वक्फ बोर्ड- जमींदार या जमीन हड़पने वालें (Waqf Board- Landlords or land grabbers)

“वक्फ बोर्ड आज के समय एक विवाद का कारण बना हुआ हैं। जिस वक्फ बोर्ड को मुस्लिमों की संपत्ति की देखरेख व सुरक्षा के लिए बनाया गया था। आज वें धर्म की आड़ में लूटने को आमदा हैं। इनके पास आज देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा भूमि पर कब्जा है। यह जानकार हैरानी होती है कि वक्फ़ का कॉन्सेप्ट इस्लामी या अरब देशों तक में नहीं है। फिर चाहे तुर्की, लीबिया, सीरिया या इराक हो। लेकिन भारत में इस तरह का मुस्लिम तुष्टिकरण है कि इन्हें देश में तीसरा सबसे बड़ा जमींदार बना दिया गया है।”

Table of Contents

वक्फ बोर्ड A group of people discussing land ownership and the role of Waqf Boards
Exploring the contentious issue of land ownership: Are Waqf Boards serving as guardians of communal properties or accused of land grabbing?

क्या है वक्फ-

वक्फ का मतलब किसी भी धार्मिक कार्य के लिए किया गया कोई दान, पैसे, संपत्ति या काम हो सकता हैं। या ऐसे कहे तो इस्लाम को मानने वाला कोई इंसान का धर्म के लिए दिया किसी भी प्रकार का दान वक्फ कहा जाएगा।

और अगर कोई संपत्ति का धर्म के नाम पर इस्तेमाल काफी लंबे समय से चल रहा है तो वह भी वक्फ होगा। वक्फ के अन्दर शैक्षणिक संस्थान, कब्रिस्तान, मस्जिद, मंजारे और धर्मशालायें यह सब आता हैं। अगर कोई अपनी संपत्ति एक बार वक्फ को दे दे तो उसे वापस नहीं ले सकता। अगर कोई वक्फ कर रहा है तो उसकी इस्लाम में आस्था होना तथा उसका उद्देश्य इस्लामिक होना जरुरी हैं।

वक्फ बोर्ड क्या हैं-

वक्फ बोर्ड भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक वैधानिक निकाय है धर्म के नाम पर प्राप्त संपत्ति का रख-रखाव करता है। इस्लाम में जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति दान कर देता है। तो वो संपत्ति वक्फ के पास चली जाती है। इसे इस्लाम में जकात कहा जाता है। एक बार जो संपत्ति दान कर दी जाती है वह वापस नहीं होती और वह अल्लाह की संपत्ति हो जाती है। उस संपत्ति को खरीदनें-बेचने व किराए पर देने का अधिकार वक्फ का ही होता हैं। वक्फ उसका कैसे भी इस्तेमाल करें वो उसकी मर्जी होती हैं। ये सारे काम जो देखता है उसे मुतावली कहा जाता हैं।

भारत में वक्फ बोर्ड की स्थापना कब हुई-

भारत में वक्फ बोर्ड की स्थापना का श्रेय नेहरु जी को जाता हैं। वर्ष 1954 में नेहरु सरकार नें वक्फ बोर्ड अधिनियम पारित किया था। जिससे इसका केन्द्रीयकरण हुआ। इस अधिनियम के तहत 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया। ये परिषद भारत सरकार के अल्पसंख्यक मत्रालय के अर्तगत आता हैं।

वर्ष 1995 में इस कानून में संशोधन करके भारत के हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में वक्फ बोर्डों के गठन की अनुमति दे दी गई। बिहार व यूपी जैसे राज्यों में शिया व सुन्नी के लिए अलग-2 वक्फ बोर्ड हैं। इस कानून से वक्फ को असीमित शक्तियाँ मिल गई। वर्ष 2013 में इसमें फिर से संशोधन किया गया था।

A group of people discussing land ownership and the role of Waqf Boards
Exploring the contentious issue of land ownership: Are Waqf Boards serving as guardians of communal properties or accused of land grabbing?

वक्फ बोर्ड संपत्ति अधिनियम 1995-

भारत में इस समय वक्फ की संपत्ति संभालने के लिए एक केन्द्रीय तथा 32 स्टेट बोर्ड है। 1995 अधिनियम देश के सेकुलर ढ़ांचे की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी हैं। इस अधिनियम ने वक्फ को कई असीमित शक्तियां प्रदान कर दी। जो कि निम्नलिखित है-

  • 1995 में कांग्रेस सरकार ने वक्फ बोर्ड एक्ट बनाया। इस वक्फ बोर्ड एक्ट में कुल सात लोग होंगे। जिसमें से पाच मेंबर, एक सर्वेयर, एक कार्याधिकारी होगा और सभी लोग मुस्लिम होंगे।
  • वक्फ इस कानून के द्वारा किसी की भी संपत्ति पर अपना दावा ठोक सकता हैं।
  • यदि यह दावा संपत्ति के मालिक के अनुसार गलत है तो उसे यानि उस मालिक को सिद्ध करना होगा।
  • वक्फ बोर्ड के पास इस वक्त देश में कुल 8,54,509 संपत्तियां है जो 8 लाख एकड़ भूमि से ज्यादा हैं।
  • इसमें ये हैरानी की बात है कि इस मामले मे वक्फ सिर्फ सेना व रेलवे से पीछे है। जो कि आश्चर्यजनक है।
  • वक्फ के अधिनियम-1995 की धारा 3 के मुताबिक यदि वक्फ यदि सोच भी ले की कोई जमीन उसकी है तो बिना किसी सबूत के वह उस पर कब्जा कर सकता हैं।
  • कोई व्यक्ति इस मुद्दे पर कोर्ट भी नहीं जा सकता। उसे इसके लिए वक्फ ट्रिब्यूनल ही जाना होगा।
  • इस अधिनियम की धारा 85 में यह लिखा है कि यदि कोई भी व्यक्ति, वक्फ ट्रिब्यूनल में ये साबित नहीं कर पाता तो वह अपनी जमीन वक्फ को गंवा देगा।
  • इसमे ट्रिब्यूनल का आदेश अंतिम माना जाएगा। आप कोर्ट भी नहीं जा सकते।
  • यहां ये भी बात गौर करनी वाली है कि यदि वक्फ किसी जमीन पर दावा करता है तो यह उसकी नहीं बल्कि ये उस व्यक्ति की जिम्मेवारी की वह साबित करें कि वह संपत्ति उसकी हैं।

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वक्फ बोर्ड संपत्ति अधिनियम 2013-

वक्फ बोर्ड के अधिनियम 1995 में 2013 में संशोधन किये गये। इस अधिनियम में 1995 की धारा-1,3,4,5,6,7,8,9,13,14 में संशोधन किए गए हैं। इसे 1 नंवबर 2013 से लागू किया गया। 2013 के कुछ प्रमुख प्रावधान निम्नलिखिंत हैं-

  • इस अधिनियम के अर्न्तगत सेंट्रल वक्फ काउंसिल को केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और राज्य वक्फ को सलाह देने का अधिकार दिया गया।
  • वक्फ बोर्ड को धारा 9(4) के तहत बोर्ड के प्रदर्शन, वित्तीय प्रदर्शन, सर्वेक्षण, राजस्व रिकॉर्ड, वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण, वार्षिक और लेखापरीक्षा रिपोर्ट आदि पर परिषद को जानकारी प्रस्तुत करने के लिए ऑर्डर देने का भी हक हैं।
  • अगर किसी की संपत्ति को वक्फ अपनी संपत्ति करार देता है तो वक्फ एक्ट 2013 के तहत वह कोर्ट नहीं जा सकता, उसे वक्फ ट्राइब्यूनल में जाना होगा।

कितने तरह के होते है वक्फ बोर्ड-

वक्फ दो तरह के होते है- 1. पब्लिक, 2- प्राइवेट।

पब्लिक वक्फ चैरिटी से जुड़े कामों के लिए होता है। वहीं प्राइवेट वक्फ जिसकी प्राइवेट प्रॉपर्टी है उसकी संतानो के लिए। वक्फ प्रमाणीकरण अधिनियम-1913 के अनुसार कोई भी मुस्लिम अपने वंश के लिए प्राइवेट वक्फ बना सकता है। लेकिन इसमे होने वाला फायदा चैरिटी को देना होता हैं।

आजादी के बाद क्यो बनाए गए वक्फ बोर्ड-

देश के बंटवारे के बाद इस तरह का अराजक कानून अपने अस्तित्व में आया। उस समय कई मुस्लिम समुदाय के लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गये। इसी क्रम में कई हिंदू पाकिस्तान से भारत आ गये। पाकिस्तान से आये हिंदूओं की जमीनों पर पाकिस्तान सरकार व वहां के मुसलमानों ने कब्जा कर लिया। पर भारत ने यहां से गये मुसलमानों की घर व जमीन के लिए वक्फ बोर्ड का गठन कर दिया। उनकी संपत्तियों से जुड़ी सारी जिम्मेवारी वक्फ बोर्ड को दे दी गई।

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वक्फ बोर्ड मे कौन-कौन होता है-

वक्फ बोर्ड में सभी अधिकारी मुस्लिम ही हो सकते हैं। कोई और धर्म का नागरिक इसमें शामिल नहीं हो सकता। इसके बोर्ड में अध्यक्ष, राज्य सरकार की ओर नामित व्यक्ति, मुस्लिम विधायक, वकील, आईएएस, इस्लामी स्कॉलर व टाउन प्लॉनर और एक मुतावली शामिल होता हैं।

इसकी स्थापना धारा 13(2) के तहत हुई थीं। शिया बोर्ड में शिया सदस्य और सुन्नी बोर्ड में सुन्नी ही होगें।

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वक्फ काम कैसे करता हैं-

वक्फ के सभी बोर्डो की निगरानी करने का अधिकार केंद्रीय वक्फ परिषद का होता हैं। इसको वक्फ एक्ट 1954 के तहत बनाया गया था। इसका अध्यक्ष केंद्र सरकार में वक्फ मामलों का मंत्री होता हैं। इसके 20 सदस्य होते हैं। ये परिषद राज्य के वक्फों की मदद करते हैं। इस मदद को मुशरुत उल खिदमत कहते हैं।

इस एक्ट में 1995 में एक नया नियम जोड़ा गया कि वक्फ बोर्डो की निगरानी के लिए एक सर्वे कमिशनर नियुक्त किया जाएगा। जो कि उन सभी संपत्तियों की जांच करेगा जो वक्फ घोषित की गई है, इसके लिए वो गवाहों और कागजातों की मदद लेगा। इसे मुतावली कहा जाएगा।

वक्फ बोर्ड के पास कितनी जमीन हैं-

ये जानकर आश्चर्य होता है, कि देश में वक्फ देश में तीसरा सबसे बड़ा जमींदार है। सेना व रेलवे के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा जमीन हैं। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के अनुसार, देश के कुल वक्फ बोर्डो के पास कुल मिलाकर 8.7 लाख संपत्तियां है। जिनका कुल एरिया 9.4 लाख एकड़ में है।

साल 2009 में जिस वक्फ के पास 4 लाख एकड़ जमीन थीं। वह पिछले 15 वर्षो के दौरान दोगुनी से भी ज्यादा हो गई हैं।

वक्फ बोर्ड के पास कोई भी संपत्ति पर कब्जा रखने व इसे किसी ओर को देने का अधिकार होता हैं। वक्फ को कोर्ट द्वारा समन किया जा सकता है। भारत के लगभग सभी राज्यों में वक्फ बोर्ड है। परन्तु गोवा और पूर्वोत्तर के छोटे राज्यों में वक्फ बोर्ड नहीं हैं।

वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियां-

कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टीकरण कितना बड़ा है, यह तब सामने आया जब 2014 में चुनाव में आचार संहिता लागू होने के ठीक पहले तब की यूपीए सरकार ने दिल्ली की 123 प्राइम प्रॉपर्टीज को वक्फ को गिफ्ट में सौंप दिया। तब की मनमोहन सरकार ने 5 मार्च 2014 को इन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के हवाले कर दिया। इससे कांग्रेस का मुस्लिम प्रेम उजागर हो गया, जहां वह चंद वोटों के लिए राजधानी की संपत्तियां भी वक्फ के हवाले करने को तैयार हो गयीं।

लेकिन अब इन संपत्तियों को केन्द्र की मोदी सरकार वक्फ से वापस लेनी जा रहीं हैं। उसने पूर्व की सरकार के फैसले को पलटते हुए 123 संपत्तियों पर फिर से अपना कब्जा कर लिया हैं।

वक्फ बोर्ड पर प्राइवेट मेंबर बिल-

वक्फ बोर्ड पर साल 2023 में सदन में वक्फ अधिनियम 1995 को निरस्त करने वाला एक विधेयक पेश किया गया। यह एक निजी विधेयक था, जिसे भाजपा सांसद हरनाथ सिह यादव ने पेश किया था। हरनाथ सिंह यादव ने ‘वक्फ बोर्ड निरसन विधेयक 2022’ को सदन में पेश करने की इजाजत मांगी। जिसका विपक्ष के सांसदों ने विरोध किया। बिल के पक्ष में सदन में 53 मत पड़े, जिसके बाद यह सदन में पेश हुआ। बिल के विरोध में 32 सदस्यों ने अपना मत डाला। हरनाथ सिह यादव, यूपी से राज्यसभा सांसद है।

उन्होंने बिल पेश करते हुए अपने बयान में कहा कि यह अधिनियम समाज में नफरत व द्धेष फैलाता हैं। यह संविधान से मिली अपनी असीमित शक्ति का इस्तेमाल मठ, मंदिर व सरकारी संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए करता हैं। इसकी आंड़ में यह बड़े स्तर पर धर्मातरण भी करवाता हैं। यह भारत के सेकुलर ढ़ांचे का गलत इस्तेमाल करता हैं। भारत की न्यायपालिका व उसकी सर्वोच्चता को खंडित करने का काम करता हैं। इसलिये वे इस अधिनियम को निरस्त करने की मांग करते हैं।

क्या हैं तमिलनाडु में वक्फ का कब्जें व धर्मातरण से जुड़ा मामला-

सितंबर 2022 में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के गांव तिरुचेंथुरई गांव में मुस्लिम वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव पर अपना दावा जता दिया। उसने गैंरकानूनी रुप से दावा करते हुए कहा कि रानी मंगम्मल समेत कुछ राजाओं ने तिरुचेंथुरई गांव समेत कई गांवों को वक्फ को तोहफे में दिया था। गांव व उसके आसपास मंदिर की 369 एकड़ भूमि हैं।

तिरुचेंथुरई एक हिंदू बहुत गांव हैं। जहां मुस्लिमों के सात-आठ परिवार रहते हैं। इसी गांव में चंद्रशेखर स्वामी का 1500 साल पुराना मंदिर भी हैं, जिस पर भी वक्फ ने अपना दावा ठोका हैं। अब इन वक्फ वालों को कोई समझाएं कि जिस इस्लाम की उत्पत्ति ही 1400 साल पहले हुई हैं। वह कैसे 1500 साल पुराने हिंदू मंदिर पर अपना दावा कर सकता हैं।

वक्फ का यह दावा तब सामने आया था जब गांव के एक किसान ने अपनी जमीन बेचनी चाहिए। किसान जब अपने ही गांव के दूसरे किसान को अपनी 1.2 एकड़ भूमि बेचनी चाही तो रजिस्ट्रार ऑफिस द्वारा उसे बताया गया कि यह जमीन तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की हैं, उसकी नहीं। और उसे इसके लिए वक्फ बोर्ड से एनओसी लेनी होगी।

जब गांव के लोगों को यह बात पता लगीं तो वह स्तब्ध रह गए। क्योकि यह उनकी संपत्ति है जिस पर वह वर्षो से रहते व खेती करते आये हैं। यहां तक इस मामले में गाव खाली कराने के लिए डीएम से नोटिस भी गांव को आ गया था। वक्फ के खिलाफ कोई कोर्ट भी नहीं जा सकता था।

ऐसे में ग्रामीणों से गांव न खाली करने की शर्त में वक्फ की तरफ से कहा गया कि यदि गांव वाले मुस्लिम धर्म अपना लेते है तो उनको उनकी जमीन वापस दे दी जाएगी।

ऐसा ही दूसरा किस्सा महाराष्ट्र में भी देखने को मिलता हैं, जब महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में संपत्ति पर हक जताने के नाम पर लोगों को धर्म बदलनें की पेशकश की गयीं। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसे धार्मिक बोर्डो को कतई उचित नहीं माना जा सकता।

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ताजमहल पर भी कर चुका है दावा-

कुछ सालों पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आदेश जारी कर ताजमहल को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था। तब इसके खिलाफ एएसआई ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील की थीं। तब वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी थी ताजमहल को खुद शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष में वक्फनामा कराया था। इस पर बेंच नें बोर्ड से शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज कोर्ट में पेश करने को कहा था।

राष्ट्रीय महत्व के सभी धरोहरों का सरंक्षण एएसआई की टीम ही करती हैं। उसे यह अधिकार संविधान के आर्टिकल 42 और 51 ए(एफ) ऐतिहासिक धरोहरों के सरंक्षण को राष्ट्रीय कर्तव्य घोषित किया गया हैं।

हालांकि वक्फ ऐसा कोई भी दस्तावेंज कोर्ट में नहीं पेश कर पाया। इसके एवज में कोर्ट उसने सिर्फ इतना कहा कि वक्फ की दी जाने वाली संपत्ति खुदा की होती है। इसी वजह से ताजमहल का मालिक खुदा है।

यूपी सरकार का वक्फ बोर्ड पर एक्शन-

वर्ष 2022 में प्रदेश की योगी सरकार ने कांग्रेस सरकार का 33 साल पुराना आदेश रद्द करते हुए वक्फ में दर्ज सरकारी जमीन का निरक्षण करने का आदेश पारित किया हैं।

यह ज्ञात हो कि उस समय की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 7 अप्रैल, 1989 को एक आदेश जारी कर कहा था कि जो भी संपत्ति बंजर, भीटा, ऊसर आदि भूमि का इस्तेमाल वक्फ के रुप में होता हैं, तो उसे बोर्ड में शामिल कर लेना चाहिए। इस आदेश के लागू हो जाने से प्रदेश में लाखों हेक्टयर भूमि वक्फ संपत्ति के रुप में दर्ज हो गयीं।

वक्फ बोर्ड Waqf Board: Guardians or Grabbers? Unveiling Land Ownership
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वक्फ अधिनियम है भेदभाव का खुला दस्तावेज-

 वर्ष 2022 में अधिवक्ता एक अधिवक्ता ने कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए याचिका दी थीं। उन्होंने इस अधिनियम को संविधान के अनुसार परखा हैं। जिसमें उन्होंने पाया कि यह अधिनियम धार्मिक आधार पर देश की धर्मनिरपेक्षता पर एक खतरा हैं। वक्फ की संपत्तियों के लिए जिस तरह से कानूनी सहुलियतें दी गई। ऐसा किसी और धर्म के अनुयायियों के लिए नहीं किया गया हैं।

अगर यह अधिनियम आर्टिकल 25 व 26 के अनुरुप धार्मिक स्वतंत्रता के संरक्षण की बात करता हैं। तो यह खुले तौर पर संविधान के आर्टिकल 14 व 15 की धाज्जियां भी उड़ाता हैं। जिसमे कहा गया है कि सभी धर्मों के प्रति समानता होनी चाहिए।

अगर यह आर्टिकल 29 व 30 के तहत अल्पसंख्यकों के हितों की बात करता हैं, तो इसमें अन्य अल्पसंख्यकों समुदाय को क्यो नहीं शामिल किया गया।

सविधान के आर्टिकल 27 का हनन-

  • वक्फ बोर्ड में जितने भी लोग शामिल होते है या जितने भी इनके सदस्य होते है उन्हे सरकारी कोष से भुगतान किया जाता हैं। जबकि सरकार किसी भी मस्जिद, दरगाह या मजार से कोई भी रुपया कर के रुप में नहीं लेती।
  • वही देश में सरकारें, देश के चार लाख मंदिरों से लाखों-करोड़ों रुपया टैक्स के रुप लेती हैं।।
  • अनुच्छेद 27 में यह साफ लिखा हैं कि किसी व्यक्ति को कोई ऐसा कर नहीं देना होगा जिसका इस्तेमाल धर्म व धार्मिक संप्रदाय की अभिवृद्धि के लिए किया जाना हो।

कर्नाटक के बजट में वक्फ बोर्ड-

अभी पिछले साल कर्नाटक में कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाई। सरकार बनते ही कांग्रेस का वापस से तुष्टीकरण की राजनीति चालू हो गया। हालही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया नें राज्य का बजट पेश किया।

  • सिद्धारमैया ने अल्पसंख्यक छात्रों की फीस के लिए और वक्फ संपत्तियों के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित कर दिये।
  • इसी बजट में 200 करोड़ ईसाई समुदाय के आवंटित किये गये।
  • मुस्लिमों को खुश करने के लिए मंगलुरु में 10 करोड़ रुपये हज भवन बनाने का ऐलान किया गया।
  • मौलवियों और मुत्तवल्लियों के लिए वर्कशाप वक्फ बोर्ड के साथ पजीकृंत किये जाएगें।
  • वहीं हिंदूओं को तोहफा देते हुए कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024 पारित करा लिया गया।
  • इस विधेयक में हिंदू मंदिरों में जितना भी राजस्व आएगा उस पर 10 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
  • जिन मंदिरों का राजस्व 1 करोड़ से ऊपर है, उन पर 10 फीसदी टैक्स और जिन मंदिरों का राजस्व 10 लाख से 1 करोड़ तक है उन पर 5 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा।
  • कर्नाटक सरकार ने करीब 445 करोड़ हिंदू मंदिरो से इकठ्ठा किये हैं। जिसमें से 200 करोड़ ईसाईओं और 100 करोड़ वक्फ को बांट दिया गया है। सिर्फ 100 करोड़ मंदिरो के लिए दिये गये हैं। यह हैं इनका दोगलीं धर्मनिरेपक्षता।

वक्फ बोर्ड को कैसे हटाया जा सकता हैं-

  • कानून में संशोधन कर के वक्फ बोर्ड को हटाया जा सकता हैं। इसके लिए संसद में कानून पारित करना होगा।
  • या तो वक्फ की शक्तियों को कानून बनाकर सीमित कर दिया जाएं। जिससे वह सिर्फ मस्जिद, मजार व दरगाह व मदरसे के सरंक्षण तक ही सीमित रहें।
  • किसी भी प्रकार की संपत्ति पर वो न तो अपना दावा ठोक सकें न ही कोई अनाधिकृत तरीके से उसे अपनी संपत्ति दान दे सकें।

वक्फ भारत के सेकुलर ढांचे के हिसाब से बिल्कुल भी सही नजर नही आता। भारत में सभी धर्मों को समान अधिकार प्राप्त है, फिर एक विशेष धर्म के लिए खास व्यवस्था क्यो बनाई जाएं। अगर वक्फ को बनाए रखना ही है तो उसका उद्देश्य सिर्फ इस्लाम तक ही सीमित रहना चाहिए। किसी और धर्म की जमीन व जबरन धर्मातरण या धर्म की आड़ पर देश की जमीन पर जबरन कब्जा उसका उद्देश्य नहीं होना चाहिए।

आपको हमारा यह लेख कैसा लगा। वक्फ बोर्ड के बारे में आपकी क्या राय है व इसमें क्या परिवर्तन किया जा सकता हैं। कमेंट बाक्स में हमे अपने सुझाव अवश्य दें। हमें आपके सुझावों का इंतजार रहेगा। धन्यवाद..

वक्फ के अधिनियम-1995 के तहत क्या प्रावधान हैं?

इस अधिनियम में वक्फ बोर्ड एक्ट के द्वारा वक्फ को कई असीमित शक्तियां प्रदान की गई हैं, जैसे कि किसी भी संपत्ति पर वक्फ का दावा ठोक सकना।

वक्फ बोर्ड संपत्ति अधिनियम 2013 में क्या प्रमुख प्रावधान हैं?

इस अधिनियम के तहत केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और राज्य वक्फ को सलाह देने का अधिकार दिया गया है, और वक्फ बोर्ड को वित्तीय प्रदर्शन और सर्वेक्षण आदि के लिए अधिकार है।

वक्फ बोर्ड क्या है?

वक्फ बोर्ड भारत सरकार द्वारा धार्मिक संपत्ति का रख-रखाव करने के लिए बनाया गया एक निकाय है।

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