य अपराध जैसें- गैंगरेप के बाद हत्या व उसके शरीर का मान भंग करने के केसों में भी इजाफा हुआ हैं।
  • इन केसों का फैंसला सिर्फ फास्ट ट्रैंक कोर्ट में होना चाहिए। और अपराधी को सिर्फ मृत्युदंड़ देना चाहिए। और यह सब 3 से 6 महीने के भीतर करने की आवश्यकता हैं। उन्हे आगे अपील की इजाजत भी नहीं होनी चाहिए और न ही किसी वकील को उनका केस लड़ने की इजाजत होनी चाहिए।
  • इन केसों की लाइव रिकार्डिंग करनी चाहिए। और इनका हो सके तो प्रसारण भी प्रिट या इलेक्ट्रानिक मीडिया में करना चाहिए।
  • बलात्कार(Rape) के किसी भी केस में अपराधी की उम्र के अनुसार सजा नहीं मिलनी चाहिए। इन केसों में हर उम्र को उसी प्रकार की सजा देना चाहिए। किसी भी प्रकार के बालिग या नाबालिग का फासद नहीं होना चाहिए।
  • कोई भी धर्म या जाति का इसमें फेर नहीं होना चाहिए। कोई किसी भी धर्म का हो उसे बराबर सजा मिलनीं चाहिए।
  • अगर व्यक्ति किसी राजनीतिक संरक्षण में है तो उस पार्टी की मान्यता रद्द कर देनी चाहिए और उस पार्टी के नेता को भी सजा देनी चाहिए।
  • इन केसों में उम्रकैंद की सजा पाये अपराधियों को बेल या पेरोल की इजाजत नहीं होनी चाहिए। तथा इनके सेक्स परिवर्तन के बारे में भी विचार किया जा सकता हैं।

समाज की भूमिका व जिम्मेदारी-

बलात्कार (Rape)जैसे गंभीर अपराधों के खिलाफ समाज की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। समाज अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पीड़िता का साथ दे सकता है, और अपराधियों को समाज से बेदखल कर पक्षपातपूर्ण न्याय की मांग कर सकता है, और एक सुरक्षित और न्यायपूर्ण वातावरण का निर्माण में अपना योगदान दे सकता है। इसके लिए समाज को निम्नलिखित तरीकों से अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी-

  • लैंगिक समानता की शिक्षा- समाज में बच्चों और युवाओं को प्रारंभिक स्तर से ही लैंगिक समानता और महिलाओं के प्रति सम्मान की शिक्षा दी जानी चाहिए। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों, और सामाजिक संगठनों में विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। साथ ही इसकी शुरुआत हमें घर से भी करनी चाहिए।
  • सामाजिक बुराइयों का विरोध- बलात्कार (Rape)और यौन हिंसा जैसी घटनाओं के खिलाफ समाज को एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए। इन अपराधों के खिलाफ हर वर्ग और जाति की और से न्याय की मांग होनी चाहिए।
  • पीड़िता का समर्थन- इस प्रकार के केसों में पीड़िता के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए। उसे न्याय के लिए प्रेरित करना व सामाजिक समर्थन देने का काम करना चाहिए।
  • आर्थिक सहयोग- इस स्थिति में पीड़िता को आर्थिक समर्थन भी देना चाहिए।
  • अपराधियों का बहिष्कार- अपराधियों को समाज से पूरी तरह बेदखल किया जाना चाहिए। समाज को उनके प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति नहीं दिखानी चाहिए और उन्हें सभी सामाजिक आयोजनों, संगठनों, और संस्थानों से बाहर कर देना चाहिए।
  • सार्वजनिक नामाकरण- इन जघन्य अपराध करने वाले बलात्कारियों के नामों व चेहरों को सार्वजनिक करना चाहिए। ताकि समाज के सभी लोग उनसे सावधान रहें और उनके कृत्यों से अवगत हों।
  • सकारात्मक मीडिया- इस मुद्दे पर मीडिया को पीड़िता से हमदर्दी रखनी चाहिए। मीडिया को पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए सकारात्मक रिपोर्टिंग करनी चाहिए और बलात्कारियों के कृत्यों को उजागर करने का काम करना चाहिए।
  • सोशल मीडिया पर लगाम- सोशल मीडिया पर लगातार फैंल रहे नग्न प्रकार के कटेंट पर भी लगाम लगनी चाहिए। जिस प्रकार से ओटीटी प्लेटफार्म साफ्ट पोर्न परोस रहे हैं, वह भी एक प्रकार का सोशल बलात्कार (Rape)ही हैं। जो महिलाओं की इमेज को बदनाम करने का काम करता हैं।

हाल ही में कोलकाता में हुआ केस-

हाल ही में कोलकाता में हुए ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया हैं। जिस प्रकार से एक मेड़िकल कॉलेज के अन्दर एक महिला के साथ गैंगरेप की जघन्य वारदात हो गयीं। उससे सभी अचंभित हो गये हैं। जहां बचाने का काम किया जाता हैं, वहीं इस तरह की दरिदंगी हो गयीं।

और इस प्रकार के वहशीपनें के बाद जिस प्रकार से आर जी कर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसरों व कोलकाता पुलिस का रवैंया रहा वह भी चिन्ता का विषय हैं। पहले उस पीड़िता के माता-पिता को गैंगरेप की घटना को सुसाइड बता दिया गया। उसके अभिभावकों को 3 घंटे तक उसकी बॉडी नहीं दिखाई गयीं। और फिर उस मेडिकल कॉलेज के परिसर में तोड़फोड़ की सुनियोजित घटना हो जाती हैं। क्या ये सब सयोग है, यह इसमें बड़ी साजिश हैं।

पश्चिम बंगाल की सरकार भी इस पर सिर्फ राजनीति कर रही हैं। लगता नहीं है कि पीड़िता को किसी भी प्रकार का न्याय देना चाहती हैं। मुख्यमंत्री खुद धरने पर उतर आती हैं, यह भी सबसे बड़ा मजाक नजर आता हैं। जो कि स्वास्थ्य मंत्रालय उन्हीं के पास हैं।

अब इस केस को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया हैं। एक आरोपी जिसको लेकर जांच चल रहीं थीं, उसे के आगे केस को बढ़ाया जा रहा हैं। देखना होगा कि इसमें न्याय मिलता हैं, यह ये भी अन्य केसों की तरह बस चलता रहता हैं।

निष्कर्ष-

भारत में बलात्कार(Rape) के बढ़ते मामलों ने न केवल हमारी न्यायिक प्रणाली की कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि समाज के सामने भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। न्याय में देरी, दोषियों को बचाने के लिए किए जाने वाले राजनीतिक हस्तक्षेप, और पीड़ितों को न्याय दिलाने में हो रही विफलताओं ने देश की कानून व्यवस्था और समाज की संवेदनशीलता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं।

इस गंभीर समस्या का समाधान सिर्फ कानून और न्यायिक सुधारों से ही नहीं होगा, बल्कि समाज को भी अपनी भूमिका समझनी होगी। समाज को बलात्कार(Rape) के अपराधियों का बहिष्कार कर, पीड़ितों का समर्थन करते हुए उन्हें न्याय दिलाने के लिए संगठित प्रयास करने होंगे।

जागरूकता, शिक्षा, और संवेदनशीलता के माध्यम से एक ऐसा वातावरण तैयार करना होगा, जहां महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। बलात्कारियों के लिए सख्त कानून और त्वरित न्यायिक प्रक्रिया जरूरी है, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है समाज का एकजुट होकर इन अपराधों के खिलाफ खड़ा होना और पीड़ितों को हर संभव सहायता प्रदान करना।

दूसरे देशों के सफल न्यायिक मॉडलों से सीख लेते हुए हमें अपनी न्याय प्रणाली में सुधार करने की जरूरत है, ताकि पीड़ितों को तेजी से न्याय मिल सके। गवाह सुरक्षा, पीड़ित सहायता केंद्र, और न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता जैसे कदम उठाए जाने जरुरी हैं, जिससे न्याय सुनिश्चित किया जा सके।

अंततः, बलात्कार(Rape) जैसी बुराई को जड़ से मिटाने के लिए हमें एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें कानून, न्यायपालिका, और समाज की भागीदारी अनिवार्य हो। जब समाज बलात्कारियों के खिलाफ एक मजबूत संदेश देगा और पीड़ितों को बिना किसी भेदभाव के समर्थन देगा, तभी हम एक न्यायपूर्ण और सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकेंगे। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है, जिसे हमें पूरी ईमानदारी और संकल्प के साथ निभाना होगा। केवल तभी हम एक ऐसे समाज की कल्पना कर सकते हैं, जहां हर महिला बिना किसी भय के जी सके और हर अपराधी को उसकी सजा मिल सके।

इस मुद्दे पर आपके क्या विचार हैं, हमे कमेंट के माध्यम से जरुर बताएं। हम कैसें मिलकर इस जघन्य अपराध के खिलाफ खंड़े हो सकते हैं यह भी बताएं।

धन्यवाद…

  1. भारत में बलात्कार के मामलों की संख्या में वृद्धि क्यों हो रही है?

    बलात्कार के मामलों में वृद्धि के पीछे सामाजिक, सांस्कृतिक, और कानून व्यवस्था की कमजोरियों का बड़ा योगदान है।

  2. महिलाओं की सुरक्षा के लिए भारत में क्या उपाय किए जा रहे हैं?

    महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन और सामाजिक मानसिकता में बदलाव की जरूरत है।

  3. न्याय में देरी के क्या कारण हैं?

    न्याय में देरी का कारण मामलों की बड़ी संख्या, कानूनी प्रक्रिया की जटिलता, और अदालतों व जजों की कमी है।

  4. न्याय में देरी का पीड़ितों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    न्याय में देरी पीड़ितों पर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक दबाव डालती है, जिससे वे निराश और असहाय महसूस करते हैं।

  5. न्याय में देरी से समाज पर क्या असर पड़ता है?

    न्याय में देरी से समाज में न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम होता है, जिससे असंवैधानिक और हिंसक तरीकों की प्रवृत्ति बढ़ती है।

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