The Olympic Games: Unveiling the Magic of Extraordinary Competition-ओलंपिक खेल: असाधारण प्रतिस्पर्धा के जादू का अनावरण-2024

“यूरोप के खूबसूरत शहर पेरिस में ओलंपिक खेल (Olympic Games) शुरु हो चुके हैं। यह ओलंपिक खेल 24 जुलाई से 11 अगस्त तक पेरिस में आयोजित होगें। यह ओलंपिक पिछले हुए कई ओलंपिक से खास हैं। चाहे वो रुस-यूक्रेन का मुद्दा हो या इजराइल-हमास का दुनिया इस समय एक प्रकार की जंग में उलझी हुई हैं। उसमें यह खेल एक प्रकार का जुड़ाव लेकर आते हैं। ओलंपिक खेल(Olympic Games) को खेलों का महाकुभ्भ कहा जाता हैं। इन खेलों का इतिहास बहुत प्राचीन हैं। अपने इस लेख में हम ओलंपिक खेलों के इतिहास पर प्रकाश डालने का प्रयास करेंगे।”

यह लेख ओलंपिक खेल(Olympic Games) के इतिहास, उसमें आयोजित होने वाली प्रतिस्पर्धा व भारत के परिपेक्ष्य में उसका ओलंपिक में क्या योगदान रहा इसमें प्रकाश डालने का प्रयास किया जाएगा। तो बने रहे हमारे लेख के साथ और जाने ओलंपिक खेलों के इतिहास के बारे में।

Olympic Games-An exhilarating moment at the Olympic Games showcasing athletes in extraordinary competition.
Witness the awe-inspiring moments of the Olympic Games, where athletes from around the globe compete in a display of extraordinary skill and determination.

Table of Contents

ओलंपिक खेलों (Olympic Games) का इतिहास-

प्राचीन ओलंपिक खेलों (Olympic Games) की उत्पत्ति-

शुरुआत-

प्राचीन खेलों की शुरुआत प्राचीन ग्रीस में आज से 3000 हजार साल पहले 776 ईसा पूर्व हुई थीं। ये खेल ग्रीस के पेलोपोनीज़ में पवित्र ओलंपिया नामक स्थान पर आयोजित किए जाते थे।

महत्व-

ये खेल ग्रीक धर्म के सर्वोच्च देवता जीउस के सम्मान व उनकी पूजा के लिए आयोजिक किए जाते थे। इसे धार्मिक समारोह के रुप में मनाया जाता था। इन खेलों का आयोजन 776 ईसा पूर्व से 393 ईस्वी तक किया गया। यहां लगातार 293 ओलंपियाड आयोजित किए गए।

खेलों का स्वरुप-

प्राचीन ओलंपिक खेलों (Olympic Games) में दौड़, कुश्ती, मुक्केबाज़ी, पेंटाथलॉन और घुड़सवारी जैसी प्रतियोगिताएँ शामिल होती थीं।

  • आधुनिक ओलंपिक खेल(Olympic Games) की पुनःस्थापना-

पियरे डे कूबर्टिन का योगदान-

19वीं सदी के अंत में फ्रांसीसी शिक्षाविद् पियरे डे कूबर्टिन ने आधुनिक ओलंपिक खेलों (Olympic Games)की पुनः जीवित करने की योजना शुरु की। 23 जून, 1894 को पेरिस में अंतराष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन हुआ। इस आयोजन में कूबर्टिन ने ओलंपिक खेलों (Olympic Games)को फिर से शुरु करने का प्रस्ताव रखा।   

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की स्थापना-

1894 में पेरिस में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में IOC की स्थापना की गई, जिससे आधुनिक ओलंपिक खेलों (Olympic Games)की नींव पड़ी।

शांति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग-

आधुनिक ओलंपिक खेलों (Olympic Games)का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग को बढ़ावा देना था, जो खेलों के माध्यम से संभव हुआ।

पहले ओलंपिक खेलों का आयोजन-

पहला आयोजन-

आधुनिक ओलंपिक खेलों (Olympic Games) का पहला आयोजन 1896 में ग्रीस की राजधानी एथेंस में हुआ। इसमें 14 देशों के  280 एथलीटों ने हिस्सा लिया। ये सभी एथलीट पुरुष थे। जिनमें सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल ग्रीस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन से आया था। बाकी के अन्य देश – ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, चिली, डेनमार्क, आयरलैंड, हंगरी, इटली, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और यूएसए थे।

खेलों की विविधता-

इस आयोजन में एथलेटिक्स, साइकिलिंग, जिम्नास्टिक्स, तैराकी और टेनिस जैसी विभिन्न प्रतियोगिताएँ शामिल थीं।

महत्वपूर्ण घटनाएँ-

पहले आधुनिक ओलंपिक ने खेलों के प्रति नई जागरूकता और उत्साह को जन्म दिया, जिससे यह परंपरा आगे बढ़ी और विश्वव्यापी आंदोलन बन गया। इस खेल का पहला ओलंपिक चैंपियन 1500 से अधिक वर्षों बाद 6 अप्रैल, 1896 को अमेरिका के जेम्स कॉनॉली बने। उन्होंने ट्रिपल जंप में यह जीत हासिल की।

ओलंपिक खेलों की विशेषताएं-

ओलंपिक का चार्टर व मूल्य-

 इसका चार्टर क्या हैं-

ओलंपिक खेलों(Olympic Games) का संचालन और प्रबंधन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के द्वारा ओलंपिक चार्टर के अनुसार किया जाता है। यह चार्टर खेलों के संगठन, प्रबंधन और आयोजन के नियमों और दिशा-निर्देशों को निर्धारित करता है। इसके चार्टर में ओलंपिक ध्वज, प्रतीक, आदर्श वाक्य और लौ सभी का जिक्र होता हैं।

चार्टर में आधिकारिक तौर पर अंग्रेजी और फ्रेंच भाषाओं का प्रयोग किया जाता हैं। इसमें पिछला सुधार 11 फरवरी, 2010 को हुआ था।

 मूल्य और सिद्धांत-

ओलंपिक खेलों (Olympic Games) के मूल्यों में उत्कृष्टता, मित्रता, और सम्मान शामिल हैं। इन मूल्यों के माध्यम से खेलों का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय समझ, शांति, और सहयोग को बढ़ावा देना है।

ओलंपिक ध्वज व इसका प्रतीक-

 ओलंपिक ध्वज-

ओलंपिक ध्वज का फ्रांस के कुबर्टिन के देखरेख में 1913 में बनाया गया था। इसे पहली बार 1914 में मिस्त्र के अलेक्जेंड्रिया में फहराया गया। ओलंपिक ध्वज सफेद रंग का होता है, जिसमें पाँच रंगीन वलय होते हैं। ये वलय क्रमशः नीले, पीले, काले, हरे, और लाल रंग के होते हैं, जो पाँच महाद्वीपों – अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, यूरोप, और ओशिनिया – का प्रतिनिधित्व करते हैं।

 इसका प्रतीक-

पाँच वलयों का यह प्रतीक विश्व की एकता और वैश्विक सहभागिता का संदेश देता है। पांचो वलय में प्रदर्शित नीला, पीला, काला, हरा व लाल रंग व इनके पीछे का सफेद बैकग्राउंड इसलिए खास हैं क्योकि यह रंग दुनिया के हर झंडे में यह मिल जाता हैं।

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ओलंपिक मशाल व उद्घाटन समारोह-

 ओलंपिक मशाल-

ओलंपिक मशाल का प्रज्जवलन प्राचीन ग्रीस की परंपरा से शुरु हुआ है। मशाल की यात्रा खेलों से पहले ओलंपिया, ग्रीस से शुरू होती है और यह मेजबान शहर तक पहुँचाई जाती है। इस यात्रा का उद्देश्य ओलंपिक खेलों(Olympic Games) की भावना और संदेश को विश्वभर में फैलाना है। मशाल को आशा, शांति और एकता का प्रतीक माना जाता हैं। 1939 में बर्लिन ओलंपिक में पहली बार मशाल रिले की शुरुआत हुई। और अब यह ओलंपिक खेलों (Olympic Games) की परंपरा बन गई हैं।

 उद्घाटन समारोह-

ओलंपिक खेलों (Olympic Games) का उद्घाटन समारोह एक भव्य और            रंगारंग कार्यक्रम होता है, जिसमें मेजबान देश की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है। इसमें खिलाड़ियों की परेड, ओलंपिक मशाल का प्रज्वलन, और मेज़बान देश के प्रमुख द्वारा खेलों की औपचारिक शुरुआत शामिल होती है।

ओलंपिक खेलों की विविधता-

समर ओलंपिक खेल-

ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में एथलेटिक्स, तैराकी, जिम्नास्टिक्स, बैडमिंटन, और फुटबॉल जैसी विभिन्न खेल शामिल होते हैं।

विटंर ओलंपिक खेल-

शीतकालीन ओलंपिक खेलों (Olympic Games) में स्कीइंग, आइस हॉकी, स्नोबोर्डिंग, और फिगर स्केटिंग जैसी प्रतियोगिताएँ होती हैं।

पैरालंपिक खेल-

पैरा ओलंपिक खेल (Olympic Games) उन खिलाड़ियों के लिए आयोजित किए जाते हैं जो विभिन्न प्रकार की विकलांगताओं के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। यह खेल समानता और समावेशिता के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।

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ओलंपिक खेलों के महत्वपूर्ण क्षण-

प्रमुख एथलीट्स और उनकी उपलब्धियां-

 जेसी ओवेन्स (1936 बर्लिन ओलंपिक)-

अमेरिकी धावक जेसी ओवेन्स ने 1936 के बर्लिन ओलंपिक में चार स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने 100 मीटर, 200 मीटर, लंबी कूद और 4×100 मीटर रिले में जीत हासिल की। यह जीत नाजी जर्मनी के आर्यन श्रेष्ठता के दावे को चुनौती देने वाली मानी गई।

 माइकल फेल्प्स (2008 बीजिंग ओलंपिक)-

अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में आठ स्वर्ण पदक जीते, जो एक ही ओलंपिक में किसी भी एथलीट द्वारा जीते गए सर्वाधिक स्वर्ण पदक हैं। उन्होंने कुल 23 स्वर्ण पदक जीते हैं, जो उन्हें ओलंपिक इतिहास का सबसे सफल एथलीट बनाता है।

 उसैन बोल्ट (2008 बीजिंग, 2012 लंदन, 2016 रियो ओलंपिक)-

जमैका के धावक उसैन बोल्ट ने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में लगातार तीन ओलंपिक में (2008, 2012, 2016) स्वर्ण पदक अपने नाम किए। उनकी गति और शैली ने उन्हें “फास्टेस्ट मैन ऑन अर्थ” का खिताब दिया गया।

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विवादास्पद मुद्दे और घटनाएं-

ओलंपिक में विवादों की एक लंबी फेहरिस्त हैं। जिनमें कई घटनाएं प्रमुख हैं। कुछ घटनाएं इस प्रकार है-

 1916 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक-

ये ओलंपिक खेल (Olympic Games) बर्लिन में आयोजित किए जाने थे, लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ जाने की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया।

 1936 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक-

1931, में आईओसी ने बर्लिन को समर ओलंपिक के लिए चुन लिया गया था। 1933 में जर्मनी में एडोल्फ हिटलर का शासन हो गया। इस वजह से 1936 के ओलंपिक खेलों (Olympic Games) में हिटलर ने अपने नाजी उद्देश्य को प्रचारित करने के लिए खेलों का सहारा लिया। कई राजनीतिक संगठनों ने इसके बहिष्कार का ऐलान किया।

 1940 और 1944 के ओलंपिक खेल-

ये ओलंपिक द्धितीय विश्वयुद्ध के कारण नहीं हो पायें। बाद में अनिश्चितकाल के लिए रद्द कर दिया गया। जो कि 1948 लंदन ओलंपिक में बहाल हुए।

 1972 म्यूनिख ओलंपिक-

1972 के म्यूनिख ओलंपिक के दौरान, फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह “ब्लैक सेप्टेम्बर” ने इज़राइली टीम के 11 सदस्यों को बंधक बना लिया और उनकी हत्या कर दी। इस घटना ने ओलंपिक खेलों (Olympic Games) की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए।

 1980 व 1984 के ओलंपिक-

1980 के मॉस्को ओलंपिक का बहिष्कार अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा किया गया, जिसका कारण अफगानिस्तान में सोवियत संघ का हस्तक्षेप था। इसके जवाब में, सोवियत संघ और उसके सहयोगियों ने 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक का बहिष्कार किया।

ओलंपिक खेलों का सामाजिक और सास्कृतिक प्रभाव-

समानता और विविधता को बढ़ावा-

 समान अवसर-

ओलंपिक खेलों (Olympic Games) में सभी देशों और पृष्ठभूमियों के एथलीट्स को समान अवसर प्रदान किया जाता है। खेलों में भाग लेने वाले एथलीट्स विभिन्न जातियों, धर्मों, और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से होते हैं, जो खेलों में समावेशिता और समानता को दर्शाते हैं। ओलंपिक खेलों को राजनीति से दूर रखने की कोशिश की जाती हैं। लेकिन समय-समय पर राजनीति इसे प्रभावित करती रहीं हैं।

 महिला भागीदारी कब शुरु हुई-

1896 में पहले ओलंपिक खेलों (Olympic Games)में महिलाओं का भागीदारी का विरोध हुआ। 1900 में दूसरे ओलंपिक खेलों (Olympic Games)में पेरिस में 22 महिलाओं ने हिस्सा लिया। पर वो सिर्फ गोल्फ व टेनिस तक सीमित थीं। एक सदी बाद यह हिस्सेदारी कुल सख्या का आधे हिस्से तक पहुंच गई। 2012 के लंदन ओलंपिक में हर देश के एथलीटों में एक महिला शामिल थीं।

अतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग-

 राष्ट्रीय और अतर्राष्ट्रीय संबध-

ओलंपिक खेल विभिन्न देशों के बीच सहयोग और सौहार्द्र को बढ़ावा देते हैं। ये खेल राष्ट्रों के बीच शांति और मित्रता का प्रतीक बनते हैं।

 सांस्कृतिक आदान-प्रदान-

ओलंपिक खेलों के माध्यम से विभिन्न देशों और संस्कृतियों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है। मेज़बान देश अपनी संस्कृति, परंपराओं, और इतिहास को प्रस्तुत करते हैं, जिससे अन्य देशों के लोग उसे समझ और सराह सकें।

ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन-

भारत में पहली बार ओलंपिक में हिस्सा 1900 के पेरिस ओलंपिक में लिया था। उस ओलंपिक में एक मात्र भारतीय खिलाड़ी, नॉर्मन प्रिचार्ड, ने एथलेटिक्स में दो रजत पदक जीते थे।

हॉकी में स्वर्णिम युग-

भारत ने पहली बार 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में हॉकी में स्वर्ण पदक जीता। इस टीम का नेतृत्व मेजर ध्यानचंद ने किया था। जो हॉकी के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं। भारतीय हॉकी टीम ने लगातार तीन ओलंपिक (1928, 1932, 1936) में स्वर्ण पदक जीते, और 1948 लंदन ओलंपिक में आज़ादी के बाद पहली बार स्वतंत्र भारत के रूप में स्वर्ण पदक जीता। भारत में हॉकी में कुल 8 स्वर्ण पदक जीते हैं। भारतीय हॉकी टीम को ओलंपिक इतिहास में सबसे सफल टीमों में से एक माना जाता है।

व्यक्तिगत स्वर्ण पदक-

1952 में के.डी.जाधव ने कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर स्वतंत्र भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीता। इसके बाद लिएंडर पेस ने टेनिस में कांस्य पदक जीतकर 44 वर्षों बाद भारत को व्यक्तिगत पदक दिलाया।

हालिया प्रदर्शन-

शूटिग के क्षेत्र में-

  1.  बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक दिलाया।
  2.  2012 के लंदन ओलंपिक में विजय कुमार ने शूटिंग में रजत और गगन नारंग ने कांस्य पदक जीते।

बैडमिटन के क्षेत्र में-

  1.  सायना नेहवाल ने लंदन ओलंपिक में बैडमिंटन में कांस्य पदक जीता।
  2. पी.वी. सिंधु ने बैडमिंटन में रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता। और टोक्यों ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।

 कुश्ती के क्षेत्र में-

  1.  कुश्ती के क्षेत्र में भारत ने कई पदक जीते हैं। जिनमें लंदन ओलंपिक में दो पदक कांस्य पदक व सिल्वर पदक भी शामिल हैं।
  2.  रियो में भी साक्षी मलिक कुश्ती में कांस्य पदक जीता।

मुक्केबाजी के क्षेत्र में-

  1.  2012 लंदन ओलंपिक सायना नेहवाल ने बैडमिंटन में कांस्य पदक जीता।
  2.  2012 लंदन ओलंपिक मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में कांस्य पदक जीता।

हालिया प्रदर्शन-

  1. भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में नया अध्याय जोड़ा।
  2. भारोत्तोलन मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में रजत पदक जीता।
  3. बैडमिंटन पी.वी. सिंधु ने बैडमिंटन में कांस्य पदक जीता।
  4.  बॉक्सिंग  लवलीना बोरगोहेन ने बॉक्सिंग में कांस्य पदक जीता।
  5. हॉकी भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता, जिससे 41 साल बाद हॉकी में पदक मिला।
  6.  कुश्ती रवि दहिया ने कुश्ती में रजत पदक और बजरंग पुनिया ने कुश्ती में कांस्य पदक जीते।

ओलंपिक खेलों में भारत की चुनौतियां और भविष्य-

  • प्रशिक्षण और सुविधाएँ-  भारत के एथलीट्स को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण और सुविधाओं की आवश्यकता है ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। और अमेरिका और चीन जैसों देशों को प्रतिस्पर्धा में मात दे सकें।
  • सरकार का समर्थन-  सरकार और खेल संगठनों का समर्थन महत्वपूर्ण है। इसमें वित्तीय सहायता, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और उत्कृष्ट कोचिंग स्टाफ शामिल हैं।
  • युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहन-  स्कूल और कॉलेज स्तर पर खेलों को बढ़ावा देना आवश्यक है ताकि नई और युवा प्रतिभाएँ उभर सकें और देश का नाम रोशन कर सकें।

निष्कर्ष-

ओलंपिक खेलों का इतिहास और उनकी विशेषताएँ उन्हें विश्व के सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित खेल आयोजनों में से एक बनाती हैं। प्राचीन ग्रीस से लेकर आधुनिक युग तक, ओलंपिक खेलों ने खेलों की भावना को जीवित रखा है और इसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। इन खेलों ने विभिन्न देशों और संस्कृतियों को एक साथ लाने का काम किया है। जिससे अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग को बढ़ावा मिल सकें।

भारत का ओलंपिक यात्रा भी बेहद प्रेरणादायक रही है। हॉकी में स्वर्णिम युग से लेकर व्यक्तिगत खेलों में हाल की उपलब्धियों तक, भारत ने खेलों के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

ओलंपिक खेल न केवल एथलीट्स के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। ये खेल हमें उत्कृष्टता, मित्रता और सम्मान के मूल्यों की याद दिलाते हैं और हमें यह सिखाते हैं कि मेहनत, समर्पण और दृढ़ता से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। भविष्य में, भारत के एथलीट्स से और भी शानदार प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है, जो देश को गौरवान्वित करेंगे और विश्व मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को और बढ़ाएंगे।

ओलंपिक खेलों की यह अद्भुत यात्रा न केवल खेल प्रेमियों के लिए बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है। यह हमें यह समझने का अवसर देती है कि खेल किस प्रकार सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में योगदान कर सकते हैं और विश्व को एक साथ ला सकते हैं। पर कभी-कभी यह खेल राजनीति का शिकार भी हो जाते हैं। जब दुनिया की महाशक्तियां इसे अपने ढ़ग से चलाने लगती हैं। इसे इन सब से दूर रखने की जरुरत हैं।

हमने अपने इस लेख में ओलंपिक से जुड़े इतिहास, खेल से कैसें समाज को पास लाया जा सकता है, भारत का इसमें क्या प्रदर्शन रहा यह जानने का प्रयास किया। अगर आपके इससे जुड़े कुछ सुझाव हो तो हमें जरुर दे। धन्यवाद…

FAQ 1: ओलंपिक खेलों की शुरुआत कब और कहाँ हुई थी?

Answer: प्राचीन ओलंपिक खेलों की शुरुआत 776 ईसा पूर्व में प्राचीन ग्रीस के पेलोपोनीज़ में ओलंपिया नामक स्थान पर हुई थी।

FAQ 2: आधुनिक ओलंपिक खेलों की पुनःस्थापना किसने की?

Answer: आधुनिक ओलंपिक खेलों की पुनःस्थापना का श्रेय फ्रांसीसी शिक्षाविद् पियरे डे कूबर्टिन को जाता है, जिन्होंने 1894 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन किया।

FAQ 3: ओलंपिक ध्वज में कितने और कौन से रंग होते हैं?

Answer: ओलंपिक ध्वज में पाँच रंगीन वलय होते हैं: नीला, पीला, काला, हरा, और लाल, जो पाँच महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

FAQ 4: महिला एथलीटों ने ओलंपिक खेलों में कब पहली बार भाग लिया?

Answer: महिला एथलीटों ने पहली बार 1900 में पेरिस में आयोजित दूसरे ओलंपिक खेलों में भाग लिया, जहां 22 महिलाओं ने गोल्फ और टेनिस में प्रतिस्पर्धा की।

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